भारतीय बैंक अलग-अलग कामों के लिए कई तरह के बैंक अकाउंट ऑफर करता है। चाहे कोई कामकाजी हो, स्टुडेंट हो, उद्यमी हो, पार्टनरशिप फर्म हो आदि, हर कोई अपनी जरूरत के हिसाब से बैंक अकाउंट चुन सकता है। बैंक खाते उद्देश्य और लेन- देन के आधार पर अलग-अलग (बचत खाता, चालू खाता, वेतन खाता और एनआरआई खाते) हो सकते हैं। आइए इस आर्टिकल में विभिन्न बैंक खातों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
विभिन्न प्रकार के बैंक अकाउंट
सेविंग अकाउंट
पैसों की बचत करने के उद्देश्य से सेविंग अकाउंट खुलावाया जाता है। इसमें एक व्यक्ति या दो व्यक्ति (ज्वॉइंट अकाउंट) खाताधारक हो सकते हैं। सेविंग अकाउंट में पैसे जमा करने पर ब्याज भी मिलता है। इसमें आप कितनी बार भी पैसे जमा कर सकते हैं। लेकिन कितनी बार पैसे निकाल सकते हैं और कितनी राशि तक यह बैंक-दर-बैंक निर्भर करता है। इसके अकाउंट होल्डर को डेबिट कार्ड, एटीएम कार्ड, चेक बुक और पासबुक के अलावा इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग सेवाएं भी मुहैया करवाई जाती हैं। न्यूनतम बैलेंस की पॉलिसी एक बैंक से दूसरे बैंक में अलग-अलग हो सकती है। हालांकि अधिकतर बैंक जीरो बैलेंस की अनुमति देते हैं।
करंट अकाउंट
आमतौर पर साझेदारी फर्म, कंपनियां, उद्यमी या बिजनेसमैन करंट अकाउंट ओपन करवाते हैं। क्योंकि इसमें ट्राजेंक्शन की कोई लिमिट नहीं होती है। अकाउंट होल्डर अपनी जरूरत के हिसाब से कितनी बार भी लेन-देन कर सकते हैं। इसके अलावा बैंक इस खाते पर ओवरड्राफ्ट सुविधा भी मुहैया करवाता है, जोकि बैंको की शर्तों के अनुसार संचालित होता है। चूंकि करंट अकाउंट से कितनी बार भी ट्रांजेक्शन कर सकते हैं इसलिए इसमें न्यूनतम बैलेंस अधिक रखना होता है। कुछ बैंक विदेशी मुद्रा ट्रांजेक्शन की अनुमति भी देते हैं।
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सैलरी अकाउंट
कई लोग या फिर कंपनी अपने कर्मचारी के लिए सैलरी अकाउंट खुलवाते हैं। ये जीरो बैलेंस अकाउंट होता है। इसमें हर महीने सैलरी आती है। इस वजह से इसमें बैलेंस बनाए रखने की जरूरत नहीं होती है। कई बैंक सैलरी अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी देते हैं। इसके अवाला कई बैंक सैलरी अकाउंट होल्डर्स को पर्सनल लोन और होम लोन ब्याज दरों पर रियायत भी ऑफर करते हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) अकाउंट
एफडी निवेश का एक बेहतर विकल्प है, उन लोगों के लिए जो अपनी अधिशेष राशि पर इंटरेस्ट पाना चाहते हैं। आप 7 दिन से लेकर 10 साल के बीच की मैच्योरिटी अवधि के लिए एफडी करवा सकते हैं। हालांकि इस पर मिलने वाला इंटरेस्ट रेट एफडी की अवधि, निवेशक (सीनियर सीटिजन और आम नागरिक) और बैंक के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर सीनियर सीटिजन को आम नागरिक की तुलना में 0.50% से 1% तक अधिक ब्याज मिलता है।
बैंक एफडी के मैच्योरिटी से पहले उसे तोड़ने की मनाही करते हैं, हालांकि कुछ बैंक समय से पहले विड्राल की सुविधा भी देते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में, एफडी पर मिलने वाला इंटरेस्ट रेट कम हो सकता है। इसके अलावा बैंक 5 साल की लॉक इन अवधि के लिए टैक्स सेविंग एफडी भी ऑफर करते हैं।
रेकरिंग फिक्स्ड डिपॉजिट (आरडी) अकाउंट
आरडी भी एफडी की तरह ही निवेश का एक विकल्प है। लेकिन एफडी के उल्ट आरडी में पैसे एकमुश्त जमा न करके, किस्तों में जमा करनी होती है। यानी आरडी की मैच्योरिटी तक आपको इसमें नियमित तौर पर-हर महीने, तिमाही या छमाही आधार पर पैसे जमा करने होते हैं। आप आरडी की अवधि और हर महीने या तिमाही में निवेश की जाने वाली राशि को बदल नहीं सकते। इसके अलावा मैच्योरिटी से पहले आरडी विड्राल करने पर इंटरेस्ट रेट कम हो सकता है।
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नॉन-रेसिडेंट आर्डिनरी (एनआरओ) अकाउंट
- एनआरओ सेविंग अकाउंट: एनआरओ सेविंग अकाउंट एक तरह का एनआरआई अकाउंट है। यह भारत से बाहर रहने वाले भारतीयवंशियों की संपत्ति (रेंट, लाभांश आदि) को मैनेंज करने में मदद करता है। एनआरओ सेविंग अकाउंट में धनराशि विदेश में वापस नहीं भेजी जा सकती। हालांकि इस फंड का इस्तेमाल भारत में निवेश करने के लिए कर सकते हैं। चूंकि यह एनआरओ अकाउंट है इसमें न्यूनतम जमा की आवश्यकता थोड़ी अधिक होती है।
- एनआरओ एफडी अकाउंट: एनआरओ अकाउंट होल्डर ही NRO एफडी करवा सकते हैं। वो व्यक्तिगत तौर पर या दूसरे एनआरआई के साथ ज्वॉइंट एफडी अकाउंट खुलवा सकते हैं। एनआरओ FD पर NRO सेविंग की तुलना में अधिक इंटरेस्ट रेट मिलता है। और इस इंटरेस्ट रेट को एनआरआई सेविंग अकाउंट में क्रेडिट किया जाता है।
नॉन-रेसिडेंट एक्सटर्नल (एनआरई) अकाउंट
- एनआरई सेविंग अकाउंट: एनआरई अकाउंट में NRIs विदेशी मुद्रा जमा करते हैं और बैंक द्वारा उसे प्रचलित विनिमय दरों पर INR में परिवर्तित कर दिया जाता है। NRIs द्वारा जमा की जाने वाली राशि पर मिलने वाला इंटरेस्ट भारत में पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। NRIs म्युचुअल फंड और दूसरे तरीके से भारत में निवेश कर सकते हैं।
- एनआरई एफडी अकाउंट: एनआरई सेविंग अकाउंट होल्डर्स ही NRE एफडी खाता खुलवा सकते हैं। एफडी की अवधि 1 साल से लेकर 10 साल के लिए हो सकती है। हालांकि नॉर्मल एफडी की तुलना में NRE FD की राशि थोड़ी अधिक होती है।
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फॉरेन करेंसी नॉन-रेसिडेंट (FCNR) अकाउंट
एफसीएनआर अकाउंट एक तरह से टर्म डिपॉजिट अकाउंट है, जिसमें NRI अपने पैसे निवेश कर सकते हैं। इस निवेश पर मिलने वाला ब्याज दर एक बैंक से दूसरे बैंक में अलग-अलग हो सकता है। FCNR डिपॉजिट 1 से 5 साल के लिए करवा सकते हैं। इस पर मिलने वाला ब्याज भारत में टैक्स फ्री होता है। हालांकि एफसीएनआर के 1 साल पूरा होने पर ही ब्याज मिलता है।