बढ़ती आकांक्षाओं और बढ़ते क्रेडिट कार्ड और अन्य कैशलेस पेमेंट के उपयोग की वजह से, अधिक खर्च करना कई लोगों के लिए एक समस्या बन गया है। जिस वजह से एक मासिक बजट का होना और उसका पालन करना हर किसी के लिए बेहद जरूरी हो गया है। अगर आप अपने मासिक बजट का पालन करें तो ये न केवल आपको फ़िज़ूल खर्ची से बचाएगा बल्कि आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों के लिए धन एकत्रित करने में भी सहायक होगा। क्योंकि बजट बनाना सबके लिए आसान नहीं हैं। इसलिए हम आपको 4 आसान बजटिंग मेथड्स के बारे में बताने वाले हैं जिनका पालन कर आप फिजूलखर्ची पर अंकुश लगा सकते हैं और अपनी बचत को बढ़ावा दे सकते हैं।
बैलेंस मनी फॉर्मूला (50/20/30)
आप बैलेंस मनी फॉर्मूला को अपना सकते है जिसे 50/20/30 बजट भी कहा जाता है। इसमें आप अपनी मासिक आय का 50 फीसदी हिस्सा उन जरूरतों पर खर्च करना चाहिए, जिसके बिना आपका गुजारा नहीं हो सकता है. इसमें आपके घर का राशन, आपके बिल, पढ़ाई आदि से जुड़े कई खर्चे आते हैं।
अपनी सैलरी के 30 फीसदी हिस्से का खर्च ऐसे होते हैं, जिनको आप टाल भी सकते हैं. ये आपके मनोरंजन के लिए होते है. जैसे – मूवी देखना, घूमने जाना, बाहर खाना, पार्टी करना, सेल्फ केयर और शॉपिंग करना आदि।
इसके अलावा 20 फीसदी हिस्से की आपको बचत करनी चाहिए। इन पैसों का इस्तेमाल अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग, बच्चों की उच्च शिक्षा, शादी और इमरजेंसी के लिए करते हैं।
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शून्य आधारित बजट
शून्य आधारित बजट में शून्य को आधार माना जाता है जिसमे पिछले वर्ष के व्यय (खर्चो) पर ध्यान नहीं दिया जाता है बल्कि इस प्रणाली में कार्य इस आधार पर शुरू किया जाता है कि अगली अवधि के लिए बजट शून्य है। यह हर साल एक नई शुरुआत की अनुमति देता है, जो मौजूदा जरूरतों के साथ बजट को ट्रैक पर रखने में मदद करता है। शून्य आधारित बजट और पारंपरिक बजट में सबसे बड़ा अंतर है कि पारंपरिक बजट में बजट का हिस्सा सम्बंधित क्षेत्र की प्रथिमिकता के अनुसार होता है और धनराशि को योजनाओं के आधार पर बांटा जाता हैं। भारत में इसकी शुरुआत 1983 में हुई।
शून्य-आधारित बजट उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो यह जानना चाहते हैं कि उनका सारा पैसा कहां जाता है। यह उन लोगों के लिए भी अच्छा हो सकता है जो क्रेडिट कार्ड का उपयोग करना पसंद करते हैं। इसकी सबसे खास बात ये भी है कि आपको पता चलता है कि कहां आप जरुरत से ज्यादा खर्च कर रहें हैं। कुछ ऐसे खर्च जिनको आप टाल भी सकते हैं, कुछ ऐसे खर्च जिनकी अब जरूरत नहीं है आदि।
पे योर सेल्फ फर्स्ट
इसे कभी-कभी रिवर्स बजटिंग भी कहा जाता है। इस बजटिंग मेथड के अंतर्गत पहले आप अपनी मासिक आय का कुछ हिस्सा सेव कर लेते है। बाकि बची राशि से खर्च चलाते है। पे योर सेल्फ फर्स्ट’ तरीके को अपनाकर आप बचत में आने वाली कुछ सामान्य बाधाओं से बच सकते हैं, जैसे अधिक खर्च करना और बचत में लगाने के लिए पैसे खत्म हो जाना या पैसे अलग रखना भूल जाना। इस नियम को Pay Yourself First इसलिए कहते हैं क्योंकि आप जो बचा रहें है बस वही कमा रहें है।
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कैश स्टफिंग
यदि आपको फिजूलखर्ची रोकने या कर्ज से दूर रहना चाहते है तो आप कैश स्टफिंग को अपना सकते है। यह एक पैसे बचाने और पुरे महीने कहां खर्च हो रहा है और किसी भी तरह की फिजूलखर्ची से बचने की विधि है जो आपके मासिक खर्च को अलग-अलग हिस्से में बांट कर धनराशि के लिफाफे बनाती है।
हर एक लिफाफे में आपके हफ्ते या महीने में होने वाले खर्चों के लिए धनराशि होती है। आप आपके पास केवल उतना ही पैसा है जितना आपको चाहिए। यदि आपके पास एक लिफाफे में पैसे खत्म हो जाते हैं, तो आप इसे दूसरे लिफाफे से निकाल सकते हैं, लेकिन एक बार जब आप अपने लिफाफे में सभी पैसे का उपयोग कर लेते हैं, तो आपके पास महीने के बाकी दिनों में खर्च करने के लिए कुछ भी नहीं बचता है। इसलिए सबसे पहले एक बजट निर्धारित करें, इसके बाद अपने खर्च की सारी कैटेगरी तय करें, सभी मासिक खर्चों के लिए नकद का उपयोग करें आदि।
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निष्कर्ष
हर व्यक्ति का वेतन, लक्ष्य, ज़रूरतें और इच्छाएं अलग-अलग होती हैं। कई बार होता हैं एक प्रकार की बजट प्रणाली (Budget System) हमारे लिए अद्भुत काम कर सकती है, जबकि वो बजट प्रणाली किसी और के लिए सही साबित नहीं होती। अपनी आय, व्यय और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए ही सही विकल्प चुनना आपके वित्तीय भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।