आज के समय में लोग अपनी छोटी-बड़ी हर जरूरत को पूरा करने के लिए लोन का सहारा ले रहे हैं। चाहे घर खरीदना हो, नया बिजनेस शुरू करना हो, कार खरीदना हो, शादी खर्च हो, किसी तरह की मेडिकल इमरजेंसी हो आदि हर काम के लिए बैंक/एनबीएफसी से लोन ले सकते हैं। लोन को उनके कोलैटरल डिमांड के हिसाब से दो भागों में बांटा गया है – सिक्योर्ड लोन और अनसिक्योर्ड लोन। आइए जानते हैं कि इन दोनों के बारे में…
अनसिक्योर्ड लोन
इस तरह के लोन को लेने के लिए कस्टमर को बैंक/एनबीएफसी के पास कोई प्रॉपर्टी गिरवी नहीं रखनी होती। बैंक आवेदक के क्रेडिट स्कोर, पेमेंट हिस्ट्री और जॉब प्रोफाइल आदि के आधार पर उन्हें लोन ऑफर करते हैं। चूंकि अनसिक्योर्ड लोन में रिस्क अधिक है इसलिए इसकी ब्याज दरें सिक्योर्ड लोन की तुलना में अधिक होती है।
- पर्सनल लोन: पर्सनल लोन सबसे प्रचलित अनसिक्योर्ड लोन में से एक है क्योंकि ये शादी, ट्रैवल, मेडिकल इमरजेंसी आदि कई तरह के वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लिया जा सकता है। अनसिक्योर्ड होने की वजह से इस लोन को लेते वक्त अधिक डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होती और न ही लंबा इंतजार करना पड़ता है। तुरंत पैसों की जरूरत होने पर ये एक अच्छा लोन ऑप्शन हो सकता है।
- एजुकेशन लोन: बच्चों की पढ़ाई से संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए ‘एजुकेशन लोन लिया जा सकता। इसकी ब्याज दरें पर्नसल लोन की तुलना में कम होती हैं। हालांकि एजुकेशन लोन में एक निश्चित राशि के बाद बैंक कोलैटरल की मांग करते हैं, ये राशि अलग-अलग बैंक में भिन्न-भिन्न होती है।
- क्रेडिट लाइन या लाइन ऑफ क्रेडिट: लाइन ऑफ क्रेडिट एक निश्चित रकम है, जो आपको किसी बैंक/NBFCs की ओर से उधार के तौर पर दिया जाता है, ये फ्लेक्सिबल और रिवॉलविंग होता है। यानी इस रकम में से आप जितनी रकम खर्च करते हैं, आपको सिर्फ उतनी ही राशि पर ब्याज देना होता है। लिए गए लोन राशि का एकबार भुगतान कर देने पर आप फिर से अधिक राशि लोन लेने के योग्य हो जाते हैं। अभी खरीदें बाद में भुगतान करें (बॉय नॉउ पे लेटर) और क्रेडिट कार्ड इसके कुछ उदाहरण हैं। आरबीआई के निर्देशानुसार कस्टमर अब यूपीआई के जरिए प्री-सैंक्शंड क्रेडिट लाइन भी ले सकते हैं। यानी बैंक में पेमेंट न होने पर भी यूपीआई से भुगतान कर सकते हैं।
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सिक्योर्ड लोन
इस प्रकार का लोन लेने के लिए कस्टमर को बैंक/एनबीएफसी में अपना कोई सामान जैसे- गोल्ड, प्रॉपर्टी आदि गिरवी रखना होता है, उसे सिक्योर्ड लोन कहते हैं। उधारकर्ता द्वारा लोन राशि न चुका पाने की स्थिति में बैंक गिरवी रखे सामान को जब्त कर लेती है और उससे अपने लोन की भरपाई करती है। अनसिक्योर्ड लोन की तुलना में, इस लोन की ब्याज दरें कम होती है। आइए जानते हैं कि सिक्योर्ड लोन कितने तरह के होते हैं।
- गोल्ड लोन: गोल्ड लोने लेने के लिए बैंक/NBFC में सोने के गहने/सिक्कों को गिरवी रखा जाता है। गिरवी रखे गोल्ड के आधार पर ही लोन राशि निर्धारित होती है। लोन का भुगतान कर देने पर बैंक/NBFC कस्टमर को गोल्ड वापस कर देते हैं।
- लोन अंगेस्ट सिक्योरिटी: बैंक/एनबीएफसी के पास अपने शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर, म्यूचुअल फंड आदि को गिरवी रख कर लोन ले सकते हैं। ये लोन ओवरडॉफ्ट के रुप में दिया जाता है यानी इस्तेमाल किए गए लोन राशि पर ही इंटरेस्ट पेमेंट करना होगा। लोन राशि का निर्धारण गिरवी रखे सिक्योरिटी के आधार पर तय किया जाता है।
- लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (LAP): अपनी संपत्ति को बैंक के पास गिरवी रख कर कर्ज लेना, लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (LAP) के नाम से जाना जाता है। लोन राशि का निर्धारण गिरवी रखी जा रही प्रॉपर्टी के मूल्य पर निर्भर करता है। आमतौर पर बैंक संपत्ति के मूल्य का 50% से 70% तक लोन देते हैं। इस लोन की खास बात ये होती है कि समय से EMI पेमेंट करते रहने पर आप अपनी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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- होम लोन: अपने सपनों का घर खरीदने के लिए ये एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। लगभग सभी बैंक और कई हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसी) घर/फ्लैट/जमीन खरीदने, रेनोवेशन, कंस्ट्रक्शन या एक्शटेंशन के लिए होम लोन प्रदान करती हैं। लोन राशि होम प्रॉपर्टी वैल्यू की 75% से 90% तक होती है।
- कार/व्हिकल लोन: दो या चार पहिया वाहन खरीदने के लिए कार लोन ले सकते हैं। बैंक कस्टमर के क्रेडिट स्कोर, आय, जॉब प्रोफाइल आदि के आधार पर लोन देते हैं। कुछ बैंक इलेक्ट्रिक व्हिकल लेने वाले कस्टमर को कम ब्याज दर पर लोन देते हैं।
- बिजनेस लोन: बैंक और NBFC लोगों को बिजनेस शुरू करने, बिजनेस बढ़ाने और व्यवसाय की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजनेस लोन देते हैं। लोन देने से पहले बैंक आवेदक की आयु, बिजनेस कितने सालों से चल रहा है, उसका टर्नओवर, आईटीआर आदि चेक करते हैं। सरकार द्वारा दिए जाने वाले बिजनेस लोन के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।