अक्सर उद्योग अपनी छोटी-बड़ी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बिज़नेस लोन लेते हैं। लेकिन कई बार बिज़नेस लोन एप्लीकेशन मंज़ूर नहीं होती, और ज़्यादातर छोटे बिज़नेस उद्योगों के साथ होता है। ट्रांसयूनियन सिबिल की दिसंबर 2022, की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 6.1 करोड़ एमएसएमई हैं, जबकि वर्ष 2022 में केवल 27 लाख को ही लोन मिल पाया। बैंक कई कारकों के आधार पर लोन एप्लीकेशन स्वीकार या अस्वीकार करते हैं। इस लेख में हम बताएंगें की आप कैसे अपनी बिज़नेस लोन एप्लीकेशन स्वीकार होने की संभावनाएं बढ़ा सकते हैं।
एक अच्छा बिज़नेस प्लान बनाएं
बिज़नेस लोन अप्लाई करते समय आपको ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ-साथ अपना बिज़नेस प्लान भी जमा करना होता है। बैंक आपके बिज़नेस प्लान का मूल्यांकन करते हैं, ये देखने के लिए कि भविष्य में प्रॉफिट और लॉस की कितनी संभावना है। अगर बैंक को लगा कि आपका बिज़नेस प्लान काम नहीं करेगा तो आपकी लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो सकती है।
इसलिए एक अच्छा बिज़नेस प्लान आपके लोन अप्रूव्ल की संभावना को बढ़ा सकता है। एक अच्छे बिज़नेस प्लान में आपके बिज़नेस के उद्देश्य. सेल्स स्ट्रेटेजी और बिज़नेस को कैसे आगे बढ़ाना चाहते हैं, ये सभी बातें होनी चाहिए। साथ ही इसमें बैकअप प्लान भी होना चाहिए जिसमें बिज़नेस को घाटा होने पर भी लोन के भुगतान की योजना बतायी गई हो।
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अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाएं रखें
कोई भी लोन लेने के लिए आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए। क्रेडिट स्कोर ये दर्शाता है कि व्यक्ति को लोन देने में कितना रिस्क है। क्रेडिट स्कोर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है, इस रिपोर्ट में ये जानकारी होती है कि आप अबतक कितने लोन और क्रेडिट ले चुके हैं, उनमें से कितनो का भुगतान आपने समय पर किया है और आदि।
कम क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को लोन मिलने में मुश्किल आती है। ज़्यादातर बैंक 750 और उससे अधिक क्रेडिट स्कोर को अच्छा मानते हैं। इसलिए अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना ज़रूरी है और अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम है तो उसे सुधारने का प्रयास करें। हालांकि बिज़नेस लोन में क्रेडिट स्कोर का महत्व थोड़ा कम हो जाता है, क्योंकि इस लोन के बदले बैंक में सिक्योरिटी जमा करनी पड़ती है, अगर आप लोन का भुगतान नहीं करते हैं तो बैंक उसे बेच सकता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि क्रेडिट स्कोर को नज़रंदाज़ कर सकते हैं, अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना आपकी फाइनेंशियल हैल्थ के लिए बहुँत ज़रूरी है।
क्रेडिट स्कोर अलावा, सिबिल एमएसएमई रैंक भी महत्वपूर्ण है। ये रैंक ट्रांसयूनियन सिबिल द्वारा उन व्यवसायों को दी जाती है जिन्होंने 10 लाख रु. से 50 करोड़ रु. तक का लोन लिया हुआ है या लिया था। ये रैंक 1 से 10 के बीच होती है, रैंक जितनी 1 के करीब होगी उतनी अच्छी मानी जाती है और बैंक को लोन देने में उतना कम रिस्क होता है। सिबिल तीन आधार पर एमएसएमई को ये रैंक देता है:
- प्रोफाइल ऑफ़ लिक्विडिटी: एमएसएमई ने पिछले दो वर्षों में अपने फण्ड का उपयोग कैसे किया है।
- फिर्मोग्रफ़िक: इसमें ये देखा जाता है कि आपका व्यवसाय कितना पुराना है, व्यवसाय किस इंडस्ट्री का हिस्सा है और कहा स्थित है।
- रीपेमेंट बिहेवियर: एमएसएमई ने अबतक जितने लोन लिए हैं उनका भुगतान रिकॉर्ड कैसा रहा है, और उसके पास कितने एसेट्स हैं।
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कैश फ्लो को मैनेज करें
बिज़नेस लोन के लिए आपकी योग्यता चेक करते समय बैंक व लोन संस्थान आपके कैश फ्लो को ज़रूर चेक करते हैं, क्योंकि इसके ज़रिए आपकी लोन भुगतान क्षमता के बारे में पता चलता है। बिज़नेस से आप कितना कमा रहे हैं और उसमें से कितना खर्च कर रहें है? यह सब चीज़ें बैंक द्वारा चेक की जाती है।
अगर कैश फ्लो कम है तो आपको लोन देने में बैंक का रिस्क बढ़ जाएगा। ऐसे में कम कैश फ्लो होने पर ज़्यादा लोन राशि के लिए अप्लाई न करें और अपने मासिक खर्चों को ध्यान में रखते हुए ही लोन अप्लाई करें। इसके अलावा कैश फ्लो को बेहतर बनाने के लिए गैर-ज़रूरी खर्चों से भी बचें।
सिक्योरिटी की मदद लें
बिज़नेस लोन लेने के लिए आपको बैंक में सिक्योरिटी यानी संपत्ति गिरवी रखनी पड़ती है। इसके कई फायदे हैं, जैसे सिक्योर्ड लोन होने के कारण इसकी ब्याज दरें उस लोन से कम होती हैं जो बिना किसी सिक्योरिटी के मिलते हैं। दूसरा, अगर आपकी क्रेडिट प्रोफाइल अच्छी नहीं है या आपको ज़्यादा लोन राशि चाहिए तो लोन के बदले बैंक गिरवी रखी जा रही सिक्योरिटी मददगार साबित होती है। सिक्योरिटी के कारण आपको लोन देने में बैंक का रिस्क कम हो जाता है, इसलिए कम क्रेडिट स्कोर या आपकी क्रेडिट प्रोफाइल में कोई कमी होने के बावजूद भी कई बार बैंक बिज़नेस लोन दे देते हैं।
अगर आप तुलनात्मक रूप से अधिक मूल्य की संपत्ति बैंक में गिरवी रखी गई है, तो ज़्यादा लोन राशि मिलने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन इसके लिए आपकी भुगतान क्षमता भी ज़्यादा होनी चाहिए, यानी आपकी इनकम बैंक की शर्तों के अनुसार होनी चाहिए, साथ ही आपकी वर्तमान ईएमआई (अगर कोई है) और जो लोन ले लेने वाले हैं उसकी ईएमआई आपकी इनकम के 50%-60% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए, इसे डेट टू इनकम रेश्यो कहते हैं। अगर ऐसा है तो लोन की भुगतान अवधि लम्बी चुनें ताकि उसकी ईएमराशि कम रहे। बता दें कि भुगतान अवधि लम्बी चुनने से कुल ब्याज भुगतान बढ़ जाता है।
बिज़नेस लोन एप्लीकेशन अप्रूव होने की सम्भावनाएं बढ़ाने के लिए ऊपर जो चीज़े बताई गयी हैं, उनके अलावा अन्य बातों पर भी ध्यान दें जैसे, उस बैंक में अप्लाई करें जहाँ पहले से ही आपका डिपॉज़िट या क्रेडिट अकाउंट हो, क्योंकि कई बार बैंक अपने वर्तमान कस्टमर को अन्य कस्टमर के मुकाबले ज़्यादा तरजीह देते हैं| बिज़नेस लोन के लिए डॉक्यूमेंट्स की एक लंबी लिस्ट चाहिए होती है, कोशिश करें कि उनमें से ज़्यादा से ज़्यादा आपके पास हों ताकि बैंक का भरोसा आपके ऊपर बढ़े।