बिज़नेस लोन

जानें बिल डिस्काउंटिंग और इनवॉइस डिस्काउंटिंग क्या है?

जानें बिल डिस्काउंटिंग और इनवॉइस डिस्काउंटिंग क्या है?
Bharti
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बिज़नेस संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए समय-समय पर पैसों की ज़रूरत पड़ती है। लेकिन हर बार एक नया लोन लेना संभव नहीं होता। ऐसे में बिल डिस्काउंटिंग बेहतर विकल्प साबित होता है। इस लेख में बिल या इनवॉइस डिस्काउंटिंग किसे कहते है? बिल डिस्काउंटिंग की प्रक्रिया, इसके लाभों और नुकसानों के बारे में बताया गया है।

बिल डिस्काउंटिंग क्या है?

बिल डिस्काउंटिंग एक ऐसी लोन फैसिलिटी है, जो कि कारोबारी/कंपनी को अपने द्वारा बेचे गए वस्तुओं व सेवाओं के बिल के बदले मिलती है। कंपनी बेचीं गई अपनी उन वस्तुओं की रसीद बैंक को देती है, जिनकी पेमेंट आनी बाकी है और बैंक से इस शर्त पर लोन लिया जाता है कि बैंक तय तारीख पर ये रसीद खरीदार को देकर उससे पेमेंट खुद ले सकता है। रसीद में जो पेमेंट अमाउंट होता है उससे कुछ प्रतिशत कम तक लोन राशि बैंक कंपनी को देता है।

उदाहरण के लिए, आपने किसी कारोबारी को सामान बेचा। लेकिन कारोबारी उसकी पेमेंट 60 दिनों के बाद ही करेगा। ऐसे में अगर आपको इन 60 दिनों से पहले पैसे की ज़रूरत पड़ती है, तो आप अपने ऑर्डर का बिल देकर बैंक से लोन प्राप्त कर सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया बिल डिस्काउंटिंग या इनवॉइस डिस्काउंटिंग के रूप में जानी जाती है। बिल डिस्काउंटिंग का फायदा कारोबारी और बैंक दोनों को मिलता है, क्योंकि एक तरफ जहां कारोबारी को निश्चित तारीख से पहले ही रकम मिल जाती है, वहीं बैंक को भी उस रकम के बदले ब्याज मिल जाता है।

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इनवॉइस या बिल डिस्काउंटिंग की प्रक्रिया

कोई कंपनी या विक्रेता खरीदार को प्रोडक्ट और सर्विस प्रदान करती है और एक बिल जारी करती है, इसके बाद खरीदार बिल को स्वीकार करता है, बिल को स्वीकार करने का मतलब है कि खरीदार ने तय तारीख पर राशि का भुगतान करने की मंज़ूरी दी है। अब कंपनी/विक्रेता किसी बैंक/NBFC या थर्ड पार्टी को संपर्क कर बिल के बदले लोन की रिक्वेस्ट करती है। बैंक कंपनी की केड्रिट वर्थिनेस और बिल की वैलिडिटी को देखते हुए उस बिल अमाउंट से कुछ प्रतिशत कम राशि लोन के रूप में देता है। कंपनी को पैसे मिल जाते हैं, जिसका इस्तेमाल वह बिज़नेस संबंधित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करती हैं।

बिल डिस्काउंटिंग के लाभ

  • बिल डिस्काउंटिंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके ज़रिए कंपनी को ज़रूरत के समय तुंरत पैसे मिल जाते हैं।
  • लोन की तुलना में आसान प्रोसेसिंग और कम डोक्यूमेंटेशन।
  • बिल डिस्काउंटिंग किसी भी बिज़नेस के लिए वर्किंग कैपिटल की ज़रूरत को पूरा करने के लिए शॉर्ट टर्म लोन की तरह काम करती है।
  • बिल डिस्काउंटिंग के ज़रिए कंपनी की बैलेंस शीट को प्रभावित किए बगैर कैश फ्लो को मैनेज किया जा सकता है।

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बिल डिस्काउंटिंग के नुकसान

  • कई बार बैंक/NBFC या थर्ड पार्टी फाइनेंसर बिल डिस्काउंटिंग की सुविधा प्रदान करने के बदले अधिक ब्याज या कमीशन मांगते हैं।
  • बिल डिस्काउंटिंग लोन शोर्ट-टर्म होते हैं, इसलिए कुछ महीनों के भीतर ही इसका भुगतान करना पड़ता है।
  • इसका प्रभाव कंपनी के प्रॉफिट पर पड़ता है, क्योंकि कारोबार से होने वाले रेवेन्यू का एक हिस्सा बैंक लोन के बदले रख लेता है और कंपनी को कम प्रॉफिट होता है।

 

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