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Overdraft Facility: ओवरड्राफ्ट क्या है के साथ जानें इसके फायदे व नुकसान

Overdraft Facility: ओवरड्राफ्ट क्या है के साथ जानें इसके फायदे व नुकसान
Vandana Punj
Vandana Punj

ओवरड्राफ्ट एक ऐसी लोन सुविधा है जिसकी मदद से आप अपने अकाउंट में मौजूदा राशि से अधिक खर्च कर सकते हैं। उस वक्त उस राशि का भुगतान बैंक करता है। इस तरह तुरंत पैसों की ज़रूरत पड़ने पर ओवरड्राफ्ट लोन (Overdraft Loan) एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है। इसकी खास बात ये है कि इसके तहत केवल निकाली गई लोन राशि पर ब्याज लगता है। ये ब्याज दर कितनी है और ओवरड्राफ्ट के फायदे व नुकसान क्या हैं आदि ओवरड्राफ्ट लोन (OD) से संबंधित अन्य जानकारी के लिए ये लेख पढ़ें:

ओवरड्राफ्ट लोन क्या है?

ओवरड्राफ्ट एक ऐसी क्रेडिट सुविधा है जिसकी मदद से आवेदक अपने करंट या सेविंग अकाउंट से तब पैसे निकाल सकते हैं जब उसमें जीरो बैलेंस हो। हालांकि ग्राहक एक तय सीमा तक ही पैसे निकाल सकते हैं। ओर ये Overdraft सीमा आवेदक के क्रेडिट स्कोर, भुगतान रिकार्ड और बैंक के साथ ग्राहक के संबंध आदि के आधार पर तय किया जाता है। बैंक ओवरड्राफ्ट के रूप में निकाले गए पैसों पर ब्याज लेता है। हालांकि ओवरड्राफ्ट लोन की ब्याज दरें (Interest Rate on Overdraft) बैंक दर बैंक अलग होती है। ब्याज दरें आवेदक की प्रोफाइल, लोन राशि, भुगतान अवधि और बैंक या लोन संस्थान के साथ ग्राहक के संबंध आदि पर भी निर्भर करता है।

ओवरड्राफ्ट कैसे मिलता है?

ओवरड्रॉफ्ट लेने के लिए आप सबसे पहले अपने मौजूदा बैंक से संपर्क कर सकते हैं, जिसमें आपका करंट या सेविंग अकाउंट हो। या फिर अन्य किसी बैंक से ओवरड्रॉफ्ट लेने के लिए अप्लाई कर सकते हैं, जो कम ब्याज दर पर ओवरड्रॉफ्ट प्रदान करता हो। साथ ही उसकी प्रोसेसिंग फीस व रिन्यूवल फीस चेक करना न भूलें। इसके बाद जिस बैंक की ओवरड्रॉफ्ट फैसिलिटी आपको अच्छी लगे वहां अप्लाई कर दें। आमतौर पर सैलरी का 2 से 3 गुना ओवरड्रॉफ्ट मिल सकता है।

ओवरड्राफ्ट के लिए कौन पात्र है?

ओवरड्रॉफ्ट की योग्यता शर्तें एक बैंक से दूसरे बैंक में अलग हो सकती है। हालांकि यहां कुछ सामान्य योग्यता शर्तों के बारे में बताया गया है:

  • आवेदक के पास सेविंग या करंट अकाउंट होना चाहिए, जो 6 माह से 1 साल तक पुराना हो
  • स्थिर आय का स्रोत होना चाहिए जैसे नौकरी, बिज़नेस या पेंशन
  • 750 या उससे अधिक क्रेडिट स्कोर होने पर आवेदन को मंजूरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

ओवरड्राफ्ट लोन के फायदे

ओवरड्राफ्ट लोन के लाभ (Overdraft Benefits) निम्नलिखित प्रकार है:

  • बिजनेस को चलाने के लिए कैश फ्लो मैनेजमेंट में मदद करता है।
  • बिना किसी सिक्योरिटी या कोलैटरल के लोन ले सकते हैं यानी लोन लेने के लिए बैंक में कुछ गिरवी रखने की जरूरत नहीं है।
  • तुरंत पैसों की जरूरत पड़ने पर यह लोन मददगार है
  • ओवरड्राफ्ट की कुल राशि में से ब्याज केवल निकाले/इस्तेमाल किए गए पैसों पर लगता है
  • बिना झंझट के कम दस्तावेजों के साथ तुरंत लोन ले सकते हैं

ओवरड्राफ्ट लोन के नुकसान

ओवरड्राफ्ट लोन के फायदे हैं तो कुछ नुकसान (Overdraft Disadvantages) भी। इसके नकारात्मक पहलू निम्नलिखित है:

  • ओवरड्राफ्ट लोन की ब्याज दरें अधिक है और ब्याज दरों में परिवर्तन के अनुसार ब्याज शुल्क बदलता है
  • केवल बैंक खाता धारकों को ही ये लोन ऑफर किया जाता है
  • लोन राशि आवेदक के वित्तीय स्थिति पर निर्भर करती है
  • ओवरड्राफ्ट लोन लॉन्ग टर्म फाइनेंस के लिए उपयुक्त नहीं है

ओवरड्राफ्ट लोन के प्रकार

बैंक व लोन संस्थान अलग-अलग तरह के ओवरड्राफ्ट सुविधा (Overdraft Facility) ऑफर करते हैं, जिनमें से कुछ के बारे में निम्नलिखित बताया गया है:

सैलरीड अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट

कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए खोले गए सैलरीड अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट (Salary Account Overdraft) की सुविधा मिल सकती है। बशर्ते कि खाताधारक के अकाउंट में सैलरी नियमित रूप से आती रहे। बैंक कस्टमर के वर्तमान सैलरी के 3 गुना ओवरड्राफ्ट लोन दे सकते हैं। या फिर आवेदक की सैलरी अनुसार लोन राशि 4 लाख भी हो सकती है। आवेदक को केवल इस्तेमाल किए गए राशि पर ही ब्याज का भुगतान करना होता है। इस लोन को लेने के लिए अधिक दस्तावेजों की जरूरत नहीं होती।

सेविंग अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट

इसके तहत आवेदक अपने सेविंग अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट (Saving Account Overdraft) की सुविधा ले सकता है। प्रधानमंत्री जन-धन के तहत खाता खुलवाने वाले लोग 5 हजार या पिछले महीने के मौजूदा बैलेंस (जो भी कम हो) का 4 गुना ओवरड्राफ्ट के रूप में ले सकते हैं। ओवरड्राफ्ट का दूसरा उदाहरण सीटीबैंक सुविधा सेविंग अकाउंट है। इसके तहत ग्राहक अपनी नेट मंथली सैलरी के 5 गुना लोन राशि ले सकते हैं। इस लोन पर बैंक ब्याज समेत न्यूनतम EMIs फिक्स कर देती है, जिसे ग्राहक अपनी सुविधानुसार बढ़ा भी सकते हैं। इस स्कीम के तहत लोन प्रीपेमेंट करने पर कोई चार्ज नहीं देना पड़ता।

टाइम डिपॉजिट (एफडी) पर ओवरड्राफ्ट

फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले भी ओवरड्राफ्ट (Time Deposit Overdraft) लिया जा सकता है। हालांकि सभी बैंक ये सुविधा नहीं देते। यह बैंक की अपनी पॉलिसी पर निर्भर करता है। देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) एफडी पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है। न्यूनतम 25,000 रु से लेकर अधिकतम 5 करोड़ तक लोन ले सकते हैं। ये लोन राशि कस्टमर के FD के 90% से अधिक नहीं हो सकती है। लोन की भुगतान अवधि ओवरड्राफ्ट लिमिट और कस्टमर के भुगतान क्षमता पर निर्भर करता है।

ओवरड्राफ्ट से पैसे कैसे निकाले जाते हैं?

ओवरड्रॉफ्ट से पैसे निकालने के कई तरीके हैं, जिसके बारे में नीचे बताया गया है:

  • एटीएम से नकद निकालना- आप अपने बैंक के एटीएम या किसी अन्य नेटवर्क से जुड़े एटीएम से नकद निकाल सकते हैं।
  • चेक लिखकर- आप ओवरड्राफ्ट लिमिट के भीतर चेक लिख सकते हैं।
  • ऑनलाइन या मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से- आप अपने बैंक के ऑनलाइन या मोबाइल बैंकिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं।
  • पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन के माध्यम से- आप कार्ड स्वाइप करके दुकानों या अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर भुगतान कर सकते हैं।
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ओवरड्राफ्ट से संबंधित प्रश्न

ओवरड्राफ्ट पर कितना ब्याज लगता है?

ओवरड्रॉफ्ट पर लगने वाली ब्याज दरें आवेदक के क्रेडिट स्कोर, इनकम, जॉब प्रोफाइल और लोन राशि जैसे कारकों पर निर्भर करती है। साथ ही एक ही आवेदक की सेम प्रोफाइल पर ब्याज दरें एक बैंक से दूसरे बैंक में अलग हो सकती है। इसलिए विभिन्न बैंकों से ब्याज दर की तुलना करने के बाद अपने लिए बेहतर ऑप्शन चुनें।

ओवरड्राफ्ट क्या होता है?

ओवरड्राफ्ट एक ऐसी लोन सुविधा होती (Overdraft Account ) है, जिसके तहत आवेदक अपने सेविंग या करंट अकाउंट से एक निश्चित सीमा तक पैसे निकाल सकते हैं। वो भी तब जब उसके अकाउंट में पैसे न हो।

चालू खाते में ओवरड्राफ्ट सीमा क्या है?

आमतौर पर ओवरड्रॉफ्ट की लिमिट आवेदक के मासिक इनकम के 2 से 3 गुना हो सकती है। हालांकि यह केवल अनुमानित लिमिट है वास्तविक लिमिट बैंक तय करता है। और लिमिट निर्धारण के समय बैंक आवेदक का क्रेडिट स्कोर, इनकम और बैंक संबंध आदि कारकों पर ध्यान देता है।

ओवरड्राफ्ट और टर्म लोन में क्या अंतर है?

ओवरड्राफ्ट और टर्म लोन में मुख्य अंतर यह है कि ओवरड्रॉफ्ट लोन के तहत केवल इस्तेमाल किए गए अमाउंट पर ही ब्याज भरना होता है जबकि टर्म लोन पर सारी राशि पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।

ओवरड्राफ्ट का भुगतान न करने पर क्या होगा?

अगर आवेदक समय पर ओवरड्राफ्ट लोन का भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक आवेदक के वर्तमान बचत खाते से बकाया राशि और ब्याज दर की राशि निकालने का अधिकार रखता है।

ओडी का फुल फार्म क्या होता है?

OD को विस्तृत रुप में ओवर ड्रॉफ्ट (Overdraft) कहते हैं।

एसबीआई ओवरड्राफ्ट लोन सुविधा क्या है?

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) एफडी पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है। इसके तहत आवेदक न्यूनतम 25 हजार और अधिकतम 5 करोड़ तक लोन ले सकते हैं। हालांकि लोन राशि एफडी के 90% से अधिक नहीं हो सकती।

बैंक किस तरह के खाते में ओवरड्राफ्ट लोन देते हैं?

बैंक व लोन संस्थान ओवरड्राफ्ट लोन सैक्संड करने से पहले आवेदक के सेविंग या करंट अकाउंट दोनों पर विचार करते हैं। यानी दोनों में से किसी भी अकाउंट में ओवरड्राफ्ट लोन की सुविधा मिल सकती है।

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