क्रेडिट कार्ड

क्रेडिट कार्ड लेने से पहले जानें उससे जुड़े 5 कॉमन टर्म्स के बारे में

क्रेडिट कार्ड लेने से पहले जानें उससे जुड़े 5 कॉमन टर्म्स के बारे में
Bharti
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आज के समय में क्रेडिट कार्ड एक ज़रूरत बन चुका है। इससे आप रोज़ की खरीदारी और बिल पेमेंट आसानी से कर सकते हैं और उन पर अमूमन रिवॉर्ड्स, डिस्‍काउंट और कैशबैक जैसे बेनिफिट्स द्वारा आगे के खर्चों पर सेविंग्स भी कर सकते हैं। जिन लोगों के पास क्रेडिट कार्ड हैं उन्हें नो कॉस्ट ईएमआई (जिसमें ईएमआई पर ब्याज नहीं चुकाना होता) की सुविधा भी मिलती है। अगर आप अपना पहला क्रेडिट कार्ड लेने की सोच रहे हैं, तो आपको इससे जुड़े कुछ शब्दों के बारे में पता होना चाहिए, जिससे आगे चलकर आपको किसी भी तरह का कंफ्यूजन न हो और आप क्रेडिट कार्ड का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकें।

क्रेडिट से जुड़े इन टर्म्स के को समझना है ज़रूरी

1. क्रेडिट लिमिट: प्रत्येक क्रेडिट कार्ड एक क्रेडिट लिमिट के साथ आता है। क्रेडिट लिमिट यानी कि वह सीमित राशि जिसे आप अपने क्रेडिट कार्ड के ज़रिए खर्च कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड की लिमिट आपके इनकम, क्रेडिट स्कोर, डेट-टू-इनकम रेश्यो (DTI) और क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक की नियम व शर्तों आदि के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं। आमतौर पर जिन कस्टमर्स की क्रेडिट स्कोर और लोन पेमेंट हिस्ट्री अच्छी होती है, उन्हें अधिक लिमिट ऑफर की जा सकती है। वहीं खराब क्रेडिट स्कोर या पेमेंट हिस्ट्री वाले कस्टमर्स को कम क्रेडिट स्कोर ऑफर किया जाता है।

2. एनुअल परसेंटेज रेट (APR): अगर आप एक बिलिंग पीरियड के दौरान तय तारीख के भीतर क्रेडिट कार्ड के पूरे बकाया बिल का भुगतान नहीं करते तो बकाया राशि पर ब्याज लगता है, इसी ब्याज को एपीआर के नाम से जाना जाता है। आसान शब्दों में समझें तो आपके क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले सालाना ब्याज को एपीआर कहा जाता है। ये आमतौर पर 38% से 45% तक का होता है पर कुछ केसेस में इससे ज़्यादा भी हो सकता है।

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3. कैश एडवांस/ कैश विड्रॉल: एटीएम के ज़रिए क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने की सुविधा को कैश एडवांस या कैश विड्रॉल कहते है। क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने पर कैश एडवांस फीस का भुगतान करना पड़ता है। यह फीस निकाली गई राशि के 2.5% से 3% तक हो सकती है। कैश एडवांस पर लागू फीस व चार्ज़ेस की वजह से यह काफी महंगा साबित हो सकता है। इसके साथ ही कैश एडवांस में ग्रेस पीरियड का लाभ नहीं मिलता, इसमें ट्रांजैक्शन की तारीख से ही ब्याज लगने लगता है। साथ ही नए खरीदारी पर भी पहले ही दिन से फाइनेंस चार्ज़ेस या ब्याज देना होता है जिसकी वजह से आपका ऋण जल्द बढ़ जाता है।

4. इंटरेस्ट-फ्री पीरियड/ फ्री क्रेडिट पीरियड: क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट के जारी होने की तारीख से बकाया राशि के भुगतान तक की अवधि को इंटरेस्ट-फ्री पीरियड या फ्री क्रेडिट पीरियड कहा जाता है। ग्रेस पीरियड या इंटरेस्ट-फ्री पीरियड के दौरान क्रेडिट कार्ड के ज़रिए खरीदारी करने पर कोई ब्याज नहीं देना होता। इंटरेस्ट-फ्री पीरियड 20 से 50 दिन तक का हो सकता है, जो कि हर बैंक अलग-अलग ऑफर कर सकता है।

5. टोटल अमाउंट ड्यू और मिनिमम अमाउंट ड्यू: आपके क्रेडिट कार्ड बिल पर दो अमाउंट लिखे होते हैं – एक टोटल अमाउंट ड्यू और एक मिनिमम अमाउंट ड्यू। टोटल अमाउंट ड्यू आपके पूरे महीने का बिल है जिसका भुगतान आपने अभी नहीं किया है। मिनिमम अमाउंट ड्यू आपके टोटल अमाउंट ड्यू का बहुत छोटा सा (लगभग 5 फीसदी) हिस्सा है जिसे आप लेट पेमेंट फीस से बचने के लिए दे सकते है। अगर आप सिर्फ मिनिमम अमाउंट ड्यू भरने का सोच रहे हैं तो ध्यान रहे की आपको बाकी के बिल अमाउंट पर इंटरेस्ट (आम तौर पर 3% से 4% प्रति महीने की दर से) देना होगा। मतलब कि सालाना 30 से 40 फीसदी का उच्च ब्याज देना होगा। वह भी उस दिन से देना होगा, जिस दिन आपने खरीदारी की है। इसके अलावा जब आप टोटल अमाउंट ड्यू नहीं दे पाते है तब आपके नए पर्चासेस पर भी पहले ही दिन से फाइनेंस चार्जेज यानि की ब्याज लगना शुरू हो जाता है।

 

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