सरकार द्वारा कई तरह के प्रोविडेंट फंड चलाए जाते हैं, जिनमें आप अपने रिटायरमेंट के लिए पैसे जमा कर सकते हैं। इन्हीं में शामिल हैं GPF, EPF और PPF जैसे प्रोविडेंट फंड। भले ही इनके नाम एक जैसे हैं, लेकिन ये एक-दूसरे से काफी अलग हैं। इस लेख में GPF, EPF और PPF क्या है और इनके बीच के प्रमुख अंतरो के बारे में बताया गया है।
जनरल प्रोविडेंट फंड क्या है? (GPF)
सरकारी कर्मचारियों को जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा दी जाती है। इसके तहत कर्मचारी की सैलरी का 6% इस फंड में जमा किया जाता है और उस राशि पर ब्याज मिलता है। GPF की वर्तमान ब्याज दर 7.1% है। जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा का लाभ 1 साल से नौकरी करने वाले अस्थायी सरकारी कर्मचारी, सभी स्थायी कर्मचारी और रिटारमेंट के बाद फिर से काम पर रखे गए पेंशनर उठा सकते हैं।
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एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF)
कोई भी निजी कंपनी जिसमें 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं, को EPF के अंतर्गत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। EPF के तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी और DA में से 12% का योगदान करना होता है। इतना ही योगदान नियोक्ता द्वारा भी किया जाता है। EPF फंड पर सरकार द्वारा ब्याज दिया जाता है, वर्तमान में EPF की ब्याज दर 8.15% है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
PPF में कोई भी भारतीय अपने पैसे जमा कर सकता है। PPF में न्यूनतम 500 रु. और अधिकतम 1.5 लाख रु. तक सलाना जमा किया जा सकता है। PPF में 15 साल तक की अवधि के लिए राशि जमा की जा सकती है। इससे अधिक की अवधि के लिए राशि 5-5 साल के क्रम जमा की जा सकती है। PPF में जमा राशि पर ब्याज मिलता है, वर्तमान में PPF की ब्याज दर 7.1% है।
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GPF, EPF और PPF के बीच अंतर
शर्तें |
GPF |
EPF |
PPF |
योग्यता |
केवल सरकारी कर्मचारी |
केवल संगठित क्षेत्र के कर्मचारी |
सभी भारतीय निवासी |
ब्याज़ दर |
7.1% |
8.15% |
7.1% |
मैच्योरिटी अवधि |
रिटायरमेंट तक |
58 वर्ष की उम्र |
15 साल की अवधि |
प्रीमैच्योर विड्रॉल |
सरकारी नौकरी छोड़ने पर |
1 महीने से बेरोज़गार होने पर |
5 साल के बाद मेडिकल और बच्चों की शिक्षा के आधार पर |