क्रेडिट स्कोर से जुड़ी कई ऐसी गलतफहमियां हैं जो लोगों के बीच रची बसी हैं। अन्य फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की तरह क्रेडिट स्कोर के बारे में कम जानकारी की वजह से लोग इससे संबंधित गलत धारणाओं पर भरोसा कर लेते हैं, जिसका प्रभाव उनके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। ऐसे में इन गलतफहमियों को दूर करना ज़रूरी है। आइए क्रेडिट स्कोर से जुड़ी आम गलतफहमियों के बारे में जानें।
गलतफहमी 1: बहुत सारे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने से क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है
कई लोग मानते हैं कि बहुत सारे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने से उनके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, ऐसा नहीं। बल्कि आप विभिन्न क्रेडिट कार्डों पर मिलने वाले लाभों, रिवॉर्ड पॉइंट आदि को ध्यान रखते हुए अगर खर्च करते हैं तो काफी बचत कर सकते हैं। लेकिन अगर आप जिम्मेदारी के साथ क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करते, अपनी क्रेडिट लिमिट से अधिक खर्च करते हैं तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है। इसके अलावा एक ही समय में कई क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने से भी आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
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गलतफहमी 2: सिर्फ लोन या क्रेडिट कार्ड आवेदकों को अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करनी चाहिए
आपने कितने लोन व क्रेडिट कार्ड लिए हैं, उनका भुगतान समय पर किया है या नहीं, कहीं कोई डिफॉल्ट तो नहीं किया, ये सभी जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज होती है और आपके क्रेडिट स्कोर को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में लोन व क्रेडिट कार्ड या उनके भुगतान से संबंधित कोई गलत जानकारी या फ्रॉड ट्रांजैक्शन है तो ये आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है। बहुत से कस्टमर्स यह मानते हैं कि केवल उन्हीं लोगों को अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करनी चाहिए जिन्होनें लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में पिछले लोन संबंधित जानकारी भी गलत हो सकती है। ऐसे में समय-समय पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें जिससे कोई गलती होने पर उसे समय रहते ठीक कर सकें।
गलतफहमी 3: जॉइंट लोन लेने या गारंटर बनने से क्रेडिट स्कोर प्रभावित नहीं होता
प्राथमिक आवेदक की तरह ही गारंटर और को-एप्लीकेंट लोन के भुगतान के लिए बराबर के जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में अगर प्राथमिक आवेदक लोन के भुगतान में डिफॉल्ट करता है तो इससे सिर्फ उसका क्रेडिट स्कोर कम नहीं होगा, बल्कि गारंटर और को-एप्लीकेंट का भी क्रेडिट स्कोर प्रभावित होगा। ऐसे में अगर आप को-एप्लीकेंट या गारंटर बनते हैं तो समय-समय पर लोन के भुगतान को ट्रैक करें।
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गलतफहमी 4: बैंक/NBFC बिना क्रेडिट हिस्ट्री वाले आवेदकों को लोन देना पसंद करते हैं
कई लोग यह मानते हैं कि बैंक बिना क्रेडिट हिस्ट्री वाले लोगों को लोन देना पंसद करते हैं। हालांकि, यह बिल्कुल गलत है। बैंक क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर यह तय करते हैं कि आवेदक को लोन देने में जोखिम है या नहीं। क्रेडिट हिस्ट्री में सभी लोन और उनके भुगतान रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी होती है, जिससे यह पता चलता है कि आवेदक लोन का भुगतान जिम्मेदारी से करेगा या नहीं। बिना क्रेडिट हिस्ट्री वाले आवेदकों के मामले में यह तय करना मुश्किल होता है। इसलिए ऐसे आवेदकों के लोन एप्लीकेशन के अप्रूव होने की संभावना भी कम होती है।
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गलतफहमी 5: क्रेडिट स्कोर कम होने पर लोन नहीं मिलता
बैंक और लोन संस्थान आवेदक के लोन एप्लीकेशन को चेक करते समय कई कारकों का ध्यान रखते हैं जैसे – क्रेडिट स्कोर, इनकम आदि। ऐसे में यह मानना कि क्रेडिट स्कोर कम होने पर लोन मिलेगा ही नहीं, बिल्कुल गलत है। कम क्रेडिट स्कोर वाले लोगों को लोन मिलने में मुश्किल आती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनको लोन मिलेगा ही नहीं। कम क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को भी लोन दिया जा सकता है, लेकिन उन्हें लोन पर अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है।