क्रेडिट स्कोर

सिबिल रिपोर्ट में DPD क्या होता है और ये आपके क्रेडिट स्कोर को कैसे प्रभावित करता है, जानें

सिबिल रिपोर्ट में DPD क्या होता है और ये आपके क्रेडिट स्कोर को कैसे प्रभावित करता है, जानें
Vandana Punj
Vandana Punj

सिबिल रिपोर्ट में डेज़ पास्ट ड्यू (DPD) बहुत अहम जानकारी होती है। क्योंकि इसके आधार पर किसी आवेदक का लोन आवेदन मंजूर या नामंजूर हो सकता है। बैंक/NBFC लोन देने से पहले इस सेक्शन का गहन मूल्यांकन करते हैं और ज़ीरो डीपीडी वाले आवेदक को लोन देना पसंद करते हैं। तो चलिए इस लेख में समझते हैं कि DPD (Days Past Due) क्या होता है, ये आपके क्रेडिट स्कोर को और लोन मिलने की संभावना को कैसे प्रभावित करता है।

DPD क्या होता है?

किसी व्यक्ति के सिबिल रिपोर्ट (जिसे क्रेडिट रिपोर्ट भी कहा जाता है) में डेज़ पास्ट ड्यू उसकी रिपेमेंट हिस्ट्री को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि आपने लोन की ईएमआई या क्रेडिट कार्ड बिल जमा करने की तय तारीख के बाद से कितने दिन से भुगतान नहीं किया है। आमतौर पर बैंक व एनबीएफसी उन लोगों को लोन देना पसंद करते हैं जिनका डीपीडी शून्य होता है।

इसे उदाहरण से समझें- अगर आपने अब तक अपने कर्ज का भुगतान समय पर किया है तो आपका डीपीडी ‘000’ होगा। लेकिन अगर आप बिल भुगतान के तय तारीख से 40 दिन बाद पेमेंट करते हैं तो आपके क्रेडिट रिपोर्ट में डीपीडी ’40’ दिखाया जाएगा। यानी आपने ऋण भुगतान में 40 दिनों की देरी की है।

डीपीडी लोन योग्यता को कैसे प्रभावित करता है?

चूंकि डीपीडी आपकी रिपेमेंट हिस्ट्री होती है, इसमें 36 महीनों का रिकार्ड होता है। जिससे बैंक/NBFCs को पता चलता है कि आपने अपने पिछले लोन का भुगतान समय से किया है या नहीं। इसके आधार पर लोन संस्थान आवेदक के जोखिम क्षमता का मूल्यांकन करते हैं और निर्धारित करते हैं कि आवेदक को लोन देना है या नहीं।

आमतौर पर बैंक व एनबीएफसी शून्य DPD वाले आवेदक को लोन देना पसंद करते हैं क्योंकि ऐसे आवेदक समय से लोन भुगतान करते हैं, जिससे उनके लोन डिफॉल्ड होने की संभावना कम होती है। इस तरह DPD (Days Past Due) किसी आवेदक के लोन मिलने की संभावना को प्रभावित करता है।

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डीपीडी से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तत्व

डीपीडी से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण टर्म्स और उसकी परिभाषा निम्न प्रकार है:

  • स्टैंडर्ड (STD)- इसका मतलब है कि आपने 90 दिनों के अंदर भुगतान किया है।
  • स्पेशल मेंशन अकाउंट (SMA)- यह एक स्पेशल अकाउंट है, जो स्टैडर्ड से सब-स्टैंडर्ड की ओर जाने वाले अकाउंट की रिपोर्टिंग के लिए तैयार किया गया है।
  • सब-स्टैंडर्ड (SUB)- इसका मतलब है भुगतान 90 दिनों के बाद किया गया है।
  • डाउटफुल (DBT)- इसका मतलब है कि अकाउंट 12 महीने या उससे अधिक समय के लिए सब-स्टैंडर्ड बना हुआ है।
  • हानि (LSS)- जिन उधारकर्ताओं से भुगतान की कोई संभावना नहीं रहती है, उन्हें LSS अकाउंट कहते हैं।

नोट- सलाह दी जाती है कि अपना सिबिल रिपोर्ट समय-समय पर चेक करें और इसमें किसी तरह की गलती मिलने पर क्रेडिट ब्यूरो को सूचित कर जल्द से जल्द सुधार करवाएं ताकि आपका क्रेडिट स्कोर कम न हो।

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डीपीडी से संबंधित सवाल

सिबिल रिपोर्ट में डीपीडी (DPD in CIBIL Report) कहां होता है?

डीपीडी आपके सिबिल रिपोर्ट के पेमेंट हिस्ट्री सेक्शन में होता है। आमतौर पर शून्य डीपीडी को अच्छा माना जाता है क्योंकि ये दर्शाता है कि आपने लोन भुगतान में कोई देरी नहीं की है यानी समय से लोन और क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट करते हैं।

सिबिल रिपोर्ट में डीपीडी होने का क्या मतलब है?

सिबिल रिपोर्ट में डेज़ पास्ट ड्यू (डीपीडी) दर्शाता है कि आपने ईएमआई या क्रेडिट कार्ड बिल जमा करने की तय तारीख के बाद कितने दिन से भुगतान नहीं किया है। यानी ये आपकी रिपेमेंट हिस्ट्री दर्शाता है।

सिबिल रिपोर्ट में शामिल डीपीडी का फुल फॉर्म (DPD Full Form) क्या है?

सिबिल रिपोर्ट में डीपीडी का फुल फॉर्म “डेज़ पास्ट ड्यू” होता है। जो आपके लोन भुगतान में देरी या डिफॉल्ट को हाइलाइट करता है (अगर कोई है)।

क्या हम सिबिल रिपोर्ट से डीपीडी हटा सकते हैं?

जैसा कि हम सिबिल रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं वैसे ही डीपीडी में कोई बदलाव या एडिट नहीं किया जा सकता है। हालांकि समय से लोन ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करके डीपीडी में सुधार लाया जा सकता है।

बैंकिंग में डेज़ पास्ट ड्यू (DPD) का क्या मतलब होता है?

डेज़ पास्ट ड्यू (DPD meaning in banking) आपके सिबिल रिपोर्ट के पेमेंट हिस्ट्री सेक्शन में दिया हुआ होता है। यह आपके लोन भुगतान में देरी या डिफॉल्ट को हाइलाइट करता है।

डीपीडी क्रेडिट स्कोर से किस तरह अलग है?

डेज़ पास्ट ड्यू (डीपीडी) से लोन या क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान में की गई चूक या देरी के बारे में पता चलता है। जबकि क्रेडिट स्कोर 3 अंकों की संख्या होती है, जिससे आपकी साख और क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में पता चलता है।

डीपीडी में 30 डेज़ पास्ट ड्यू होने का क्या मतलब है?

आप जितने दिन की देरी से भुगतान करते हैं डीपीडी में वह नंबर के रुप में दर्शाया जाता है। जैसे अगर आप भुगतान में 30 दिनों की देरी करते हैं, तो क्रेडिट ब्यूरो आपकी CIBIL रिपोर्ट में उस महीने के लिए आपकी डीपीडी को “30” के रूप में अपडेट करता है। लगातार 2 भुगतान चूकने पर यह “60” दर्शाएगा।

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