इमरजेंसी फंड आपके द्वारा इक्ट्ठा किया गया वह पैसा है, जो किसी फाइनेंशियल क्राइसिस से निकलने में आपकी मदद करता है। क्योंकि बीमारी, एक्सीडेंट अचानक नौकरी चले जानें जैसी स्थितियां कभी बताकर नहीं आती। अचानक आने वाली ऐसी ज़रूरत से निपटने में इमरजेंसी फंड काफी काम आ सकता है। आप चाहे नौकरी करते हों या बिज़नेस, आपकी सैलरी कम हो या ज्यादा दोनों ही मामलों में आपके पास इमरजेंसी फंड होना चाहिए।
कितना हो इमरजेंसी फंड
इमरजेंसी फंड में कितना पैसा जमा करना है, यह आपकी इनकम और मासिक खर्चों पर निर्भर करेगा। लेकिन ज्यादातर फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि इमरजेंसी फंड में तीन से छह महीने के खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त पैसा होना चाहिए। मान लीजिए, आप महीने का 35,000 रु. कमाते हैं जिसमें 20,000 रु. आपका मासिक खर्च है और 15,000 रु. बचाते हैं, तो उस हिसाब से आपके इमरजेंसी फंड में 1 से 2 लाख रुपये होने चाहिए।
आपको कितनी राशि इमरजेंसी फंड में रखनी है, उसे कैलकुलेट करने के लिए इन कारकों पर विचार करें:-
- अपनी मासिक इनकम को जोड़ें: सबसे पहले अपनी मासिक सैलरी, अतिरिक्त इनकम, बोनस, इन्वेस्टमेंट इनकम आदि को कैलकुलेट करें।
- मासिक खर्चों का हिसाब लगाएं: अपने मासिक खर्चों जैसे घर का किराया, ईएमआई (पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन या फिर व्हीकल लोन आदि।),इंश्योरेंस प्रीमियम, एंटरटेंमेंट जैसे- OTT, मूवी और Gym की मेंबरशिप, नौकर-चाकर और ग्रोसरी आदि पर होने वाले खर्चों को जोड़ें।
- पारिवारिक खर्च: अगर आप अपने माता-पिता या पत्नी-बच्चों के साथ रहते हैं तो मेडिकल बिल, स्कूल-कॉलेज की फीस आदि का हिसाब लगाएं।
अब इन सभी खर्चों को जोड़ने के बाद इन्हें 6 से गुणा कर दें (सभी मासिक खर्च x 6). इस तरह से आप इमरजेंसी फंड में कितना पैसा जमा करना है, पता लगा पाएंगे। एक बार जब राशि तय हो जाए तो फंड बनाने के लिए हर महीने राशि जमा करें।
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इमरजेंसी फंड कहां रखना चाहिए?
लिक्विडिटी को ध्यान में रखते हुए इमरजेंसी फंड जमा किया जाना चाहिए। यानी इमरजेंसी फंड ऐसी जगह रखा जाना चाहिए जहां अचानक पैसों की ज़रूरत पड़ने पर तुरंत निकाला जा सके। फिक्स्ड डिपॉज़िट, लिक्विड म्यूचुअल फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, सेविंग्स अकाउंट में इमरजेंसी के लिए फंड जमा किया जा सकता है।
कब करना चाहिए इसका इस्तेमाल?
छोटे-मोटे खर्चों या शॉर्ट टर्म ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसका इस्तेमाल सिर्फ किसी फाइनेंशियल इमरजेंसी, बड़े खर्चों को पूरा करने के लिए करना चाहिए। मसलन, आप इसका इस्तेमाल नौकरी चले जाने, मेडिकल इमरजेंसी के दौरान फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा आप अपनी छोटी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए और लॉन्ग टर्म की ज़रूरतों के लिए दो तरह के फंड बना सकते हैं। लॉन्ग टर्म फंड, बड़ी ज़रूरतों जैसे मेडिकल इमरजेंसी, नौकरी छूटने और प्राकृतिक आपदा के दौरान काम आ सकता है। इस फंड को ऐसी जगह रखें जहां लंबे समय में ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद हो। वहीं शॉर्ट टर्म फंड में कम पैसा रखें, लेकिन पैसा ऐसी जगह हो जिसे कुछ घंटो में ही निकाला जा सके। कई बार बड़े फंड से पैसा निकालना मुश्किल हो सकता है ऐसी स्थिति में शॉर्ट टर्म फंड काम आ सकता है।
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निष्कर्ष
अगर आप प्राइवेट नौकरी करते है, तो आप यह तो जानते हैं कि रोज़गार के बाज़ार की हालात कितनी खस्ता है। बड़ी से बड़ी कंपनियों के कर्मचारी ले-ऑफ के शिकार हो रहे हैं। इनके साथ ही, स्वास्थय सेवाएं, हाॉस्पिटल का खर्च कितना महंगा होता जा रहा है। खासकर इस तरह की विकट परिस्थितियों में तो इमरजेंसी फंड रखना काफी ज़रूरी हो जाता है। इस बात का ख्याल रखें इमरजेंसी फंड किसी सेपरेट अकाउंट में होना चाहिए, जिससे आप छोटी-मोटी ज़रूरतों के लिए बार-बार ट्रांजैक्शन न कर सकें। ज्यादा रिटर्न के लालच में आकर इमरजेंसी फंड को कभी हाई रिस्क वाले इंवेस्टमेंट्स में निवेश न करें, क्योंकि बाज़ार के उतार-चढ़ाव में आकर इमरजेंसी फंड गवाने का खतरा रहता है।