नौकरी या कामकाज के दौरान भविष्य के लिए पैसों की बचत करना जरूरी है। ताकि ये बचत आपके मुश्किल समय जैसे- नौकरी छूटने, बिजनेस में घाटा और बीमारी के इलाज खर्च आदि में काम आ सकें। इस लेख में हमने कुछ आसान टिप्स बताए हैं, जिन्हें फॉलो करके आप बचत कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं:
अपने खर्चों पर नजर रखें
हम कब जरूरी खरीदारी करते-करते ओवरस्पेंड करने लगते हैं पता भी नहीं चलता। इस ओवरस्पेडिंग में क्रेडिट कार्ड का सबसे अहम योगदान होता है। क्रेडिट कार्ड की मदद से खरीदारी करना इतना आसान है कि हमें जो भी पसंद आता है खरीद लेते हैं। लेकिन यहां ठहरकर सोचने की जरूरत है। अपने खर्चों को ट्रैक करने की जरूरत है, ये देखना होगा कि आप किस सामान पर कितना खर्च कर रहे हैं। कहां कटौती करके आप बचत कर सकते हैं।
अपने खर्चों को ट्रैक करने के लिए आप मोबाइल ऐप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप हर हफ्ते या प्रति माह किस कैटेगरी पर कितना खर्च कर रहे हैं, आपके खाते में कितना पैसा आ रहा है ये सभी जानकारी आप ट्रैक कर सकते हैं। और जान सकते हैं कि बचत करने के लिए कहां खर्च में कटौती करने की जरूरत है।
बचत करने में बजट करेगा मदद
कहां कितना खर्च हो रहा है ये जानने के बाद, अपनी ओवरस्पेडिंग को रोकने या कम करने के लिए बजट की मदद ले सकते हैं। बजट में आप अपने इनकम अनुसार यह प्लान कर सकते हैं कि कहां किस कैटेगरी में कितना खर्च करना है और कितनी रकम बचानी है। बजट बनाने के लिए ‘गुड बजट ऐप’, ‘मनीफ़ (Monefy)’ जैसे मोबाइल ऐप्स भी आ गए हैं। इसमें आपके खर्च और इनकम दोनों की जानकारी होती है, जिससे बजट बनाना आसना हो जाता है। हालांकि बजट फॉलो करना उतना ही जरूरी है जितना बजट बनाना।
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अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करना न भूलें
शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें ताकि बचत करना आसान हो। अगर आपको पता होगा कि आप किस काम के लिए पैसे इक्ट्ठा करना चाहते हैं, तो बचत करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। आप ये बचत इमरजेंसी फंड, शिक्षा और फैमली हॉलिडे जैसे कामों के लिए भी कर सकते हैं।
बचत के लिए ऑटो-पे का लें सहारा
अगर आप अपने खर्चों पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं तो ऑटो-पे आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। ऑटो-पे की मदद से आप ‘पहले बचत फिर खर्च’ कर पाएंगे। इसके लिए अपनी सैलरी अकाउंट को इंवेस्टमेंट टूल (रेकरिंग डिपॉजिट (RD), फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), म्यूचुअल फंड (MF) और पीपीएफ (PPF) आदि) से लिंक कर दें। ताकि पैसे पहले बचत खाते में जाएंगे इसके बाद बची राशि को ही आप खर्च कर पाएंगे। हालांकि किस इंवेस्टमेंट टूल में कितनी राशि जमा करनी है यह बजट के माध्यम से पहले ही निर्धारित कर लें ताकि अन्य जरूरी खर्चों के लिए आपको परेशान न होना पड़े।
मुश्किल वक्त के लिए इमरजेंसी फंड बनाएं
अपने मुश्किल वक्त जैसे नौकरी छूटने, बिजनेस में घाटा और बीमारी के इलाज के लिए इमरजेंसी फंड बनाएं। ताकि मुश्किल वक्त में अपने जरूरी खर्चों के भुगतान के लिए लोन पर निर्भर न होना पड़ें और न ही ब्याज भुगतान के लिए मजबूर होना पड़े। या फिर आपको अन्य सेविंग स्कीम जैसे- एफडी, आरडी या अन्य सेविंग स्कीम को तोड़ना पड़ें। वरना इससे आपके अन्य वित्तीय लक्ष्य प्रभावित होंगे।
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नया खरीदने की बजाय इस्तेमाल किया हुआ खरीदें
इस्तेमाल किए हुए सामान की कीमत नए सामान की अपेक्षा कम होती है। अगर आप बचत करना चाहते हैं तो नया सामान खरीदने की जगह इस्तेमाल किया हुआ यानी सैकेंड हैंड सामान खरीद सकते हैं। हालांकि ये नियम कुछ सामानों पर ही लागू होती है।
उदाहरण से समझें- नए कार की कीमत अधिक होगी। लेकिन इस्तेमाल किए हुए कार की कीमत अपेक्षाकृत कम होगी। अगर कार अच्छी स्थिति में है तो उसे खरीद कर आप पैसे बचा सकते है। इस पैसे को किसी सेविंग टूल में इंवेस्ट करके अच्छा रिटर्न पा सकते हैं। किसी लायबिलिटी खरीदने से पहले पैसों को ऐसी जगह लगाएं जहां से अच्छा रिटर्न आ सके।
निष्कर्ष
अपनी वर्तमान जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य के लिए बचत करना समझदारी है। ताकि भविष्य में किसी अनहोनी जैसे- नौकरी छूटने, बिजनेस में घाटा और बीमारी के इलाज के लिए आपको किसी दूसरे पर निर्भर न होना पड़े। और न ही अपने जरूरी खर्चों के भुगतान के लिए लोन लेने के लिए मजबूर होना पड़ें। लेख में बताए गए उपरोक्त तरीकों को फॉलो कर आप बचत कर सकते हैं। अपने शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।