ओल्ड-ऐज में कई लोगों के पास कमाई का कोई स्थायी ज़रिया नहीं रह जाता। उम्र के इस पड़ाव में हर व्यक्ति चाहता है कि वो सुखद और खुशहाल जीवन बिताए। जिसके लिए रिटायरमेंट प्लानिंग करना ज़रूरी होता है। अगर आप 60 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं तो आपको लगभग अगले 25 साल तक के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग करनी होगी। इसलिए नौकरी के दौरान ही रिटायरमेंट प्लानिंग करना ज़रूरी होता है, जिससे समय के साथ आपके पास अच्छी-खासी रकम जमा हो जाए। अगर आप अपने रिटायरमेंट में अपने खर्चों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहते तो ये पांच कदम उठाएं।
1. रिटायरमेंट के लिए फंड इक्ट्ठा करें
रिटायरमेंट के लिए 30 साल की उम्र से ही फंड जमा करना शुरू कर देना चाहिए। कम उम्र में फंड जमा करने पर आप आगे चलकर अधिक रकम जमा कर पाएंगे। इसके लिए शेयर मार्केट आधारित योजनाओं, बैंक या पोस्ट ऑफिस की कई स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं। अगर पैसा सुरक्षित जगह रखना है और गारंटीड रिटर्न पाना चाहते हैं, तो एफडी, आरडी या पोस्ट ऑफिस स्कीम्स को चुनें। ध्यान रहे, इनमें जमा पैसा सुरक्षित तो रहता है, लेकिन रिटर्न कम मिलता है, जो बढ़ती महंगाई से निपटने में सक्षम नही है।
आगे चलकर इंफ्लेशन, ख़राब स्वास्थ्य और जीवन में अन्य परिवर्तनों का प्रभाव आपके कॉर्पस पर पड़ सकता है। इसलिए इन विकल्पों में निवेश करने से काम नहीं चलेगा। ऐसी जगह अपने पैसे निवेश करें, जो महंगाई को मात देने में प्रभावी हो। आप अपने रिटायरमेंट फंड का एक हिस्सा इक्विटी में निवेश कर सकते हैं। ये अधिक रिटर्न पाने और इंफ्लेशन से निपटने में आपकी मदद कर सकता है।
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2. अपनी सेविंग्स को बढ़ाने की कोशिश करें
आपको रिटायरमेंट के बाद मासिक खर्चों के लिए कितने पैसों की ज़रूरत पड़ सकती है, इसका आकलन करना ज़रूरी है। अधिक से अधिक सेविंग्स करने की कोशिश करें। इसके लिए अपने गैर-ज़रूरी खर्चों पर भी लगाम लगाएं। साथ ही, अतरिक्त खर्चों को घटाने की भी कोशिश करें। अगर आपकी इनकम कम है और सेविंग्स ज्यादा नहीं हो रही, तो आप पार्ट-टाइम या फ्रीलांसिंग का काम कर सकते हैं। इससे आप अतिरिक्त इनकम जुटा पाएंगे और अधिक से अधिक पैसे अपने रिटायरमेंट फंड के लिए जोड़ पाएंगे।
इसके अलावा आप रिटायरमेंट के बाद भी कोई अन्य करियर चुन सकते हैं, जो सुविधाजनक हो। वैसे तो, रिटायरमेंट के बाद फिर से करियर शुरू करना आसान नहीं है। इसलिए आपको जिस फिल्ड में एक्सपीरियंस है उस फील्ड से संबंधित काम कर सकते हैं या अपनी किसी हॉबी या स्किल को अपना करियर बना सकते हैं।
3. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है ज़रूरी
उम्र के हिसाब से बीमारियां भी बढ़ती जाती हैं। हॉस्पिटल्स के बिल और दवाईयों का खर्च कहीं ज्यादा हो सकता है, जिसके लिए रिटायरमेंट फंड काफी नहीं होगा। इसलिए इन खर्चों को पूरा करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना ज़रूर होता है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अगर कम उम्र में लेते हैं तो आपको कम प्रीमियम भरना पड़ता है। जो मेडिकल इमरजेंसी में आपके सेविंग्स को बीमारियों के इलाज पर खत्म होने से बचाता है।
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4. इमरजेंसी फंड बनाएं
रिटायरमेंट फंड के साथ-साथ इमरजेंसी फंड बनाना भी ज़रूरी होता है। क्योंकि कई बार आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सभी बीमारियों को कवर नहीं करती, ना ही हॉस्पिटल के सारे खर्चें उठाती है। समय के साथ कई आकस्मिक और बड़े खर्च करने पड़ सकते हैं। इसलिए एक इमरजेंसी फंड जिसमें कम से कम 6 महीनों के खर्चों को कवर करने की क्षमता हो, होना ज़रूरी है।
5. अपने सारे कर्ज़ का भुगतान करें
रिटायरमेंट से पहले-पहले अपने सभी लोन या अन्य कर्ज़ का भुगतान कर लेना चाहिए। अगर आपने होम लोन, एजुकेशन लोन आदि लिए हैं तो कोशिश करें की रिटायरमेंट की शुरूआत से पहले उन्हें चुका लें। पहले से लोन होने पर रिटायरमेंट के दौरान कोई अन्य इमरजेंसी आ जाने पर दूसरा लोन लेना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा इनकम का कोई स्त्रोत न होने पर लोन की ईएमआई भरना भी भारी पड़ता है। इसलिए रिटायरमेंट से पहले अगर लोन ले रहे हैं तो उसकी अवधि ऐसी चुनें जिससे आप 65 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले उसे चुकाने का लक्ष्य रखें।