आर्थिक तंगी में लोन हमारी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है। हालांकि लोन भी एक दायित्व है। इस पर लगने वाले ब्याज और अन्य लागतों को अगर सही तरीके से मैनेज न किया जाए तो वित्तीय बोझ बढ़ सकता है। इस तरह की स्थिति से बचने के लिए समय पर अपने ईएमआई का भुगतान करें, ताकि लेट पेनल्टी चार्ज और अतिरिक्त ब्याज शुल्क का और बोझ न बढ़ें। अगर आप पहले से कर्ज में डूबे हुए हैं और लोन रिपेमेंट के लिए किन्हीं मैनजमेंट तरीकों की तलाश में हैं तो यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
कुल कितना कर्ज बाकी है हिसाब करें
कर्ज के जाल से बाहर निकलने के लिए सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि आपके ऊपर कुल कितना कर्ज बाकी है। फिर अपने वर्तमान वित्तीय स्थिति को समझें। इसके बाद अपने सभी कर्जों की एक लिस्ट बनाएं, जिसमें इंटरेस्ट रेट और कितने महीने में भुगतान करने की जरूरत है ये लिखें। इस तरह करके आप अपने फाइनेंस और लोन रिपेमेंट (Loan Repayment) को अच्छे से मैनेज कर सकते हैं।
एक बजट बनाएं और उसे फॉलो करें
ये जानने के बाद कि आपको लोन रिपेमेंट के लिए प्रति माह कितनी राशि चाहिए, एक बजट बनाएं। जिसमें आपके इनकम और खर्चों का हिसाब होगा। अपने जरूरी खर्चों जैसे- रूम रेंट, बिजली बिल, अन्य यूटीलिटी बिल को निकालने के बाद देखें कि आपके पास कितने पैसे बच रहे हैं। और आप कहां फिजूलखर्ची में कटौती करके बचत कर सकते है। इस बचत को लोन रिपेमेंट में इस्तेमाल करें। बजट बनाने के साथ उसे फॉलो करना भी बेहद जरूरी है।
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स्नोबॉल या एवलांच स्ट्रैटर्जी को अपनाएं
अगर आपके पास एक से अधिक लोन है तो सबसे पहले उन कर्जों की एक लिस्ट बनाएं। फिर अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति और बजट के अनुसार यह निर्धारित करें कि किस लोन का भुगतान आपको पहले करना चाहिए। इसके लिए आप स्नोबॉल या एवलांच स्ट्रैटर्जी का इस्तेमाल कर सकते हैं। स्नोबॉल स्ट्रैटर्जी के तहत कम राशि वाले लोन का पहले भुगतान करना होता है। वहीं दूसरी तरफ जिस लोन पर अधिक ब्याज लग रहा है, उसका पहले भुगतान करना एवलांच स्ट्रैटर्जी के तहत आता है। इस तरह आप चुन सकते हैं पहले किस लोन का भुगतान करना है। आमतौर पर अधिक ब्याज वाले लोन का पहले भुगतान करना बेहतर होगा क्योंकि इससे ओवरऑल ईएमआई का बोझ कम होगा।
बैलेंस ट्रांसफर हो सकता है मददगार
पर्सनल लोन भुगतान में बैलेंस ट्रांसफर काफी मददगार हो सकता है। पर्सनल लोन बैलेंस ट्रांसफर (Personal Loan Balance Transfer) के तहत बकाया लोन राशि को नए अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है। जिसकी ब्याज दरें आमतौर पर पर्सनल लोन ब्याज दरों की तुलना में कम होती है। हालांकि ब्याज दरें आपकी मौजूदा बकाया लोन राशि, लोन अवधि, क्रेडिट स्कोर, आय जैसे अन्य पहलूओं पर निर्भर करती हैं।
वहीं, अगर आप क्रेडिट कार्ड ईएमआई का समय से भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, तो उस पर लेट पेनल्टी चार्ज और फाइनेंस चार्ज तो लगता ही साथ में बकाया राशि पर भारी-भरकम इंटरेस्ट भी लगता है। इस बोझ को आप क्रेडिट कार्ड बैलेंस ट्रांसफर (Credit Card Balance Transfer) से कम कर सकते हैं। बैलेंस ट्रांसफर के ज़रिए आप अपने क्रेडिट कार्ड के मौजूदा कर्ज़ को किसी अन्य क्रेडिट कार्ड में ट्रांसफर कर सकते हैं, जिसमें कम ब्याज लगता हो। कुछ कार्डप्रदाता बैलेंस ट्रांसफर करने पर प्रमोशनल पीरियड ऑफर करते हैं, जिनमें एक निश्चित अवधि तक जीरो या बहुत कम ब्याज लिया जाता है। हालांकि बैलेंस ट्रांसफर करने पर प्रोसेसिंग फीस और अन्य चार्जेस भी लगते हैं। इसलिए ये सब कैलकुलेट करने के बाद होने वाली बचत के आधार पर ही बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनें।
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पर्सनल लोन से डेट कंसोलिडेट करें
अगर आपका कर्ज़ काफी ज्यादा है और भारी ब्याज व पेनेल्टी की वजह से यह लगातार बढ़ रहा है, तो इसे चुकाने के लिए डेट कंसोलिडेशन की मदद ले सकते हैं। डेट कंसोलिडेशन यानी कर्ज़ को चुकाने के लिए नया लोन लेना। आप चाहे तो डेट कंसोलिडेशन के लिए पर्सनल लोन ले सकते है। इसकी मदद से आप अधिक ब्याज दर वाले लोन का पहले भुगतान कर सकते हैं। और नए लिए गए लोन का टैन्योर लंबा चुनकर कम EMI का भुगतान कर सकते हैं। हालांकि इससे ओवरऑल ईएमआई कॉस्ट बढ़ जाएगा। लेकिन भारी-भरकम ईएमआई के बोझ से छुटकारा मिल सकता है। ईएमआई में छोटी-सी भी बचत काफी मददगार साबित हो सकती है।
निष्कर्ष
कर्ज के जाल से आप एक रात में बाहर नहीं निकल सकते हैं। धीर-धीरे और एक स्ट्रैटर्जी के तहत इससे बाहर निकला जा सकता है। ऊपर बताए गए तरीकों को अपनी वित्तीय स्थिति अनुसार चुनें और एक अनुशासन के तहत व फिजूलखर्ची पर लगाम लगा कर कर्ज का भुगतान करें।