वंदना को उनके बैंक की तरफ से एक SMS मिला जिसमें एक क्रेडिट कार्ड जानकारी दी गई थी और लिखा था कि वे इसके लिए “प्री-क्वालिफाइड” हैं। साथ ही, कार्ड के लिए आवेदन करने का लिंक भी दिया हुआ था। लेकिन वंदना को यह कार्ड लेने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। अब वो यह जानना चाहती हैं कि “प्री-क्वालिफाइड” क्रेडिट कार्ड क्या होते हैं? क्या कोई गारंटी है कि उन्हें ये कार्ड निश्चित तौर पर मिलेगा? और वो कैसे जान सकती हैं कि किसी कार्ड के लिए प्री-क्वालिफाइड है या नहीं। तो चलिए वंदना को उनके सवालों का जवाब देते हैं।
किसी क्रेडिट कार्ड के लिए प्री-क्वालिफाइड होने से क्या मतलब है?
कस्टमर्स को प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड ऑफर्स SMS, ईमेल के ज़रिए भेजे जाते हैं। हकीकत में ये बैंकों की एडवर्टाइज़िंग का एक पॉपुलर तरीका है, जिसके ज़रिए वे कस्टमर्स को आकर्षित करते हैं। प्री-क्वालिफाइड होने के बावजूद, आपको इसके लिए आवदेन करना होगा और पूरी प्रोसेसिंग प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है, जैसे नए क्रेडिट कार्ड के आवेदन के दौरान होता है। इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि आपको निश्चित तौर पर कार्ड दिया जाएगा। अगर इनके आवेदन के बाद आपके एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया जाता है तो आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है।
क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता के पास आपकी सीमित जानकारी होती है, जिसके आधार पर वो प्रारंभिक मूल्यांकन करता है कि आप क्रेडिट कार्ड के आवेदन के लिए योग्य हैं या नहीं। अगर आप योग्य होते है तो आपको ऑफर भेजा जाता है। आपके आवेदन करने के बाद जारीकर्ता आपके एप्लीकेशन का मूल्यांकन करता है और सभी फैक्टर्स के आधार पर यह देखता है कि आपको क्रेडिट कार्ड देना है या नहीं।
आमतौर पर, प्री-क्वालिफाइड ऑफर्स में उस क्रेडिट कार्ड के बारे प्रमुख जानकारी होती है। साथ ही, आवेदन कैसे करना है, उसके निर्देश दिए होते हैं। यह ऑफर्स कई तरीकों से आपके पास भेजे जाते हैं। जैसे-
- नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग: नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग में प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड ऑफर्स भेजे जा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने अकाउंट में लॉगिन कर ऑफर्स के सेक्शन को चेक करना होगा।
- ईमेल या SMS: क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता अपने कस्टमर्स को ईमेल या फिर SMS के ज़रिए प्री-क्वालिफाइड ऑफर्स भेजते हैं।
- बैंक में जाकर: जिस बैंक में आपका अकाउंट हैं उसके ब्रांच में भी प्री-क्वालिफाइड ऑफर्स के बारे पता किया जा सकता है।
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प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड ऑफर्स क्यों भेजे जाते हैं?
ज्यादातर मामलों में प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड ऑफर्स तब भेजे जाते हैं, जब आप क्रेडिट कार्ड से संबंधित कोई ऑनलाइन सर्वे या फॉर्म भरते हैं, जिससे आपकी डिटेल्स लेंडर्स के पास चली जाती है। तो कई बार ऐसे ऑफर्स उन बैंको द्वारा भेजे जाते हैं, जिनमें आपका सैलरी अकाउंट होता है।
इन्हें ऑफर्स को भेजने से पहले कुछ जारीकर्ता आपकी बेसिक फाइनेंशियल इंफोर्मेशन जैसे आपकी इनकम देख सकते हैं तो कुछ आपके डेट ऑब्लिगेशन या आपकी सेविंग कितनी है जैसी चीज़ें देख सकते हैं। यह क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी पर निर्भर करता है। इस बात का ध्यान रखें कि प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड, प्री-अप्रूव्ड क्रेडिट कार्ड से अलग होते हैं। यूं तो दोनों ही मामलों में कार्ड मिलने की गारंटी नहीं होती, प्री-अप्रूव्ल, प्री-क्वालिफिकेशन का अगला स्टेप है। प्री-अप्रूव्ड होने का मतलब है कि आप उस विशिष्ट क्रेडिट कार्ड के लिए प्रारंभिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
क्या प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर पड़ता है?
क्रेडिट कार्ड के लिए प्री-क्वालिफाइड होने से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। क्योंकि प्री-क्वालिफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान लेंडर्स सॉफ्ट इन्क्वायरी करते हैं, फिर ये ऑफर्स भेजते हैं। सॉफ्ट इन्क्वायरी का क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं होता। लेकिन अगर आप उस क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, तो लेंडर हार्ड इन्क्वायरी करेगा जिससे आपका क्रेडिट स्कोर कुछ प्वाइंट कम हो सकता है।
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प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड लेने से पहले इन बातों का ध्यान रखें
प्री-क्वालिफाइड क्रेडिट कार्ड ऑफर्स चुनने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, जैसे-
- ज़रूरत का हिसाब रखें: ऐसे ऑफर को चुनने से पहले कार्ड के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें, जिससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि यह कार्ड आपकी ज़रूरतों और लाइफस्टाइल से मेल खाता है या नहीं।
- फीस व चार्ज़ेस चेक करें: क्रेडिट कार्ड लाइफटाइम-फ्री या उस पर कोई वार्षिक फीस भरनी होगी या नहीं, चेक करना ज़रूरी है। साथ ही, कार्ड पर लगने वाली लेट पेमेंट फीस, फॉरेन करेंसी ट्रांजैक्शन फीस, पार्शियल पेमेंट फीस और दूसरे चार्जेज कितने हैं, के बारे में पता करना चाहिए।
- लाभ का कैलकुलेशन: पता करें कि कार्ड पर कैशबैक, रिवॉर्ड प्वाइंट आदि के ज़रिए कितना लाभ मिल रहा है। क्या यह लाभ उसकी वार्षिक फीस से ज्यादा है या नहीं।