प्लानिंग यानी किसी काम को कैसे करना है। अगर यह काम फाइनेंस से जुड़ा हो तो फाइनेंशियल प्लानिंग के तहत आता है। वर्तमान समय में आपके पास कितनी इनकम, संपत्ति और दायित्व कितनी है। आपके वर्तमान, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्य क्या हैं, आप इन लक्ष्यों को कैसे पूरा करेंगे। इसके साथ ही आपके जोखिम की क्षमता कितनी है। ये सब जानकर एक सुव्यवस्थित प्लान बनाना कि आप अपने वर्तमान इनकम से अपने वित्तीय लक्ष्यों को कैसे प्राप्त कर सकते हैं, इसे ही फाइनेंशियल प्लानिंग कहते हैं।
फाइनेंशियल प्लानिंग न सिर्फ आपके शॉर्ट और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। बल्कि भविष्य में किसी अनिश्चित घटना जैसे- नौकरी छूटने, बिजनेस में घाटा और गंभीर बीमारी से होने वाली आर्थिक परेशानी से बचाने में भी मदद करता है।
फाइनेंशियल प्लानिंग का महत्व क्या है
बहुत से निवेशकों को लगता है कि फाइनेंशियल प्लानिंग की जरूरत नहीं है। अगर वह पैसे बचाने में सक्षम है तो वित्तीय रूप से सुरक्षित है। लेकिन केवल सेविंग करना पर्याप्त नहीं। मान लें आप 70-80 साल जीने वाले हैं। आपकी शुरुआती 20-25 साल आपके पेरेंट की देखरेख में जाएगी। आपकी वर्किंग लाइफ 35 साल की होगी, जिसमें आपको अपने परिवार जैसे- पत्नी/पति, बच्चे और आपके माता-पिता की आर्थिक जरूरतों को पूरा करना होगा। और साथ ही बचत भी करनी होगी ताकि आप भविष्य के 15-20 साल अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकें।
बढ़ती महंगाई के साथ आपकी खरीद क्षमता कम होगी। आज की अपेक्षा भविष्य में बच्चों की शिक्षा, मेडिकल आदि पर अधिक खर्च करना होगा। इसलिए आपको ऐसे निवेश विकल्प में इंवेस्ट करना चाहिए जो बढ़ती महंगाई के अनुरुप रिटर्न दे सके। ताकि भविष्य में आपको अपने वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करने में कोई कठिनाई न हो। इस काम के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी है। बचत और निवेश कैसे करें, कहां और कितना निवेश करें आदि। लेकिन इस सबसे जरूरी है कामकाज के शुरुआती दौर से ही सेविंग करना और बढ़ती कमाई के साथ निवेश के रकम को भी बढ़ाना। जिससे आप अपने सभी जरूरी वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकें।
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फाइनेंशियल प्लानिंग के फायदे
- लक्ष्य प्राप्ति में मददगार- फाइनेंशियल प्लानिंग की मदद से आपको एक रोडमैप मिल जाता है। जिसकी मदद से आप जान सकते हैं आप कहां, कितना खर्च कर रहे हैं। इसके बाद अपने वित्तीय लक्ष्य जैसे- घर खरीदने, बिजनेस शुरू करने या फिर रिटायरमेंट आदि के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं। साथ ही फ़िजूलखर्ची पर लगाम लगा सकते हैं।
- वित्तीय सुरक्षा- अपने फाइनेंस को सही तरीके से मैंनेज करके आप अपने और अपने परिवार को भविष्य के किसी अनिश्चित आर्थिक जोखिम जैसे- नौकरी छूटने, बिजनेस में घाटा और किसी गंभीर बीमारी से होने वाली आर्थिक संकट से बचा सकते हैं।
- डेट मैनेंजमेंट- फाइनेंशियल प्लानिंग की मदद से आप अपने कर्जों को एक स्ट्रैटर्जी या रणनीति के तहत चुका सकते हैं। आप अपनी वर्तमान जरूरतों को पूरा करते हुए खुद पर कर्ज क बोझ तले न दबते हुए, कर्ज के जाल से बाहर निक सकते हैं।
- वेल्थ क्रिएशन – सही फाइनेंशियल प्लानिंग की मदद से न सिर्फ आप बचत कर सकते हैं बल्कि बेहतर रिटर्न देने वाले निवेश विकल्पों में निवेश भी कर सकते हैं। टैक्स बेनिफिट देने वाले स्कीम्स में निवेश कर टैक्स बेनिफिट का लाभ उठा सकते हैं।
- रिटायरमेंट प्लानिंग- फाइनेंशियल प्लानिंग आपको रिटायरमेंट में आर्थिक तौर पर स्वतंत्र बनने में सक्षम बनाता है। आप अपने कामकाज के दौरान रिटायरमेंट के लिए बेहतर रिटर्न देने वाले स्कीम में निवेश कर सकते हैं।
फाइनेंशियल प्लानिंग के टिप्स
- जितनी जल्दी हो सके निवेश शुरू करें। अगर आप 30 या 35 की उम्र में हैं तो और 5 साल का इंतजार किए बिना अभी निवेश करना शुरू कर दें। भले ही राशि छोटी (500 रु.) ही क्यों न हो।
- ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जो आपके वर्तमान आर्थिक स्थिति से संबंधित हो। साथ ही देखें कि क्या फाइनेंशियल प्लानिंग आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो रहा है। यदि नहीं, तो प्लानिंग में बदलाव करें।
- समय- समय पर अपने वित्तीय लक्ष्यों का मूल्यांकन करते रहे और आवश्यकतानुसार उसमें बदलाव करते रहे। अगर कोई निवेश सही रिटर्न नहीं दे रहा है तो उसे ऐसी जगह निवेश करें जहां से बेहतर रिटर्न प्राप्त हो सके।
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निष्कर्ष
फाइनेंशियल प्लानिंग आपके शॉर्ट टर्म, 5 साल में पूरा होने वाले लक्ष्य और लॉन्ग टर्म, जो 15 -20 सालों में पूरा हो सके ऐसे लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है। सही फाइनेंशियल प्लानिंग की मदद से आप अपनी वर्तमान जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य के लिए बेहतर आर्थिक प्लान बना सकते हैं। अपने परिवार को आर्थिक वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। हालांकि निवेश से पहले इसके जोखिमों के बारे में अवश्य जानें।