आज के समय में हार्ट संबंधित बीमारियों की संख्या में इज़ाफा हो रहा है, जिससे हार्ट अटैक से होने वाली मौतों का आकड़ा काफी बढ़ गया है। इसका अंदाजा ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (NCRB) की रिपोर्ट के ज़रिए लगाया जा सकता है, जिसके मुताबिक 2021 की तुलना में 2022 में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या में 12.5% का इज़ाफा हुआ है। 2021 में 28,413 लोगों की दिल के दौरे से मौत हुई थी, जो 2022 बढ़कर 32,457 हो गई। हार्ट संबंधित बीमारियों के इलाज महंगा होने के साथ ही लंबा चलता है जिसमें आपकी सारी सेविंग्स झटके में खत्म हो सकती है। कई बार इनके इलाज में रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) भी कम पड़ जाती है। ऐसा होने पर क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी (critical illness insurance) आपके बड़े काम आ सकती है। चलिए जानते हैं हार्ट हेल्थ के लिए यह पॉलिसी लेनी क्यों ज़रूरी है।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस क्या है?
क्रिटिकल इलनेस को आम भाषा में गंभीर बीमारी भी कहा जाता है। इनमें दिल का दौरा, किडनी फेल, कैंसर, स्ट्रोक, ऑर्गन ट्रांसप्लांट आदि बीमारियां शामिल होती है। इसी तरह क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस यानि ऐसा इंश्योरेंस जो इन गंभीर बीमारियों के इलाज को कवर करता हो। इस इंश्योरेंस में इन जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए एकमुश्त राशि दी जाती है। इस तरह, क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस के ज़रिए आपको जो रकम मिलेगी उसका इस्तेमाल हॉस्पिटल के बिल, ट्रैवल जैसे खर्च को कवर करने के लिए कर सकते हैं।
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रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस या क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी? किसे चुनें
क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में किसी गंभीर बीमारी के इलाज में एकमुश्त पेमेंट प्रदान की जाती है। वहीं रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी हॉस्पिटल के खर्चों को कवर करती है। दोनों में से किसी एक को चुनना आपके और आपके परिवार की वित्तीय आवश्यकताओं, मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है। हालांकि, किसी एक को चुनने से पहले इनके अंतरों को जान लें:-
- कवरेज: रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में अलग-अलग बीमारियों, एक्सिडेंट आदि के एक्सपेंस को कवर किया जाता है। जबकि क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में सिर्फ गंभीर बीमारियों खासकर हार्ट से संबंधित रोगों को कवर किया जाता है।
- क्लेम का प्रोसेस: रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में हॉस्पिटलाइजेशन के खर्च को रीइंबर्स करने या कैशलेस क्लेम का ऑप्शन मिलता है। वहीं क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में एकमुश्त राशि दी जाती है, जिसका इस्तेमाल अपनी ज़रूरत के मुताबिक किसी भी तरह कर सकते हैं।
- प्रीमियम: रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम इंश्योरेंस कंपनी, कवरेज, इंश्योरर्ड सदस्यों की संख्या आदि पर निर्भर करता है। इसी तरह क्रिटिकल इंश्योरेंस का प्रीमियम भी इंश्योरेंस अमाउंट और बीमारियों की संख्या पर निर्भर करती है। चूंकि रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बहुत-से हेल्थ कंडीशन्स को कवर किया जाता है, इसलिए यह आमतौर पर क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की तुलना में महंगा होता है।
आमतौर पर, कई बीमा कंपनियां रेगुलर हेल्थ इंश्यरेंस में ऐड-ऑन या राइडर के रूप में क्रिटिकल इलनेस को जोड़ने का ऑप्शन देती हैं, लेकिन अगर आपने पॉलिसी लेते समय इसे एड नहीं कराया है, तो इसे अलग से भी ले सकते हैं। कई लोग रेगुलर इंश्योरेंस के साथ अलग से क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस भी लेते हैं।
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क्या आपको क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस लेना चाहिए?
आपकी उम्र और हेल्थ: अगर आप यंग है, आपको कोई बीमारी नहीं है तो आपको क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बजाय रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए। हालांकि, ज्यादा उम्र के लोग जो पहले से किसी हार्ट संबंधित बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने का विचार कर सकते हैं।
- फैमिली हिस्ट्री: ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों की फैमिली में किसी बीमारी का इतिहास रहा है, उनमें आगे चलकर उन्हीं बीमारियों के डेवलप होने की संभावनाएं अधिक होती हैं। ऐसे में अगर आपके परिवार में कोई जेनेटिक बीमारी है जो पीढी दर पीढी चली आ रही है तो ऐसे में क्रिटिकल हेल्थ इंंश्योरेंस पॉलिसी लेने पर विचार करना चाहिए।
- आर्थिक स्थिति: क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेने से पहले यह ज़रूर तय करें कि उसका प्रीमियम आपके बजट के मुताबिक है।
निष्कर्ष
कोई भी गंभीर बीमारी हो जाने पर आप शारीरिक रूप से कमाने लायक नहीं रहते। इनकम न होने से हॉस्पिटल खर्च के साथ-साथ अन्य खर्चों को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। एक रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान सिर्फ आपके हॉस्पिटल के खर्चों को कवर करता है। ऐसे में क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस लेना बेहतर होता है। क्योंकि इसमें लंपसम अमाउंट मिल जाता है, जिसे आप किसी भी खर्च के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपके पास रेगुलर हेल्थ इंश्यरेंस है और आपके परिवार में हार्ट संबंधित रोगों का इतिहास रहा है, तो आप ऐड-ऑन के रूप में क्रिटिकल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने का विचार कर सकते हैं।