गोल्ड लोन और पर्सनल लोन की दो सामान्य विशेषताएं हैं; तुरंत राशि ट्रान्सफर और लोन का उपयोग किसी भी काम के लिए कर सकते हैं। इसलिए, अचानक पैसे की ज़रूरत पड़ने पर इन दोनों को बेस्ट लोन ऑप्शन माना जाता है। हालांकि, पर्सनल लोन और गोल्ड लोन में अन्य अलग-अलग विशेषताएं भी होती हैं, जो उन्हें कुछ लोगों के लिए बेहतर विकल्प बनाती हैं और कुछ के लिए नहीं। आइये जानते हैं कि आपके लिए दोनों में से कौन सा विकल्प बेहतर होगा –
ब्याज दर
पर्सनल लोन की ब्याज दरें आवेदक की क्रेडिट प्रोफाइल, लोन राशि और इनकम पर निर्भर करती हैं। वहीं, गोल्ड लोन में ब्याज दरें एलटीवी रेश्यो, लोन राशि और रीपेमेंट के तरीके पर निर्भर करती हैं। गोल्ड लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में अंतर अच्छे क्रेडिट प्रोफाइल वाले लोगों के लिए ज़्यादा नहीं हो सकता है। क्योंकि गोल्ड लोन में सिक्योरिटी जमा की जाती है तो ब्याज दरें आमतौर पर कम क्रेडिट प्रोफाइल वाले लोगों के लिए भी पर्सनल लोन से कम होती हैं।
प्रोसेसिंग टाइम
अगर आप प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन के लिए अप्लाई नहीं कर रहे हैं, तो आपको पर्सनल लोन मिलने में 2 से 5 दिनों का समय लग सकता है। वहीं गोल्ड लोन में अप्लाई करने के बाद गोल्ड की क्वालिटी चेक की जाती और कुछ घंटों के भीतर ही लोन मिल जाता है। सिक्योर्ड लोन होने की वजह से आवेदक की क्रेडिट प्रोफाइल पर बहुत कम या ध्यान नहीं दिया जाता है। इसलिए, तुरंत पैसे की ज़रूरत के लिए पर्सनल लोन के मुकाबले गोल्ड लोन एक बेहतर विकल्प होता है।
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कम क्रेडिट प्रोफाइल वाले लोगों के लिए लोन मंज़ूरी का संभावना
क्योंकि पर्सनल लोन बिना किसी सिक्योरिटी के भी मिलता है, इसलिए आवेदक का क्रेडिट स्कोर, मासिक इनकम, जॉब प्रोफ़ाइल, कंपनी प्रोफ़ाइल आदि को देखकर लोन आवेदन को मंज़ूरी देते हैं और ब्याज दर तय होती है। दूसरी ओर, गोल्ड लोन में पैसों के बदले सोना गिरवी रखा जाता है। इसलिए ही, वें कम क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट प्रोफाइल वाले व्यक्ति के गोल्ड लोन आवेदन को भी मंज़ूरी दे देते हैं।
पुनर्भुगतान माध्यम में विकल्प
पर्सनल लोन ईएमआई के रूप में चुकाए जाते हैं, जिसमें मूल और ब्याज दोनों शामिल होते हैं। जबकि, गोल्ड लोन में रीपेमेंट के कई ऑप्शन होते हैं। ईएमआई के अलावा, ये विकल्प भी है कि आप हर महीने सिर्फ़ अपना ब्याज चुकाएं और पुनर्भुगतान अवधि ख़त्म होने पर मूल राशि चुका दें। एक विकल्प ये भी होता है कि कुल ब्याज काटकर आपको लोन राशि ट्रान्सफर की जाएगी और पुनर्भुगतान अवधि ख़त्म होने पर मूल लोन राशि चुका दें। कुछ बैंक ये अनुमति भी देते हैं कि आप ब्याज व मूल राशि दोनों लोन पुनर्भुगतान अवधि के ख़त्म होने पर चुका सकते हैं। इसलिए, जिन लोगों की इनकम स्थिर नहीं है और वो ईएमआई में भुगतान नहीं कर सकते हैं, उनके लिए गोल्ड लोन एक बेहतर विकल्प है।
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पुनर्भुगतान अवधि
पर्सनल लोन की पुनर्भुगतान अवधि आमतौर पर 1 से 5 वर्ष तक होती है, कुछ बैंक/ एनबीएफ़सी 7 वर्ष तक की अवधि भी देते हैं। वहीं गोल्ड लोन की पुनर्भुगतान अवधि आमतौर पर 7 दिन से 3 साल के बीच होती है, जिसमें कुछ लोन संस्थान लगभग 4 से 5 साल की लम्बी अवधि भी ऑफर करते हैं। क्योंकि लंबी पुनर्भुगतान अवधि में ज़्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है, इसलिए गोल्ड लोन उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प होगा जिन्हें विश्वास है कि वो कम ही समय में लोन का पुनर्भुगतान कर देंगें। दूसरी ओर, पर्सनल लोन उन लोगों के अनुरूप होगा जो लंबे समय में लोन चुकाना चाहते हैं।
लोन राशि
पर्सनल लोन राशि आमतौर पर 50,000 रु. से 15 लाख रु. के बीच होती है और कुछ बैंक/ एनबीएफ़सी लगभग 30 से 40 लाख रु. की बड़ी लोन राशि भी ऑफर करते हैं। लोन राशि आवेदक की इनकम व ईएमआई टू एनएमआई रेश्यो के आधार पर तय की जाती है।गोल्ड लोन के मामले में, लोन राशि मुख्य रूप से गिरवी रखे जा रहे सोने और लोन-टूवैल्यू (LTV) रेश्यो पर निर्भर करती है। आपको गिरवी रखे गए सोने के मूल्य का कितना प्रतिशत लोन राशि के रूप में दिया जाएगा, वही LTV रेश्यो होगा। गोल्ड लोन का LTV रेश्यो बैंक, पुनर्भुगतान विकल्प, लागू रेगुलेट्री लिमिट आदि के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, गिरवी रखे गये गोल्ड के मूल्य की 75% तक लोन राशि दी जा सकती है।
प्रोसेसिंग फीस
पर्सनल लोन की प्रोसेसिंग फीस आमतौर पर लोन राशि की 3% तक होती है। गोल्ड लोन के मामले में, प्रोसेसिंग फीस लोन राशि के 2% तक होती है। इसलिए, ये हिसाब लगाते हुए कि कौन-सा लोन उन्हें कितना महंगा पड़ेगा, लोन आवेदकों को प्रोसेसिंग फीस को भी देखना चाहिए।
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निष्कर्ष
अंत में, फैसला आपकी विशिष्ट परिस्थितियों और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। गोल्ड लोन और पर्सनल लोन के बीच चयन करने से पहले आवश्यक राशि, चुकाने की आपकी क्षमताऔर ब्याज दरों का सोच-समझकर मूल्यांकन करें उसके बाद ही फैसला लें।