किसी भी चीज़ की तरह ही होम लोन के बारे में भी कई गलतफहमियां या मिथक हैं, पहली बार होम लोन लेने वाले लोग इनका शिकार भी हो जाते हैं। नतीजतन, कई होम लोन आवेदक बिना सोचे समझे होम लोन ऑफर चुनते हैं, जिससे उन्हें लम्बे समय में नुकसान होता है। यहाँ हम पांच गलतफहमियां बताएँगे जिनके बारे में होम लोन आवेदकों को पता होना चाहिए:
छोटी भुगतान अवधि बेहतर है
कई लोग अपनी भुगतान क्षमता को ध्यान में रखे बिना होम लोन की छोटी भुगतान अवधि चुन लेते हैं। हाँ, इससे ब्याज पर बचत होती है लेकिन ईएमआई राशि ज़्यादा हो जाती है और इसके चलते वो अपने अन्य वित्तीय लक्ष्यों के लिए योगदान नहीं कर पाते। अपनी इनकम का बड़ा हिस्सा लोन ईएमआई में देने से उन्हें कोई आर्थिक इमरजेंसी में महंगा लोन लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
पर्याप्त इमरजेंसी फण्ड के बिना छोटी लोन अवधि चुनने से, उन्हें अचानक बेरोज़गार हो जाने या आर्थिक इमरजेंसी के दौरान, ईएमआई भुगतान में चूक का डर बना रहता है। इसके कारण उनकी क्रेडिट प्रोफाइल भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए अपने होम लोन की भुगतान अवधि इस तरह चुनें ताकि आप अपने वित्तीय लक्ष्यों के लिए भी योगदान कर सकें। चूंकि होम लोन आमतौर पर फ्लोटिंग ब्याज दरों पर दिए जाते हैं, इसलिए अतिरिक्त पैसे होने पर बिना कोई फीस दिए इसकी प्री- पेमेंट की जा सकती है और इससे आपको ब्याज पर बचत हो जाएगी।
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अच्छा क्रेडिट स्कोर होना लोन मिलने की गारंटी है
ये सच है कि लोन आवेदन का मूल्यांकन करते समय बैंक जिन प्रमुख कारकों पर विचार करते हैं, उनमें आवेदक का क्रेडिट स्कोर भी है। हालांकि, किसी की क्रेडिट प्रोफाइल के अन्य पहलू जैसे उसकी इनकम, उम्र, कहाँ काम करता है, जॉब प्रोफाइल, नौकरी की स्थिरता, मौजूदा ईएमआई आदि भी क्रेडिट प्रोफाइल का ही हिस्सा होता है। इनमें से किसी भी कारक के लिए बैंक अच्छा क्रेडिट स्कोर होने के बावजूद आपके होम लोन आवेदन को अस्वीकार कर सकते हैं। इसलिए क्रेडिट स्कोर के आलावा, अपनी क्रेडिट प्रोफाइल के इन पहलुओं पर भी ध्यान दें और लोन अप्लाई करने से पहले बैंक की सभी शर्तें जान लें।
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केवल ब्याज दर को देखकर ही लोन लेना चाहिए
लोन ऑफर चुनते समय ब्याज दर एक प्रमुख कारक ज़रूर है, लेकिन एलटीवी रेश्यो, प्रोसेसिंग फीस और भुगतान अवधि जैसे अन्य कारक भी लोन लेते समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, कम ब्याज दरों पर लोन देने वाला एक बैंक अगर आपको कम एलटीवी रेश्यो पर लोन ऑफर करता है, तो आपको घर खरीदने या निर्माण के लिए निजी फण्ड से अधिक योगदान या डाउनपेमेंट देनी होगी।
इसी तरह, कुछ बैंक लंबी भुगतान अवधि के लिए होम लोन लेने वालों को कम ब्याज दरें ऑफर करते हैं लेकिन ज़्यादा लम्बी भुगतान अवधि लेने से आपकी ब्याज लागत बढ़ जाएगी और कम ब्याज दर होने के बावजूद आप ज़्यादा ब्याज का भुगतान करेंगें।
इसलिए, बैंकों/ एचएफ़सी द्वारा दिए जा रहे विभिन्न होम लोन ऑफर की तुलना करते समय हमेशा लोन की पूरी लागत पर विचार करना चाहिए ना कि केवल ब्याज दर पर। आप ब्याज लागत, अवधि, एलटीवी रेश्यो आदि के आधार पर होम लोन की पूरी लागत जानने के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध कई होम लोन कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
होम लोन की प्री-पेमेंट करने पर फ़ीस देनी होगी
कई लोगों को ये लगता है कि होम लोन की प्री-पेमेंट करने पर फ़ीस देनी पड़ती है। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंकों फ्लोटिंग रेट पर दिए जाने वाले होम लोन की प्री-पेमेंट पर कोई भी फ़ीस नहीं ले सकते हैं, बैंक फिक्स्ड रेट होम लोन या मिक्स्ड रेट होम लोन में फिक्स्ड रेट की अवधि के दौरान की गई प्री-पेमेंट पर ही फ़ीस लगा सकते हैं। आमतौर पर, बहुत कम लोग ही फिक्स्ड रेट पर होम लोन लेते हैं। इसलिए अगर आप भी होम लोन लेने के बाद उसके जल्दी भुगतान और ब्याज बचत के लिए प्री-पेमेंट करना चाहते हैं, तो फ्लोटिंग इंटरेस्ट पर ही होम लोन लें।
फ्लोटिंग रेट की तुलना में फिक्स्ड रेट होम लोन बेहतर होते हैं
कई होम लोन आवेदक फिक्स्ड रेट होम लोन पसंद करते हैं क्योंकि उसमें ब्याज दर तय रहती है और उतार चढ़ाव की संभावना नहीं है। फिक्स्ड रेट होम लोन के तरफ़ आकर्षण विशेष रूप से उस दौरान ज़्यादा बढ़ जाता है जब कम ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध होते हैं। हालांकि, होम लोन लेने की योजना बना रहे लोगों को ध्यान देना चाहिए कि अधिकांश बैंक आमतौर पर अपने ब्याज दर जोखिम को कम करने के लिए फिक्स्ड रेट वाले होम लोन पर ऊँची ब्याज दरें वसूलते हैं। वहीं फ्लोटिंग रेट पर लिये गए होम लोन की ब्याज दरें पूरी भुगतान अवधि के दौरान बढ़ती हैं तो कई बार बहुँत कम भी होती हैं, और साथ ही फ्लोटिंग रेट पर लिए गए होम लोन की प्री-पेमेंट करने पर कोइ फ़ीस नहीं देनी होती है।
अगर आप होम लोन लेने वाले हैं तो ऊपर बताई गई गलतफहमियों के आधार पर निर्णय ना लें। पहले उपलब्ध लोन ऑफर्स की तुलना करें और ये तुलना केवल ब्याज दर के आधार पर ना हो। इसके बाद अपने फाइनेंसेस को देखते हुए भुगतान अवधि चुनें और होम लोन का लाभ उठाएं।