अन-सिक्योर्ड लोन की तुलना में सिक्योर्ड लोन सस्ते होते हैं, यानी की उनपर कम ब्याज देना होता है। इसलिए लोग अक्सर अपनी संपत्ति के बदले लोन लेते हैं जिसे लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (LAP) के नाम से जाना जाता है। हालाँकि, इस लोन को लेकर भी लोगों के बीच बहुँत सी गलतफहमियां हैं, जिनके आधार पर वो कई बार गलत निर्णय ले लेते हैं। आइये जानते हैं कि ऐसी किन गलतफहमियों से हमें बचना चाहिए।
ये भी पढ़े: होम लोन के बारे में वो गलतफहमियां जिनसे आपको बचना चाहिए
गलतफहमी न०1: आप गिरवी रखी गई संपत्ति का उपयोग नहीं कर सकते
इस लोन के बारे में सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि उधारकर्ता गिरवी रखने के बाद अपनी संपत्ति का उपयोग नहीं कर सकता हैं। ये सच नहीं है, आप बैंक में गिरवी रखने के बाद भी अपनी संपत्ति का उपयोग कर सकते हैं। जब तक आप लोन ईएमआई का भुगतान करते रहते हैं, तब तक संपत्ति पर आपका नियंत्रण रहेगा। अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ होते हैं, तब बैंक बकाया लोन राशि की वसूली के लिए आपकी संपत्ति को नीलाम कर सकता है।
गलतफहमी न० 2: LTV रेश्यो 100% तक हो सकता है
बैंक गिरवी रखी गई संपत्ति के मूल्य का जितना प्रतिशत लोन देता है, वही LTV रेश्यो होता है। लोग सोचते हैं कि उन्हें उनकी संपत्ति के मूल्य के 100% के समान लोन मिल जाएगा, जबकि ऐसा नहीं है। वैसे कितना लोन मिलेगा, ये गिरवी रखी जा रही प्रॉपर्टी के मूल्य पर निर्भर करता है। आमतौर पर बैंक संपत्ति के मूल्य का 50% से 70% तक लोन देते हैं। प्रॉपर्टी का मूल्य तय करते समय कई चीज़ों पर ध्यान दिया जाता है जैसे, उसका स्थान, वो कितनी पुरानी है, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और आदि। इन्ही के आधार पर बैंक प्रोपर्टी का मूल्य तय करते हैं और कितनी लोन राशि देनी है ये इस आधार पर ये होता है की लोन देने में रिस्क कितना है, आप कितने समय के लिए लोन लेना चाहते हैं और आपकी भुगतान क्षमता कितनी है।
गलतफहमी न० 3: केवल आवासीय संपत्ति के बदले ही लोन मिलेगा
संपत्ति के बदले लोन के बारे में एक और गलतफहमी जो लोगों के बीच है, कि केवल आवासीय संपत्ति को ही गिरवी रखकर लोन मिल सकता है। जबकि आवासीय संपत्ति के अलावा आप कमर्शियल प्रॉपर्टी, इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर भी लोन ले सकते हैं।
गलतफहमी न० 4: इस लोन को सभी कार्यों के लिए उपयोग नहीं कर सकते
इस लोन के बारे में लोगों को ये भी लगता है कि इसका उपयोग केवल सीमित कार्यों के लिए किया जा सकता है। वास्तव में पर्सनल लोन, टॉप-अप होम लोन और गोल्ड लोन की तरह ही संपत्ति के बदले लिए गए लोन का उपयोग आप किसी भी काम के लिए कर सकते हैं, अवैध और सट्टा संबंधित कार्यों को छोड़कर। आप इसका उपयोग बिज़नेस बढ़ाने, बच्चों की पढ़ाई, व्यवसाय के रोज़मर्रा के खर्च को पूरा करने, आदि के लिए कर सकते हैं।
गलतफहमी 5: इस लोन की भुगतान अवधि छोटी होती है
इस गलतफहमी के विपरीत, इस लोन की भुगतान अवधि लम्बी होती है, यहाँ तक कि ये 20 वर्ष तक की भी हो सकती है। जबकि अन्य लोन विकल्प जैसे पर्सनल लोन, गोल लोन या टॉप- अप होम लोन की भुगतान अवधि आमतौर पर क्रमशः 5 वर्ष, 3 वर्ष और 15 वर्ष तक की होती है।
गलतफहमी न० 6: संपत्ति के खरीद मूल्य के आधार पर लोन राशि तय की जाती है
इस लोन से संबंधित लोगों के बीच जो अन्य मिथक है कि बैंक उस मूल्य के आधार पर लोन राशि तय करता है जिस मूल्य पर आपने संपत्ति खरीदी है। इसके विपरीत, असल में बैंक संपत्ति की मार्केट वैल्यू के आधार पर लोन राशि तय करता है। संपत्ति का मूल्यांकन करते समय बैंक कई बातों पर विचार करता है, जैसे, उसका स्थान, वो कितनी पुरानी है, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और आदि। संपत्ति का मूल्यांकन करने के बाद, उधारकर्ता की भुगतान क्षमता, क्रेडिट स्कोर, डेट टू इनकम रेश्यो आदि पर विचार करके बैंक लोन राशि तय करता है।
ये भी पढ़ें: अच्छा क्रेडिट स्कोर होने के बावजूद इन कारणों से लोन एप्लीकेशन हो सकती है रिजेक्ट