होम लोन

होम लोन अप्लाई करने से पहले जानें, सैंक्शंड और डिस्बर्स अमाउंट में क्या अंतर है?

होम लोन अप्लाई करने से पहले जानें, सैंक्शंड और डिस्बर्स अमाउंट में क्या अंतर है?
Vandana Punj
Vandana Punj

घर लेने से पहले आप कई सारी प्रॉपर्टी देखते हैं। उनमें से किसी एक को पंसद करते हैं, फिर बारी आती है उसे खरीदने की। जिसके लिए आप होम लोन लेने के बारे में सोचते हैं। बैंक व एनबीएफसी किसी को लोन देने से पहले कई सारे प्रोसेस फॉलो करते हैं। प्रोसेस होम लोन अप्लाई करने से शुरू होकर सैंक्शंड लोन और डिस्बर्स अमाउंट पर जाकर खत्म होता है। हालांकि कई लोगों को सैंक्शंड लोन और डिस्बर्स अमाउंट में अंतर नहीं समझ आता,  तो चलिए इस आर्टिकल में दोनों के बीच के अंतर को समझते हैं…

सैंक्शंड  लोन

सैंक्शंड लोन, लोन एप्रूव्ल प्रोसेस है। जिसमें बैंक आवेदक को लोन की मंजूरी देता है। ये मंजूरी आवेदक के डॉक्यूमेंट्स, इनकम, जॉब स्टेब्लिटी और क्रेडिट स्कोर आदि चेक करने के बाद दी जाती है। सेंक्संड लोन की राशि कई फैक्ट्स पर निर्भर करती है, जिसमें आवेदक की आय और प्रॉपर्टी वैल्यू (LTV Ratio) आदि महत्वपूर्ण है। प्रॉपर्टी वैल्यू से मतलब है आप जिस प्रॉपर्टी के लिए होम लोन ले रहे हैं, बैंक उसकी वैल्यू का कितना प्रतिशत लोन देगा। 

बता दें, सैंक्शंड लोन एक निश्चित समय तक मान्य होता है। ऐसा नहीं है कि आपने आज लोन के लिए अप्लाई किया और 1 साल बाद लोन राशि का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये वैलिडिटी समयावधि बैंक दर बैंक अलग-अलग हो सकता है।  जैसे- एचडीएफसी बैंक का सैंक्शंड लेटर 3 माह तक मान्य होता है, तो फेडरल बैंक का सैंक्शंड लेटर 30 दिन तक ही वेलिड होता है। 

डिसबर्स्ड अमाउंट

लोन मंजूरी के बाद वह लोन राशि आवेदक को मिल जाना डिस्बर्स्ड अमाउंट कहलाता है। बैंक व एनबीएफसी यह डिस्बर्स्ड अमाउंट एकमुश्त या किस्तो में दे सकता है। मसलन- रिसेल प्रॉपर्टी के मामले में बैंक उधारकर्ता के खाते में एक बार में ही सारी लोन राशि दे देता है। वहीं, होम कंस्ट्रक्शन के मामले में बैंक बिल्डर को एग्रीमेंट और निर्माण कार्य के हिसाब से किस्तों में पैसे देता है। इसके अलावा अगर लोन आवेदक ने बिल्डर को पहले ही पैसे दे दिए हैं तो वह बैंक से लोन राशि रिइम्बर्स भी करवा सकता है।

हालांकि ध्यान रखें कि बैंक प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स और प्रॉपर्टी की अनुमानित लागत देखने के बाद ही लोन राशि डिस्बर्स करता है। अगर आवेदक द्वारा बैंक में जमा किए गए डॉक्यूमेंट्स व प्रॉपर्टी वैल्यू सही नहीं निकलता है तो बैंक लोन कैंसिल भी कर सकता है यानी बैंक लोन अमाउंट डिस्बर्स नहीं करेगा। 

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प्री-अप्रूव्ड होम लोन सैंक्शंड लेटर

इसका प्रोसेस समान्य होम लोन लेने की प्रक्रिया से थोड़ा अलग होता है। प्री-अप्रूव्ड मामले में, बैंक व एनबीएफसी अपने मौजूदा कस्टमर को उनके क्रेडिट प्रोफाइल, इनकम आदि के आधार पर इन-प्रींसिपल सैंक्शंड लेटर ऑफर करते हैं। जिसका मतलब है कि बैंक आपको लोन देना, बशर्ते डॉक्यूमेंट और प्रॉपर्टी वैल्यू वैरिफिकेशन में कोई गड़बड़ी न पाई जाए। 

प्री-अप्रूव्ड की पहली खास बात ये है कि ग्राहक के पास ऑप्शन होता है कि वह लोन लेना चाहता है या नहीं। इसकी दूसरी खास बात ये है कि अगर मौजूदा ग्राहक के पास होम लोन लेने के लिए कोई संपत्ति नहीं है तो भी वह प्री-अप्रूव्ड लोन ऑप्शन चुन सकता है। क्योंकि प्री-अप्रूव्ड की वैधता 6 महीने तक होती है, जिसका मतलब है कि ग्राहक को प्रॉपर्टी ढूंढ़ने के लिए 6 महीने का वक्त मिल जाता है। एक बार प्रॉपर्टी मिल जाने के बाद, बैंक संपत्ति की जांच करेगा। इसके बाद ग्राहक वैरिफिकेशन के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट जमा करेगा और अगर सबकुछ ठीक रहा, तो बैंक लोन राशि डिसबर्स्ड कर देगा। 

क्या सैंक्शंड लोन से कम लोन राशि ले सकते हैं?

जरूरी नहीं कि आपको जितना लोन सैंक्शंड हुआ हो,  आपको उतना लोन राशि लेना ही होगा। आप सैंक्शंड लोन से कम लोन राशि भी ले सकते हैं। इसके लिए आपको, जिस बैंक से लोन सैंक्शंड हुआ है उससे बात करनी होगी, फिर आप अपनी जरूरत के हिसाब से लोन डिस्बर्स करवा सकते हैं।

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बैंक सैंक्शंड लोन या डिस्बर्स राशि किस पर ब्याज लेगा?

बैंक लोन राशि डिस्बर्स्ड करने के तुरंत बाद ही ईएमआई लेना शुरू कर देता है। पर सवाल उठता है कि बैंक सैंक्शंड लोन या डिसबर्स्ड राशि किस पर ब्याज कैलकुलेट करता है? तो जबाव है डिसबर्स्ड राशि पर। उदाहरण से समझें- अगर आपको 80 लाख रुपये का लोन सैंक्शंड हुआ। लेकिन आपने केवल 70 लाख रुपये की लोन राशि ली है तो सिर्फ 70 लाख रुपये पर ही EMIs कैलकुलेट किया जाएगा।

 

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