आप अपनी कमाई से अपनी सभी जरूरत के सामान पर खर्च करने के बाद कितना पैसे बचा सकते हैं. इसे फाइनेंशियल प्लानिंग कहते हैं। फाइनेंशियल प्लानिंग की मदद से आप अपने शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं। आप अपनी सीमित कमाई से अपनी सभी जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य के लिए सेंविंग कर सकते हैं। न सिर्फ सेविंग कर सकते हैं लॉन्ग टर्म गोल के लिए निवेश भी कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए कौन से टिप्स को फॉलो करना चाहिए:
शॉर्ट और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्य चुनें
फाइनेंशियल प्लानिंग करने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने शॉर्ट और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित करें। इससे आपको पता चलेगा कि आपको किस तरह के मनी इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना चाहिए। अगर आप आने वाले 4-5 साल के लिए पैसे इकट्ठा करना चाहते हैं तो ये शॉर्ट टर्म गोल होगा। जिसके लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी) और म्यूचुअल फंड आदि में इंवेस्ट कर सकते हैं। लेकिन अगर आप अपने लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल यानी 10 साल से अधिक समय या रिटायरमेंट के लिए पैसों की बचत करना चाहते हैं तो अटल पेंशन योजना पीपीएफ और नेशनल पेंशन योजना (NPS) जैसे सुरक्षित विकल्पों में निवेश कर सकते हो। और अगर आपमें जोखिम लेने की क्षमता है तो आप रिटायरमेंट वाले म्यूचुअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं।
निवेश विकल्प में विविधता रखें (डायवर्सिफाइ इंवेस्टमेंट)
अपने पैसों को किसी एक फंड में निवेश न करके विभिन्न निवेश विकल्पों में पैसे जमा करना डायवर्सिफाइड इंवेस्टमेंट कहलाता है। डायवर्सिफाइड इंवेस्टमेंट करने का फायदा ये होता है कि अगर आपका कोई एक फंड अच्छा रिटर्न नहीं दे रहा है तो इसका भरपाया आप दूसरे फंड से कर सकते है। ऐसा करने से आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता और आपके वित्तीय लक्ष्य तुलनात्मक रुप से कम प्रभावित होते हैं। निवेश विकल्पों में विविधता रखने के लिए आप आरडी, एफडी, इक्विटी (स्टॉक मार्केट), रियल एस्टेट और गोल्ड बॉन्ड आदि में निवेश कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: अपने पैसे कहां करें इन्वेस्ट? जानिए निवेश के इन प्रकारों को
निवेश करने के लिए बचत करें
फाइनेंशियल प्लानिंग के तहत न सिर्फ खर्चों को मैनेंज किया जाता है बल्कि इसमें अच्छा-खासा रकम बचाना भी शामिल है। आप अपनी इस बचत को विभिन्न निवेश विकल्पों (एफडी, आरडी, म्यूचुअल फंड आदि) में निवेश भी कर सकते हैं। बचत करने के लिए इनकम-खर्च= बचत फॉर्मूले की जगह इनकम-सेविंग = खर्च फार्मूला फॉलो करें। यानी अपनी इनकम से खर्चों को निकालने के बाद बचने वाली राशि को बचत के रुप में न रख कर सेविंग वाली ऱाशि को इनकम से पहले निकाले इसके बाद बचने वाली राशि को खर्च करें। जी हां, पहले बचत राशि निर्धारित करें और इसके बाद बचने वाले अमाउंट को खर्च करें।
इंश्योरेंस कवर
लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस कवर फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए सामान्य सी जरूरत है। लेकिन उससे भी जरूरी है सही कवर लेना। आमतौर पर लाइफ इंश्योरेंस आपकी सालान आय के 20 गुना होना चाहिए जो आपको और आपके परिवार को अच्छे से प्रोटेक्शन दे पाएं।
- हेल्थ इंश्योरेंस: इसके बिना सामान्य-सा हेल्थ चेकअप करवाना भी मंहगा पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी गंभीर बीमारी के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़े तो लाखों का बिल बन सकता है। इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी है ताकि किसी भी तरह के हेल्थ इमरजेंसी से आप वित्तीय संकट में न फंसे।
- अयोग्यता इंश्योरेंस: जब आप किन्हीं कारणों से जॉब नहीं कर पाते हैं तब ये इंश्योरेंस आपकी और आपके परिवार की मदद करता है। नियोक्ता द्वारा दिया गया अयोग्यता इंश्योरेंस आमतौर पर आपके वेतन का लगभग 60% कवर करता है।
- लाइफ इंश्योरेंस: इस पॉलिसी के तहत इंश्योर्ड व्यक्ति के साथ किसी भी तरह की घटना या मृत्यु होने पर इंश्योरेंस कंपनी उसके नॉमिनी या परिवार को आर्थिकरुप से मदद प्रदान करती है।
कर्ज पर कम और बजट पर ज्यादा निर्भर रहें
क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन पर अपने खर्चों के लिए निर्भर रहना आपके फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर आप समय से इन कर्जों का भुगतान करने में असफल होते हैं तो बढ़ती ब्याज दर लोन राशि को और बढ़ा सकती है। और अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो उतना ही खर्च करें जितना आप अगले महीने भुगतान कर सकते हैं। इसके लिए आप बजट बना सकते हैं जिसमें अपनी सभी जरूरी खर्चों को शामिल करें और कर्ज पर कम निर्भर रहें।
ये भी पढ़ें: नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए निवेश विकल्प
इमरजेंसी फंड बनाएं
अपने मुश्किल वक्त जैसे नौकरी छूटने, बिजनेस में घाटा और बीमारी के इलाज के लिए इमरजेंसी फंड बनाएं ताकि जरूरत पड़ने पर आपको किसी दूसरे पर निर्भर न रहना पड़ें। इमरजेंसी फंड के लिए अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा अलग रखें, जो आपकी बचत और निवेश में शामिल नहीं होना चाहिए। इस फंड का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि ये आपको आपातकालिन समय में कर्ज लेने से बचता है। इसकी राशि आपके इनकम और खर्चों पर निर्भर करती है, हालांकि फंड इतना तो जरूर होना चाहिए जिससे आपके 6 माह के जरूरी खर्च मसलन- रेंट, बिजली बिल और ग्रॉसरी का खर्च निकल जाएं।
निष्कर्ष
कोई भी फाइनेंशियल प्लानिंग आपके वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए बनाया जाता है जोकि आपके वर्तमान परिस्थिती से निर्धारित होता है। इसलिए समय और परिस्थिती के हिसाब से जरूरतें या लक्ष्य बदलते रहते हैं। इसलिए समय-समय पर अपने फाइनेंशियल प्लान को चेक करें और जरूरत अनुसार उसमें बदलाव भी करें। हालांकि बदलाव करते समय ध्यान रखें कि आप पर किसी तरह का वित्तीय बोझ न पड़ें और आपके फाइनेंशियल गोल भी पूरे हो जाएं। अपने पर्सनल फाइनेंस को मैनेंज करने के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।