रवि एक MNCs कंपनी में काम करता है। कंपनी की तरफ से उसे ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस मिला हुआ है। जो उसे सामान्य मेडिकल इमरजेंसी (3 लाख तक) से होने वाली परेशानी से बचाने के लिए काफी है। फिर भी उसके एक दोस्त, रोहन ने उसे पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस लेने की सलाह दी। कहा कि कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस होना अच्छी बात है लेकिन इसके साथ अपना एक पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस भी रखना चाहिए। रोहन ने रवि को ऐसी सलाह क्यों दी, कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस के साथ पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस रखने के क्या फायदे हैं, जानने के लिए लेख आगे पढ़ें:
कॉर्पोरेट और पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस में अंतर
पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्वंय या अपने परिवार के सदस्य के लिए इंश्योरेंस कंपनी से खरीदा जाता है। जबकि कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी अपने कर्मचारी को देती है। कुछ मामलों में कर्मचारी के परिवार के सदस्यों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
वजह, क्यों केवल कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भर नहीं रहना चाहिए
बदलते जॉब में इंश्योरेंस की गारंटी नहीं
कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से कर्मचारी को प्रदान किया जाता है। इसलिए जब तक कर्मचारी उस कंपनी में काम करता है तब तक ही इस ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ उठा सकता है। नौकरी या कंपनी बदलने के बाद वह हेल्थ इंश्योरेंस मान्य नहीं रहता। ऐसी स्थिति में पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस आपको मेडिकल सुरक्षा देने में मददगार होगा।
कवरेज राशि कम हो सकती है
अगर कंपनी किसी वित्तीय कमी से जूझ रही है तो वह आपके इंश्योरेंस राशि में कमी कर सकती है। या फिर हो सकता है कंपनी इस पॉलिसी से आपके परिवार के अन्य सदस्यों मसलन पति/ पत्नी, पेरेंट और बच्चों को सुरक्षा न दें।
मिलने वाली कवरेज पर्याप्त नहीं
ज्यादातर कॉर्पोरेट/ ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस 2 से 3 लाख रु. तक की हेल्थ इंश्योरेंस देते हैं। लेकिन बढ़ती महंगाई के आगे ये राशि पर्याप्त नहीं। इंश्योरेंस कवरेज आपकी मासिक आय के 6 गुना बराबर होनी चाहिए। अगर किसी कंपनी में आपकी मंथली सैलरी 80,000 रु. है तो 2 लाख रु. का हेल्थ इंश्योरेंस आपके लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में आपको पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए जो आपको और आपके परिवार को मेडिकल सुरक्षा दे सके।
ये भी पढ़ेें: अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए आपके पास ये इंश्योरेंस पॉलिसी होनी ज़रूरी है
रिटायरमेंट के बाद आपको कवरेज सुरक्षा नहीं मिलता
रिटायरमेंट, ये वो समय होता है जब आपके आय का कोई निश्चित स्रोत नहीं होता और आप ढलती उम्र के पड़ाव पर होते हैं। जब बीमारियों का ज़्यादा खतरा होता है। बढ़ती बीमारी के साथ बढ़ता मेडिकल का खर्च। लेकिन ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस तो केवल काम के दौरान तक ही मेडिकल कवर प्रदान करता है। इसलिए काम के दौरान ही एक पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस ले लेना चाहिए, जो आपके रिटायरमेंट के बाद बुढ़ापे में आपको मेडिकल सुरक्षा प्रदान करें।
आपको क्या करना चाहिए?
रोहन की सारी बातें सुनने के बाद रवि ने यह फैसला किया कि वह कार्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस के साथ पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस भी लेगा। ताकि वह रिटायरमेंट के बाद या बढ़ती महंगाई में खुद के साथ अपने परिवार के सदस्यों को भी मेडिकल सुरक्षा दे सके। क्योंकि बीमारी कभी बता कर नहीं आती और जब आती है तो उससे निपटने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बेहतर ऑप्शन है। आप जितनी कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेते हैं, उतना ही कम प्रीमियम राशि भरना होता है। बढ़ती उम्र के साथ पीमियम की राशि भी बढ़ती जाती है। क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जाता है।