कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस को ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस भी कहते हैं। ये कंपनी की तरफ से कर्मचारी को दिया जाने वाला एक मेडिकल कवर होता है। कंपनी में काम करने के दौरान (यानी कंपनी का कर्मचारी होने तक) अगर इंश्योर्ड सदस्य/कर्मचारी किसी एक्सिडेंट, तबीयत खराब या बीमारी की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती होता है, तो उसके खर्चें ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस से कवर किए जाते हैं।
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कर्मचारी आधारित, नियोक्ता और कर्मचारी कंट्रीब्यूशन आधारित या केवल नियोक्ता कंट्रीब्यूशन आधारित हो सकता है। अगर इंश्योरेंस की प्रीमियम राशि का भुगतान केवल कर्मचारी करता हैं तो उसे एंप्लॉयी संपोन्सर्ड इंश्योरेंस कहते हैं। जब कंपनी और एंप्लॉयी दोनों मिलकर प्रीमियम का भुगतान करते हैं उसे नियोक्ता और कर्मचारी कंट्रीब्यूशन आधारित इंश्योरेंस कहते हैं। और अगर केवल कंपनी आपके हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम का पेमेंट करती है, उसे नियोक्ता कंट्रीब्यूशन आधारित हेल्थ इंश्योरेंस कहते हैं। कर्मचारी चाहे तो अपने ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में अपने परिवार के सदस्य जैसे- मां-पिता, पत्नी या बच्चों को भी शामिल करवा सकता है। हालांकि इसके लिए कर्मचारी को अलग से प्रीमियम राशि का भुगतान करना पड़ सकता है। आमतौर पर कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम का पेमेंट कंपनी ही करती है।
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के अन्य लाभ:
कंपनी करती है प्रीमियम का भुगतान
एक कर्मचारी के तौर पर ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के लिए आपको किसी प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं करना पड़ता। आपके बदले कंपनी पेमेंट करती है यानी आपको कंपनी की तरफ से फ्री में हेल्थ इंश्योरेंस मिलता है।
आपके परिवार को भी मिलती है सुरक्षा
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में न सिर्फ आपको मेडिकल सुरक्षा मिलती है बल्कि आपके परिवार के अन्य सदस्य जैसे- पति/पत्नी या बच्चों को भी मेडकिल पोटेक्शन दिया जाता है। कुछ कंपनियां आपके मां-पिता को भी हेल्थ इंश्योरेंस के तहत सुरक्षा प्रदान करती हैं। हालांकि हो सकता है कि वो इसके बदले अलग से प्रीमियम राशि लें।
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वेटिंग पीरियड का झंझट नहीं
आमतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस लेने के तुंरत बाद आप ‘क्लेम’ नहीं कर सकते। इसका लाभ उठाने के लिए आपको कुछ दिन की प्रतीक्षा करना होती है, जिसे वेटिंग पीरियड कहते हैं। लेकिन ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में ‘नो वेटिंग पीरियड’ होता है, जिसका मतलब है आप इंश्योरेंस लेने के तुरंत बाद भी ‘क्लेम’ कर इसका लाभ उठा सकते हैं।
मेडिकल चेकअप की जरूरत नहीं
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले आपको किसी तरह के मेडिकल चेकअप की अनिवार्यता नहीं है। बिना मेडिकल चेकअप के ही आपको ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस दिया जाता है।
पहले से मौजूदा बीमारी को कवर करता है
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले आपको जो बीमारियां जैसे – थायरॉयड, सुगर, अस्थमा और ब्लड प्रेशर आदि होती है, वह ‘पहले से मौजूद बिमारी’ (Pre-Existing Diseases) के तौर पर मानी जाती है। ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पहले दिन से ही आपके मौजूदा बीमारी को भी कवर करता है। ये इसकी सबसे बड़ी खासियत होती है।
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निष्कर्ष
इस तरह कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस कई तरह के बेनिफिट्स के साथ आता है। लेकिन बेहतर होगा कि आप इसके साथ अपना एक पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस भी रखें। जो न सिर्फ आपको बल्कि आपके परिवार के अन्य सदस्यों को भी सुरक्षा प्रदान करें। साथ ही इंश्योरेंस की राशि इतनी जरूर रखें जो मंहगाई के इस दौर में आपके मेडिकल खर्चों को वहन कर सके। हेल्थ इंश्योरेंस आपको मेडिकल इमरजेंसी से होने वाली किसी भी तरह की आर्थिक समस्या से बचाने में मदद करता है। इंश्योरेंस लेते समय इसके नियम व शर्तों को अच्छे से पढ़ें और समझ लें। अगर ‘वेटिंग पीरियड’ और ‘सर्वाइवल पीरियड’ के बीच अंतर समझने में कोई दिक्कत हो तो यहां क्लिक करें।