आज के समय में वित्तीय सुरक्षा के लिए अलग-अलग निवेश विकल्पों में निवेश करना जरूरी है। यानी एक डायवर्सिफाइ इंवेस्टमेंट प्लान आपको सुरक्षित वित्तीय भविष्य देने में मदद करता है। एफडी, आरडी के अलावा हालिया समय में म्यूचुअल फंड (एमएफ) एक लोकप्रिय निवेश विकल्प बन कर उभर रहा है। जोखिमों के बावजूद निवेशक म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए बढ़-चढ़ कर निवेश कर रहै हैं।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 के बाद से म्यूचुअल फंड सेक्टर में 41% की बढ़ोत्तरी हुई है। जिसमें एसआईपी की बड़ी हिस्सेदारी रही है। वित्त वर्ष 2024 में एसआईपी में 2 लाख करोड़ रुपये निवेश किया गया। जो कि निवेशकों के बढ़ते विश्वास और उनके अनुशासित बिहेवियर को दिखाता है।
म्यूचुअल फंड की बढ़ती लोकप्रियता के लिए इसके रिटर्न के अलावा इसमें निवेश की आसान प्रक्रिया भी शामिल है। जोकि डीमैट अकाउंट से संभव हो पाया है। तो चलिए जानते हैं कि डीमैट अकाउंट (Demat Account) क्या है और इसके जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने के क्या फायदे हैं:
डीमैट अकाउंट क्या है
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह ही होता है। लेकिन आप इसमें पैसे न रखकर शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखते हैं। इसकी मदद से शेयर, बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज , म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो गई है। इन्हें अब फिजिकल सर्टिफिकेट में न रखकर इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखा जाता है। डीमैट अकाउंट का फुल फॉर्म ‘डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट’ (Dematerialized account) होता है।
उदाहरण से समझें- मान लीजिए आप कंपनी X का शेयर खरीदना चाहते है। शेयर खरीदने के साथ वह आपके नाम पर ट्रांसफर होगा और शेयर सर्टिफिकेट मिलेगा। जिसके लिए पहले पेपरवर्क किया जाता था। जितनी बार कोई शेयर खरीदता या बेचता था, उतनी बार हार्ड-कॉपी सर्टिफिकेट बनवाना पड़ता था। इस पेपरवर्क के प्रोसेस को आसान बनाने के लिए साल 1996 में डीमैट अकाउंट (Demat Account) प्रणाली की शुरुआत की गई।
डीमैट अकाउंट आने के बाद शेयर और म्यूचुअल फंड खरीदने के लिए किसी फिजिकल पेपरवर्क की जरूरत नहीं। आप आसानी से ऑनलाइन शेयर खरीद और बेच सकते हैं। शेयर और म्यूचुअल फंड आपके अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में पड़ा रहता है।
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डीमैट अकाउंट के जरिए म्यूचुअल फंड खरीदने के फायदे
1. आसान और कीफायती
डीमैट खाते का उपयोग करके निवेशक एक ही खाते में विभिन्न एसेट मैनेजमेंट फर्म (एएमसी) से कई म्यूचुअल फंड खरीद सकते हैं। निवेशकों की आसानी के लिए उनके सभी निवेश एक ही अकाउंट में रखे जाते हैं, जिससे पोर्टफोलियो की देख-रेख और मैनेजमेंट आसान हो जाता है। निवेशकों के लिए पूरी निवेश प्रक्रिया आसान बना दी गई है ताकि वे एक ही विवरण पर अपनी संपत्ति, ट्रांजेक्शन हिस्ट्री और पोर्टफोलियो पर निगरानी रख सकते हैं।
2. ट्रांजेक्शन करना है आसान
निवेशक शेयर की तरह म्यूचुअल फंड को भी इसके इलेक्ट्रानिक फॉर्म में आसानी से खरीद और बेच सकते हैं। डीमैट की मदद से म्यूचुअल फंड की खरीद और फरोख्त में लगने वाला समय और एफर्ट कम हो गया। जब डीमैट नहीं था तो इसी काम के लिए अपेक्षाकृत अधिक समय लगता था। डीमैट होने की वजह से अब निवेशक निवेश संबंधी निर्णय भी जल्दी ले पाने में सक्षम हैं।
3. कॉम्परहेंसिव स्टेटमेंट
डीमैट अकाउंट की मदद से सभी म्यूचुअल फंड का स्टेटमेंट एक ही जगह पर कर पाना संभव हो पाया है। स्टेटमेंट में- आपने म्यूचुअल फंड की कितनी ईकाइयां (Units) कब ली, उसका रिटर्न कब और कितना मिला आदि शामिल होता है। इसके आलावा उस म्यूचुअल फंड की वर्तमान में कितनी वैल्यू है ये भी शामिल होता है। इस तरह सभी जानकारी एक ही जगह होने पर निवेशक को उन्हें ट्रैक और निवेश संबंधी निर्णय लेने में आसानी होती है।
4. एसआईपी के लिए भी आसान
बहुत से निवेशक सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। एसआईपी उन्हें एक निश्चित समय के लिए एक फिक्स्ड राशि निवेश करने की अनुमति देता है। आप डीमैट अकाउंट के जरिए एसआईपी में आसानी से निवेश कर सकते हैं। ऑटोमैटिक पे सेट करने पर निवेशक के खाते से निवेश की राशि अपने आप ही किसी निश्चित तारीख पर एसआईपी खाते में हस्तांतरित हो जाती है।
डीमैट खाते के जरिए म्यूचुअल फंड होने पर निवेशक अपना नॉमिनी चुन सकता है। जो निवेशक के निधन के बाद उसके म्यूचुअल फंड का हकदार होगा। उसके म्यूचुअल फंड यूनिट नॉमिनी के खाते में बिना किसी झंझट के आसानी से हस्तांतरित कर दिए जाते हैं। नॉमिनी आसानी से उन यूनिट्स के लिए क्लेम कर सकता है।
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निष्कर्ष
डीमैट अकाउंट म्यूचुअल फंड और शेयरों आदि में निवेश की प्रक्रिया को आसान बनाता है। हालांकि म्यूचुअल फंड में निवेश जोखिमों के अधीन है, इसलिए इसमें निवेश करने से पहले अच्छी तरह रिसर्च कर लें। जोखिमों को पहचान लें और निवेश करने से पहले विशेषज्ञों की राय अवश्य लें।