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Corporate FD Vs Bank FD: कॉर्पोरेट एफडी क्या होता है और ये बैंक एफडी से कैसे अलग है?

Corporate FD Vs Bank FD: कॉर्पोरेट एफडी क्या होता है और ये बैंक एफडी से कैसे अलग है?
Vandana Punj
Vandana Punj

फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) भारत में सबसे लोकप्रिय निवेश विकल्पों में से एक है। क्योंकि इसमें जोखिम कम होता है और एक निश्चित समय के बाद ब्याज समेत रकम वापस मिलने की गारंटी होती है। साथ ही इसकी ब्याज दरें भी अच्छी होती है। निवेशक इसमें अपने शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म दोनों तरह के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि बैंक एफडी (Bank FD) के अलावा कॉर्पोरेट एफडी (Corporate FD) भी होता है, जो होता तो बैंक एफडी की तरह ही है फिर भी दोनों में कुछ अंतर होता है। वो अंतर क्या है और क्या कॉर्पोरेट एफडी बैंक एफडी से बेहतर है, जानने के लिए ये लेख पढ़ें: 

बैंक एफडी क्या होता है?

बैंक एफडी को बैंक जारी करता है। अलग-अलग इंटरेस्ट रेट के हिसाब से निवेशक इसमें 6 माह से लेकर 5 साल के लिए निवेश कर सकते हैं। कुछ बैंक 10 साल के लिए भी एफडी (Fixed Deposit) ऑफर करते हैं। इसके बाद भी अगर निवेशक एफडी जारी रखना चाहता है तो एफडी रिन्यू हो जाता है। निवेशक टैक्स सेविंग स्कीम में भी निवेश कर सकते है। इसके अलावा निवेशक चाहे तो अपने मुश्किल समय में एफडी के बदले लोन (Loan Against FD) भी ले सकते हैं। या फिर इसका इस्तेमाल इमरजेंसी फंड के तौर पर भी कर सकते हैं। 

कॉर्पोरेट एफडी क्या होता है? 

कॉर्पोरेट एफडी भी बैंक एफडी की तरह ही होता है। लेकिन इसे कोई बैंक नहीं बल्कि RBI द्वारा लाइसेंस प्राप्त नॉन-बैकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) और कुछ कॉर्पोरेट कंपनियां जारी करती हैं। ये कंपनियां अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए निवेशकों से फंड इकट्ठा करती है। ये फंड ही एफडी की तरह काम करता है। फंड के लिए निवेशकों से रकम एक निश्चित अवधि के ली जाती है और ब्याज समेत राशि एक निश्चित अवधि के बाद निवेशकों को रिटर्न कर दी जाती है।

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बैंक एफडी और कॉर्पोरेट एफडी की तुलना

  • किसमें मिलता है अधिक रिटर्न- हम किसी भी स्कीम में निवेश करने की सोचते हैं तो सबसे पहले उसके रिटर्न को देखते हैं। और बात करें बैंक एफडी और कॉर्पोरेट एफडी की तो कॉर्पोरेट एफडी अपेक्षाकृत अधिक रिटर्न देता है। साथ ही इसमें कम्यूलेटिव और नॉन- कम्यूलेटिव के तहत पेआउट की सुविधा दी जाती है। कम्यूलेटिव यानी कंपाउंड इंटरेस्ट के तहत ब्याज सालाना आधार पर कैलकुलेट किया जाता है और मैच्योरिटी के समय आपको दिया जाता है। वहीं, नॉन- कम्यूलेटिव एफडी में इंटरेस्ट रेट आपकी जरूरत अनुसार मासिक, क्वाटर्ली, हाफ- ईयरली या सालाना आधार पर कैलकुलेट किया जाता है।
  • निवेश की अवधि- आप कितने समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, ये मायने रखता है क्योंकि इसके बाद ही आपको आपकी पूरी जमा रकम-पूंजी ब्याज समेत वापस मिलती है। बैंक एफडी में आप 6 माह से लेकर 5 साल और अधिकतम 10 साल के लिए निवेश कर सकते हैं। इसके बाद एफडी रिन्यू हो जाता है। वहीं, कॉर्पोरेट एफडी में 1 से 5 साल के लिए ही निवेश कर सकते हैं।
  • प्रीमैच्योर विड्रॉल संबंधी नियम- प्रीमैच्योर विड्रॉल यानी एफडी को उसके मैच्योरिटी से पहले ही तोड़ देना। आमतौर पर बैंक एफडी में प्रीमैच्योर विड्रॉल पर 1-2% का इंटरेस्ट चार्ज लगता है। जबकि कॉर्पोरेट एफडी में सभी कंपनियां प्रीमैच्योर विड्रॉल की इजाज़त नहीं देती। कुछ कंपनियां में एफडी जमा करने के 6 से 12 माह बाद समय से पहले फंड निकासी कर सकते हैं वो भी 2% से 3% पेनल्टी चार्ज के साथ।
  • किसमें कितना जोखिम- आमतौर पर बैंक एफडी को कॉर्पोरेट एफडी की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है। क्योंकि बैंक डूबने पर जमा रकम पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की तरफ से इंश्योरेंस मिलता है, जबकि कॉर्पोरेट एफडी में इस तरह का कोई इंश्योरेंस नहीं मिलता। अगर कंपनी डूब जाए तो आपका पैसा डूबने का भी खतरा होता है। इसलिए क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL) और ICRA जैसी रेटिंग एजेंसियां द्वारा दी गई अच्छी रेटिंग वाली कंपनी में ही एफडी करें।  
  • टैक्स सेविंग- बैंक एफडी टैक्स में बचत करने के लिए अलग से ‘टैक्स सेविंग स्कीम’ भी ऑफर करता है। जिसमें इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक के निवेश पर टैक्स में छूट का लाभ उठाया जा सकता है। लेकिन कॉर्पोरेट एफडी में ऐसी कोई अलग सुविधा नहीं है।  

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निष्कर्ष

बैंक एफडी और कॉर्पोरेट एफडी दोनों में कुछ खामी और खूबी है। अगर आप लॉन्ग टर्म यानी 10 साल के लिए एफडी करना चाहते हैं तो कॉर्पोरेट एफडी की तुलना में बैंक एफडी बेहतर ऑप्शन होगा। वहीं, बैंक एफडी में बैंक डूबने के मामले में DICGC की तरफ से निवेशक को 5 लाख रु. तक रकम वापस मिल जाएगा। हालांकि कॉर्पोरेट एफडी में बेहतर रेटिंग वाले कंपनी या NBFCs में एफडी करना सुरक्षित होगा। अगर अधिक रिटर्न चाहिए तो कॉर्पोरेट एफडी चुन सकते हैं। वहीं, टैक्स सेविंग के लिए बैंक एफडी चुन सकते हैं। कुल मिलाकर अपनी वित्तीय स्थिति और जोखिम क्षमतानुसार बैंक एफडी या कॉर्पोरेट एफडी, किसमें निवेश करना है इसका निर्णय लें।   

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