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हेल्थ इंश्योरेंस में ‘वेटिंग पीरियड’ और ‘सर्वाइवल पीरियड’ के बीच क्या है अंतर

हेल्थ इंश्योरेंस में ‘वेटिंग पीरियड’ और ‘सर्वाइवल पीरियड’ के बीच क्या है अंतर
Vandana Punj
Vandana Punj

बढ़ती मंहगाई के साथ बीमारी का इलाज कराना भी काफी महंगा हो रहा है। ऐसे में स्वस्थ्य बीमा सबके लिए एक बड़ी ज़रूरत बन गई है। लेकिन हेल्थ पॉलिसी लेने के तुरंत बाद आप इसे ‘क्लेम’ नहीं कर सकते हैं। इसका लाभ उठाने के लिए आपको कुछ दिन तक प्रतीक्षा करनी होती है, जिसे हम वेटिंग पीरियड कहते है। कुछ लोग ‘वेटिंग पीरियड’ और ‘सर्वाइवल पीरियड’ दोनों शब्दों का मतलब न पता होने के कारण इनमें अंतर नहीं कर पाते हैं और आगे चलकर परेशानी उठाते हैं। भविष्य में इन टर्मस को लेकर आपको कोई दिक्कत न हो, इसलिए इनके बारे में पहले से ही जान लें।

वेटिंग पीरियड क्या है?

‘वेटिंग पीरियड’ वह अवधि है जिसमें आप पॉलिसी क्लेम नहीं कर सकते। यह अवधि पूर्व-निर्धारित होती है और आपके पॉलिसी दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से लिखी होती है। पॉलिसी शुरू होते ही वेटिंग पीरियड शुरू हो जाता है। एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में आमतौर पर कुछ अलग प्रकार की वेटिंग पीरियड होती है। हम उन पर एक एक कर नजर डालते हैं।

  • प्रारंभिक वेटिंग पीरियड: हेल्थ इंश्योरेंस लेने के 30 से 90 दिन के बाद ही आप इस पॉलिसी का लाभ उठा सकते हैं, इसे ही प्रारंभिक वेटिंग पीरियड (Initial waiting period) कहा जाता है। ये नियम हॉस्पिटलाइजेशन और इमरजेंसी दोनों ही स्थितियों में लागू होती है। हालांकि कुछ बीमा कंपनियां एक्सिडेंट के मामलों में छूट देती हैं, यानि अगर किसी पॉलिसी होल्डर की दुर्घटना हो जाती है और उसे इमरजेंसी में हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत होती है, तो वह पॉलिसी के लिए क्लेम कर सकता है। प्रारंभिक वेटिंग पीरियड की अवधि अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों में भिन्न-भिन्न हो सकती है।
  • खास बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड: ट्यूमर,ऑस्टियोपोरोसिस, ENT (कान, नाक और गला), हर्निया, बवासीर और मोतियाबिंद जैसी विशेष बीमारियों (Specific Diseases) के लिए अलग वेटिंग पीरियड होता है। जो आमतौर पर 1 से 2 साल तक के लिए होता है। हालांकि यह अवधि या पीरियड भी पॉलिसी कंपनी पर निर्भर करती है। इसलिए पॉलिसी लेते समय प्रत्येक बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड जरूर चेक कर लें।
  • पहले से मौजूद बिमारी के लिए वेटिंग पीरियड: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले आपको जो बीमारियां जैसे – थायरॉयड, सुगर, अस्थमा और ब्लड प्रेशर आदि होती है, वह ‘पहले से मौजूद बिमारी’ (Pre-Existing Diseases)के तौर पर मानी जाती है। और इसके लिए आमतौर पर 1 से 4 साल के लिए वेटिंग पीरियड होता है। हालांकि यह वेटिंग पीरियड आपकी मेडिकल कंडीशन और इंश्योरेंस कंपनी पर भी निर्भर करती है, जिससे आपने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदी है।
  • मातृत्व लाभ के लिए वेटिंग पीरियड: बहुत सारी इंश्योरेंस कंपनियां मातृत्व लाभ (Maternity Benefit) भी ऑफर करती हैं। जिसका लाभ लेने के लिए आपको 2 से 4 साल का वेटिंग पीरियड पूरा करना होगा। यानी पॉलिसी लेने के बाद से इस निर्धारित अवधि को पूरा करने पर ही आप मातृत्व संबंधी दावे कर सकती हैं। हालांकि ये वेटिंग पीरियड इंश्योरेंस कंपनी और आपके हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करती है।

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सर्वाइवल पीरियड

सर्वाइवल पीरियड केवल गंभीर बीमारियों पर लागू होती है, इसलिए यह आमतौर पर ‘गंभीर बीमारी इंश्योरेंस’ करवाने पर ही मिलता है। सर्वाइवल पीरियड के तहत कैंसर, हार्ट-अटैक, किडनी फेलियर आदि जैसी जीवन घातक बीमारियों को कवर किया जाता है। हालांकि अब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में भी सर्वाइवल पीरियड को शामिल किया जा रहा है, जो गंभीर बीमारी के पता लगने के बाद ही सक्रिय होती है। इसका टैन्योर 30 दिन से लेकर 180 दिन तक हो सकता है। अगर पॉलिसीहोल्डर इस अवधि तक जीवित रहता है, तो इंश्योरेंस कंपनी उसे एकमुश्त भुगतान करती है। भुगतान पूरा होने पर यह पॉलिसी समाप्त हो जाती है।

वेटिंग पीरियड और सर्वाइवल पीरियड के बीच अंतर

भले ही ‘वेटिंग पीरियड’ और ‘सर्वाइवल पीरियड’ एक ही शाखा के दो पत्तों की तरह लगे, पर दोनों के बीच पहला बड़ा अंतर यही है कि सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में वेटिंग पीरियड होता है लेकिन सभी में सर्वाइवल पीरियड नहीं होता। वेटिंग पीरियड पॉलिसीहोल्डर की बीमारी या बीमारी की परवाह किए बिना मान्य होती है वहीं, सर्वाइवल पीरियड उन लोगों पर लागू होता है जो पॉलिसी खरीदने के पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होते हैं।

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आपको क्या करना चाहिए?

वेटिंग पीरियड और सर्वाइवल पीरियड में अंतर समझने के बाद छोटी अवधि के लिए सर्वाइवल पीरियड रखते हुए ‘गंभीर बीमारी इंश्योरेंस’ चुनना बेहतर ऑप्शन हो सकता है। क्योंकि वेटिंग पीरियड अमूमन सभी हेल्थ इंश्योरेंस में ऑफर किए जाते हैं। इसमें आपको किसी बीमारी के लिए एक निश्चित अवधि तक इंतजार करना होता है। जबकि ‘गंभीर बीमारी इंश्योरेंस’ में शार्ट सर्वाइवल पीरियड रखने से इसका टैन्योर जल्दी पूरा हो जाएगा, जिसके चलते आप पर लंबे समय तक फाइनेंशियल बोझ नहीं पड़ेगा और जीवन घातक बीमारी के खर्च के लिए इंश्योरेंस भी कवर हो जाएगा।

हालांकि इसमें ध्यान रखने वाली बात ये है कि सर्वाइवल पीरियड के दौरान पॉलिसीहोल्डर की मौत होने पर उसे कोई प्रीमियम राशि नहीं मिलेगी। जबकि पॉलिसीहोल्डर की असमय मृत्यु होने पर पॉलिसीहोल्डर द्वारा जमा किए गए कुल प्रीमियम राशि को वापस कर दिया जाएगा। इसलिए सर्वाइवल पीरियड की तुलना करने के बाद ही कोई पॉलिसी लें।

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