गोल्ड (Gold) में निवेश करना हमेशा से ही पारम्परिक रहा है। पहले के समय में, लोगों के पास सोने में निवेश करने के सीमित तरीके थे क्योंकि उनके पास सोना या तो ठोस रूप में या ज्वैलरी के रूप में होता था। लेकिन, आज जब समय बदल गया है तो गोल्ड में निवेश के तरीकों में भी कई बदलाव देखे जा सकते हैं। आज लोग केवल फिजिकल गोल्ड यानी ज्वैलरी में ही नहीं बल्कि अलग-अलग तरीकों से भी सोने में निवेश कर रहे हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बताने वाले है।
गोल्ड में निवेश करने के ये हैं कुछ तरीके
गोल्ड ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड):
ईटीएफ एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड हैं और कई कंपनियों के शेयरों की तरह, ये शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं। गोल्ड ईटीएफ को डीमैट अकाउंट या ब्रोकर के जरिए खरीदा या बेचा जा सकता है। इसमें आप सोना इकाइयों (units) में खरीद सकते हैं, एक इकाई का मतलब एक ग्राम सोना होता है। 1 गोल्ड ईटीएफ 1 ग्राम सोने के अनुपात में होता है। गोल्ड ईटीएफ में सोने की शुद्धता 0.995% या उससे अधिक होती है। लंबी अवधि के लिए सोना जमा करने के बजाय, गोल्ड ईटीएफ चुनना आसान और सबसे सुरक्षित तरीका है क्योंकि इसमें शुद्धता का कोई सवाल नहीं है, कोई मेकिंग चार्ज नहीं है और बेचते समय कीमत में कोई अतिरिक्त कटौती नहीं होती है।
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गोल्ड म्युचुअल फंड:
म्यूचुअल फंड में आप डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से सोने में निवेश करते हैं। इसमें आप या तो फिजिकल गोल्ड, सोना बनाने वाली कंपनियों, या सोने की खनन कंपनियों में निवेश करते हैं। ऐसे फंड से रिटर्न केवल इन कंपनियों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। गोल्ड फंड निवेश के लिए सबसे भरोसेमंद स्रोत हैं क्योंकि केवल उच्चतम शुद्धता (99.5%) वाले फंडों को ही चुना और निवेश किया जाता है। गोल्ड फंड में निवेश करना आसान और कम समय लेने वाला है इसमें आप ग्राम सोने में निवेश करने के बजाय रुपये में निवेश करते हैं। गोल्ड म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप डीमैट अकाउंट, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सहारा ले सकते है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB):
सोने में निवेश करने की सोच रहें है तो SGB भी एक विकल्प है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक सरकारी बॉन्ड है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2015 में भारत सरकार की ओर से सॉवरेन बॉन्ड जारी किया गया। सोने के बॉन्ड प्रति इकाई के आधार पर बेचे जाते हैं और प्रत्येक इकाई का मूल्य एक ग्राम सोने से 999 शुद्धता के साथ प्राप्त होता है। एक व्यक्ति एसजीबी में हर साल 4 किलोग्राम तक निवेश कर सकता है और ट्रस्टों के पास हर साल 20 किलोग्राम की सीमा है। एसजीबी में निवेश का लाभ 2.5% प्रति वर्ष की सुनिश्चित ब्याज दर के साथ कम लागत वाला लेनदेन है। ब्याज का भुगतान छमाही आधार पर किया जा सकता है। एसजीबी डाकघरों, स्टॉक एक्सचेंजों, कमर्शियल बैंकों, सुरक्षा ट्रेडिंग कंपनियों और स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और अन्य स्टॉक डिपॉजिटरी के माध्यम से उपलब्ध हैं।
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डिजिटल गोल्ड:
आज जब सब कुछ ऑनलाइन आ गया है तो आपके पास वर्चुअल गोल्ड निवेश का विकल्प भी है। कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और ऐप हैं जहां आप जितनी भी राशि का निवेश करना चाहते हैं, इलेक्ट्रॉनिक रूप से सोना खरीद या बेच सकते हैं। डिजिटल गोल्ड की सबसे खास बात ये है कि आप इसको ऑनलाइन खरीदते हैं और आप दुनिया में किसी भी कोने से निवेश कर सकते हैं। साथ ही आपको इसके स्टोरेज की भी चिंता नहीं होगी।
फिजिकल गोल्ड:
इसमें केवल भौतिक सोने में सीधा निवेश शामिल है जैसे सोने के बिस्किट-सिक्के या ज्वैलरी खरीदना। फिजिकल गोल्ड को भविष्य में अधिक कीमत पर आसानी से बेचा जा सकता है। हालाँकि, इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी है जैसे इसपर आपको मेकिंग चार्ज और जीएसटी देना, चोरी का खतरा आदि। और अगर आप बैंक लॉकर में सोने को रखते है तो उसका अलग से चार्ज लगता है।
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निष्कर्ष
हर निवेश के साथ फायदे और नुकसान जुड़े होते हैं। यदि आप फिजिकल गोल्ड रखने के पक्ष में नहीं हैं, तो आप अन्य वैकल्पिक ईटीएफ, गोल्ड फंड या SGB आदि का विकल्प चुन सकते हैं। हालाँकि सोना स्टॉक और बॉन्ड की तरह एक ऐसा निवेश नहीं है जो आपको ब्याज और लाभ के साथ नियमित आय प्रदान करता है पर गोल्ड में निवेश आपको टैक्स में लाभ, अचानक से पैसों की आवश्यकता को पूरा करना आदि जैसे लाभ है। जाहिर तौर पर, सोने में निवेश के फायदे आमतौर पर नुकसान से ज्यादा होते हैं।