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नौकरी करते हैं तो निवेश के लिए ये विकल्प हैं बढ़िया

नौकरी करते हैं तो निवेश के लिए ये विकल्प हैं बढ़िया
Bharti
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नौकरीपेशा सहित किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा निवेश विकल्प, मुख्य रूप से चार कारकों पर निर्भर करता है – जोखिम लेने की क्षमता, नकदी की ज़रूरत, टैक्स स्लैब और निवेश अवधि। इन्ही कारकों के आधार पर इस लेख में हम अलग-अलग निवेश विकल्पों पर बात करेंगे।

बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट

एफडी उन लोगों के लिए अच्छा निवेश विकल्प हैं, जो अपने शोर्ट और मिड-टर्म इन्वेस्टमेंट गोल्स के लिए निवेश करना चाहते हैं और साथ में पूँजी सुरक्षा व रेगुलर इनकम भी। शेड्यूल बैंकों में डिपॉज़िट अकाउंट (सेविंग्स, करंट, एफडी, आरडी) को सरकारी बीमा योजना के तहत 5 लाख रु. तक का कवर मिलता है।

आमतौर पर स्मॉल फाइनेंस बैंक निजी क्षेत्र और सार्वजानिक क्षेत्र के ज़्यादातर बैंकों के मुकाबले एफडी पर ज़्यादा ब्याज देते हैं। तो इस तरह आप ज़्यादा ब्याज देने वाले कई बैंकों में थोड़ा-थोड़ा निवेश इस तरह कर सकते हैं कि प्रत्येक बैंक में उनके रेकरिंग, सेविंग, करंट और एफडी अकाउंट की पूँजी मिलाकर 5 लाख रु. से ज़्यादा ना हो।

ये भी पढ़ें: फ्लेक्सी एफडी क्या है? ये रेगुलर एफडी से किस तरह अलग है?

डेट म्यूचुअल फण्ड

डेट म्यूचुअल फंड इक्विटी फंड की तुलना में अधिक सुरक्षित माने जाते हैं। फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट को खरीदा-बेचा जा सकता है, इसलिए डेट फण्ड सेविंग अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉज़िट की तुलना में ज़्यादा रिटर्न देते हैं।

ऐसे निवेशक जो अपने डेट फण्ड निवेश पर अधिक सुरक्षा चाहते हैं, उन्हें छोटी अवधि के डेट फण्ड जैसे लिक्विड, ओवरनाईट, अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म ड्यूरेशन, लो ड्यूरेशन और शॉर्ट ड्यूरेशन फण्ड चुनने चाहिए। क्योंकि ये डेट फण्ड जल्दी मैच्योर हो जाते हैं इसलिए अन्य डेट फण्ड के मुकाबले इनकी ब्याज दर पर कम जोखिम होता है।

जो निवेशक ज़्यादा जोखिम ले सकते हैं और लम्बे समय तक निवेश बनाए रख सकते हैं वो लम्बी अवधि वाले डेट म्यूचुअल फण्ड में निवेश कर सकते हैं।

इक्विटी म्यूचुअल फण्ड

इक्विटी से फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट और महंगाई दर के मुकबले अधिक रिटर्न मिलता है, यह उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो लम्बे समय में अधिक रिटर्न चाहते हैं, लेकिन शेयर बाज़ार में सीधे निवेश करने का समय या विशेषज्ञता उनके पास नहीं है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) नामक एक विशेष सेगमेंट भी है, अगर आप तीन वर्ष के लिए इसमें निवेश बनाए रखते हैं तो रिटर्न पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स में छूट मिलेगी।

कोई भी व्यक्ति इक्विटी समेत म्यूचुअल फंड में शुरुआती राशि 5000 रु. के साथ निवेश करना शुरू कर सकता है और उसके बाद उसी म्यूचुअल फंड में न्यूनतम 1,000 रु. के साथ निवेश बढ़ाया जा सकता है। वहीं ईएलएसएस में निवेश के लिए, लमसम और अतिरिक्त निवेश दोनों के लिए न्यूनतम राशि 500 रु. है।

पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड (पीपीएफ)

पीपीएफ को EEE टैक्स स्टेटस प्राप्त है, इसलिए इसमें निवेश राशि, प्राप्त ब्याज के साथ-साथ मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पर भी टैक्स छूट मिलती है। पीपीएफ का टैक्स-फ्री स्टेटस और निवेश पर सरकारी गारंटी इसे 5 साल की टैक्स सेविंग एफडी से बेहतर विकल्प बनाती है।

बता दें, कि PPF में निवेश लॉक-इन पीरियड 15 साल है, इस दौरान केवल कुछ पैसा ही इसमें से निकाला जा सकता है। कुछ पूर्व-निर्धारित शर्तों के मुताबिक, समय से पहले अकाउंट बंद कर के पैसा निकाला जा सकता है। पीपीएफ के बदले लोन की सुविधा भी उपलब्ध है। वित्त मंत्रालय द्वारा हर तिमाही में पीपीएफ की ब्याज दर तय की जाती है और पीपीएफ पर अर्जित ब्याज को वार्षिक कंपाउंड रूप से जोड़ा जाता है।

निवेशक जो जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और लम्बी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, वो पीपीएफ़ का विकल्प चुन सकते हैं। मध्यम या ज़्यादा जोखिम लेने वाले निवेशक अच्छे रिटर्न के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, और जो लोग करीबी लक्ष्यों के लिए निवेश करना चाहते हैं वो डेट फण्ड और एफडी पर विचार कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें: NPS या PPF? किसमें इंवेस्ट करना बेहतर है?

 

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