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मल्टीकैप और फ्लेक्सी कैप फंड क्या है? कौन-सा है बेहतर

मल्टीकैप और फ्लेक्सी कैप फंड क्या है? कौन-सा है बेहतर
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देश में सारी कंपनियों को उनकी मार्केट वैल्यू (मार्केट कैपिटलाइजेशन) के हिसाब से स्मॉल कैप, मिड कैप और लार्ज कैप में डिवाइड किया जाता है। इसी तरह, म्यूचुअल फंड को भी कंपनियों के आकार और निवेश की रणनीति के आधार बांटा जाता है। उदाहरण के लिए, लार्ज कैप म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में सिर्फ उन्हीं कंपनियों में निवेश किया जाता है जिनकी मार्केट वैल्यू 20 हज़ार करोड़ रु. या उससे ज्यादा होती हैं, इसी तरह स्मॉल कैप फंडों में छोटी कंपनियों और मिड कैप में मिड कैपिटलाइजेशन की कंपनियों में निवेश किया जाता है। लेकिन ऐसे कई फंड हैं जिनमें कंपनियों की मार्केट वैल्यू के आधार पर इन्वेस्ट नहीं किया जाता, इन फंडों में फ्लेक्सी कैप और मल्टीकैप का नाम आता है, जिनमें तीनों तरह की कंपनियों में निवेश किया जाता है। यह दोनों ही म्यूचुअल फंड के सबसे पॉपुलर फंडों की कैटेगरी में आते हैं। चलिए जानते हैं मल्टीकैप और फ्लेक्सी कैप फंड (Multi-Cap Funds Vs Flexi-Cap Funds) में क्या अंतर है?

मल्टीकैप फंड क्या होते हैं?

मल्टीकैप फंड (Multi-Cap Funds) में इक्विटी और इक्विटी से संबंधित स्टॉक्स में इंवेस्ट किया जाता है। यह ऐसे फंड होते हैं जिनमें किसी एक कैप की कंपनी में निवेश न करके अलग-अलग कैपिटलाइजेशन की कंपनियों में निवेश किया जाता है। साथ ही, इन तीनों ही कैप की कंपनियों जैसे स्मॉल कैप में 25%, मिड कैप में 25% और लार्ज कैप में 25% निवेश करना अनिवार्य होता है। आखिर में जो 25% एसेट बचता है उसे फंड मैनेजर अपने अनुसार इक्विटी या किसी अन्य एसेट क्लास में निवेश कर सकता है।

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फ्लेक्सी कैप फंड क्या होते हैं?

फ्लेक्सी कैप फंड (Flexi-Cap Funds) में भी इक्विटी और इक्विटी जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट किया जाता है। यह ओपन-एंडेड, डायनेमिक होते हैं और इनमें मल्टीकैप की तरह फिक्स्ड एलोकेशन नहीं होता। यानी इसमें फंड मैनेजर तय करेगा कि कौन-से मार्केट कैप (स्मॉल कैप, मिड कैप, लार्ज कैप) वाले शेयरों में कितना प्रतिशत इन्वेस्ट करना है। इसमें भी अलग-अलग कैप की कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है।

मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप फंड्स में क्या अंतर है?

एक तरह से देखा जाए तो यह दोनों विकल्प एक जैसे हैं, क्योंकि दोनों में ही स्मॉल, लार्ज और मिड-कैप शेयरों में निवेश किया जाता है। इसके बावजूद इनके बीच कुछ अंतर भी हैं, जैसे-

  • इक्विटी एक्सपोजर: भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (SEBI) के नियमों के मुताबिक मल्टीकैप फंड में अपने कुल निवेश में से 75% हिस्सा इक्विटी में निवेश करना ज़रूरी होता है। वहीं फ्लेक्सी कैप फंड के तहत इक्विटी और इक्विटी जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स (Equity mutual funds) में कम से कम 65% निवेश करना पड़ता है।
  • मार्केट कैप एलोकेशन: मल्टी-कैप फंडों को अपने पोर्टफोलियो का मिनिमम 25% लार्ज-कैप में, 25% मिड-कैप और 25% स्मॉल-कैप कंपनियों में बांटना आवश्यक होता है। फ्लेक्सी कैप के मामले में किसी भी मार्केट कैप की कंपनियों में कितना भी निवेश किया जा सकता है, इसमें मल्टीकैप की तरह फिक्स एलोकेशन नहीं होता।
  • निवेश में फंड मैनेजर को प्रीडम: मल्टीकैप फंड में, फंड मैनेजर के पास स्टॉक चुनने की प्रीडम होती है, लेकिन उसे 25% के फिक्स अलोकेशन को फॉलो करना होता है, जबकि फ्लेक्सी कैप फंड में फंड मैनेजर अपने मुताबिक यह तय कर सकता है कि कौन-से कैप की कंपनियों में कितना निवेश करना है।

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इन दोनों में से बेहतर विकल्प कौन-सा है?

मल्टीकैप फंड में स्मॉल कैप और मिड कैप फंड के मुकाबले कम रिस्क होता है। वहीं दूसरी ओर फ्लेक्सी कैप फंड की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें फंड मैनेजर बाज़ार के उतार-चढ़ाव के आधार पर पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकता है, यानी मार्केट में तेज़ी आने पर स्मॉल और मिड कैप कंपनियों में एलोकेशन को बढ़ा सकता है, जबकि मार्केट में उतार-चढ़ाव ज्यादा होने के मामले में लार्ज कैप में एलोकेशन बढ़ा सकता है, क्योंकि उतार-चढ़ाव का सबसे ज्यादा असर स्मॉल और मिड कैप में पड़ता है। हालांकि, इन दोनों में से किसी एक में निवेश करने का फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम उठाने की क्षमता को समझें, उसके बाद निवेश करने का फैसला लें।

 

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