निवेश वेल्थ क्रिएशन के लिए किया जाता है। यानी अपने पैसों को कहीं ऐसी जगह लगाना जहां से भविष्य में आपको मुनाफा प्राप्त हो सके। निवेश आपके शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है। लेकिन दूसरी चीजों की तरह इसमें भी जोखिम है। अगर आप निवेश करने से पहले इन जोखिमों को भाप लेते हैं, इसके बारे में अच्छे से जान लेते हैं तो सही जगह निवेश कर सकते हैं। यहां कुछ सामान्य निवेश जोखिमों के बारे में बताया गया है, जिनके बारे में जानकर आप निवेश से संबंधित सही निर्णय ले सकते हैं:
1. मार्केट रिस्क
इसे सिस्टमेटिक रिस्क भी कहते हैं। बाजार में होने वाली किसी भी हलचल या उतार-चढ़ाव का सीधा असर निवेश पर पड़ता है। इकॉनोमिक कंडिशन, जियोपॉलिटिकल इवेंट, ब्याज दर आदि जैसे फैक्टर्स निवेशक के निवेश मूल्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। स्टॉक मार्केट या म्युचुअल फंड इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
जोखिम कम करने का तरीका: अपने पैसों को एक ही एसेट क्लास में निवेश करने के बजाए अलग-अलग एसेट क्लासेस में इंवेस्ट करें यानी डायवर्सिफाइ पोर्टफोलियो अपनाएं
2. क्रेडिट रिस्क
कोई सरकार या कंपनी वित्तीय संकट के चलते अपने जारी बॉन्ड पर मैच्योरिटी के समय इंटरेस्ट या प्रींसिपल अमाउंट का भुगतान करने में असफल होती है। इस तरह का जोखिम बॉन्ड से जुड़ा होता है।
जोखिम कम करने का तरीका: क्रेडिट रेटिंग के माध्यम से जोखिम को कम कर सकते हैं। यानी जिसकी क्रेडिट रेटिंग बेहतर होगी उसमें जोखिम की संभावना भी कम हो सकती है।
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3. इंफ्लेशन रिस्क:
बढ़ती मंहगाई के चलते समय के साथ निवेशक की खरीद क्षमता कम होती है। यानी वर्तमान में आप जिस सामान को 100 रु. में खरीद रहे हैं भविष्य में उसी सामान को खरीदने के लिए आपको 1000 रु. खर्च करना पड़ सकता है।
जोखिम कम करने का तरीका: ऐसे टूल में निवेश करें जो आपको मंहगाई के हिसाब से रिटर्न दें, जैसे- स्टॉक मार्केट, रियल एस्टेट।
4. इंटरेस्ट रेट रिस्क
यह जोखिम ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होता है। इंटरेस्ट रेट बदलने से निवेशक को मिलने वाला फिक्स्ड इनकम प्रभावित हो सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर बॉन्ड में देखने को मिलता है। इंटरेस्ट रेट बढ़ने से बॉन्ड की कीमत गिर जाती है और इसके विपरीत इंटरेस्ट रेट कम होने पर बॉन्ड की कीमत बढ़ जाती है।
जोखिम कम करने का तरीका: बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड में डायवर्सिटी रखें। यानी ऐसे बॉन्ड खरीदें जो एक साथ मैच्योर न हो बल्कि अलग-अलग समय पर मैच्योरिटी पूरी हो।
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5. करेंसी रिस्क
विदेशों में निवेश (इंटरनेशनल स्टॉक या बॉन्ड) करने वाले लोगों को ये जोखिम प्रभावित करता है। क्योंकि करेंसी की वैल्यू में बदलाव से निवेश के बदले मिलने वाला रिटर्न प्रभावित होता है।
जोखिम कम करने का तरीका: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करते समय करेंसी-हेज फंड का उपयोग करने पर विचार करें।
6. लिक्विडिटी रिस्क
इस जोखिम में आप अपनी प्रॉपर्टी या इंवेस्टमेंट को उस कीमत पर नहीं बेच पाते हैं जितने में आपने खरीदी थी। जैसे- कोई प्रॉपर्टी या स्टॉक अधिक कीमत पर खरीदी और अब कम कीमत पर बेच रहे हैं।
जोखिम कम करने का तरीका: निवेश करने से पहले उसकी लिक्विडिटी के बारे में जानें। और उसे बैलेंस करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में अधिक लिक्विडिटी वाला एसेट शामिल करें।
7. कॉन्सन्ट्रेशन रिस्क
ये रिस्क तब होता है जब किसी ने अपने पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एक ही परिसंपत्ति में निवेश कर रखा हो। अगर वह संपत्ति खराब प्रदर्शन करती है तो निवेशक को मिलने वाला रिटर्न प्रभावित होता है।
जोखिम कम करने का तरीका: किसी एक इंवेस्टमेंट टूल में इंवेस्ट करने के बजाए अलग-अलग पोर्टफोलियो में निवेश करें।
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8. इवेंट रिस्क
अनचाही घटनाएं जैसे- प्राकृतिक आपदाएं, आतंकवादी हमले और कॉरपोरेट स्केम आदि इस जोखिम के तहत आते हैं। इस तरह की घटनाओं का निवेश पर अचानक और गंभीर प्रभाव पड़ता है।
जोखिम कम करने का तरीका: हालांकि इस जोखिम को भाप पाना कठिन है, लेकिन डायवर्सिफाइड निवेश के माध्यम से जोखिम को कम किया जा सकता है।
9. पॉलिटिकल और रेगुलेटर रिस्क:
इस तरह की जोखिम सरकार की नीतियों में बदलाव, रेगुलेशन चेंज या विश्वस्तर पर होने वाले किसी इवेंट के कारण होता है। इस तरह की जोखिम से किसी विशेष क्षेत्र या सेक्टर के निवेशक अधिक प्रभावित होते हैं।
जोखिम कम करने का तरीका: निवेशक को सरकार की ऐसी नीतियों और रेगुलेशन नियमों से अवगत रहना चाहिए जो उनके निवेश को प्रभावित कर सकता है। फिर उसके अनुरूप ही कदम उठाना चाहिए।
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10. बिजनेस और इंडस्ट्री रिस्क
ये जोखिम कुछ विशेष कंपनी और सेक्टर पर असर डालता है। जैसे किसी विशेष कंपनी ने अपनी पॉलिसी, काम करने के तरीके और टेक्नोलॉजी में बदलाव किया, जिससे कर्मचारी और उसका निवेश प्रभावित होता है।
जोखिम कम करने का तरीका: अपने पैसे अलग-अलग जगह इंवेस्ट करें यानी निवेश को डायवर्सिफाइ रखें।
निष्कर्ष
एक निवेशक के रूप में आपको उपरोक्त जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए। ताकि आप निवेश से संबंधित सही कदम उठा सकें, जैसे- कहां निवेश करना चाहिए, कब निवेश करना चाहिए आदि। हालांकि जोखिम सहने की क्षमता भी उम्र, इनकम, इंवेस्टमेंट नॉलेज, एक्सपीरिएंस और परिवार की स्थिति पर भी निर्भर करता है। अपने निवेश जोखिम को समझकर आप अपनी वित्तीय जोखिम के अनुसार इंवेस्ट कर सकते हैं। अपने पर्सनल फाइनेंस को कैसे मैनेज करें? जानने के लिए यहां क्लिक करें।