केवल ज़्यादा कमाने से आप आर्थिक रूप से सुरक्षित नहीं होते हैं। इसके लिए अपने फाइनेंस को मैनेज करने की ज़रूरत होती है। Scripbox के वर्ष 2019 में किये गए एक सर्वे में, 76% लोगों ने माना था कि फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर लोगों को ज़्यादा शिक्षित होने की ज़रूरत है। ये सर्वे भारत के मुख्य शहरों में किया गया था, जिसमें 26 वर्ष से लेकर 45 वर्ष तक के लोगों से बात की गई थी। पर्सनल फाइनेंस मैनेज करना का मतलब होता है कि कर्ज़ जाल में ना फंसें, आर्थिक इमरजेंसी के लिए तैयार रहें, अपनी संपत्ति बढ़ाएं और जीवन के ज़रूरी आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करें। इस लेख में हम बताएंगें कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं:
आर्थिक लक्ष्यों के लिए प्लान बनाएं
आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पहला कदम है फाइनेंशियल प्लान बनाना। ये तय करें कि आपको कौनसा आर्थिक लक्ष्य कब पूरा करना है, कैलकुलेट करें कि इस बीच महंगाई कितनी बढ़ेगी, अब तय करें की आपको अपने आर्थिक लक्ष्यों के लिए कितने पैसे चाहिए, अपनी इनकम और जोखिम लेने की क्षमता देखें और इनके अनुसार अपने लिए निवेश विकल्प चुनें कि आपको कहाँ-कहाँ निवेश करना है।
यानी आप अपनी इनकम, निवेश अवधि और जोखिम स्तर के अनुसार तय करेंगें कि आपको किस तरह से निवेश करना है।
अगर किसी करीबी लक्ष्य के लिए कम जोखिम लेकर निवेश करना चाहते हैं तो डेट फंड चुन सकते हैं, और अगर लम्बे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो इक्विटी फंड पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि ये लम्बे समय में महंगाई दर को पीछे छोड़ते हुए अच्छा रिटर्न देते हैं। बता दें कि वैल्यू रिसर्च के मुतबिक, पिछले 10 वर्षों में मीडियम ड्यूरेशन डेट फंड्स का एवरेज रिटर्न 7.41% रहा है और शॉर्ट टर्म डेट फंड्स का 7.2%। वहीं पिछले 10 वर्षों में इक्विटी फंड्स का एवरेज रिटर्न 13% से 17% के बीच रहा है।
SIP द्वारा निवेश शुरू करें
इस आकलन के बाद कि आपको कितना पैसा इकट्ठा करना हैं, अब अपने प्रत्येक आर्थिक लक्ष्य के लिए आपको प्रति माह कितना योगदान देना होगा, इसके लिए SIP कैलकुलेटर का उपयोग करें। उसके बाद SIP द्वारा म्यूचुअल फंड में हर महीने निवेश शुरू करें। SIP द्वारा आप लगातार तय समय पर एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
इससे निवेश भी रेगुलर होता रहता है, वित्तीय अनुशासन आता है, और बज़ार में कब निवेश करना है और कब नहीं इसका जोखिम भी नहीं रहता, साथ ही बाज़ार में गिरावट के दौरान निवेश करने से बाज़ार में तेज़ी आने पर आपकी निवेश लागत भी एवरेज हो जाती है।
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जल्द से जल्द टर्म और हैल्थ इंश्योरेंस खरीदें
अपने परिवार के लिए पर्याप्त टर्म इंश्योरेंस खरीदें ताकि अगर आपका अचानक निधन हो जाता है तो उन्हें किसी आर्थिक परेशानी का सामना ना करना पड़े। टर्म इंश्योरेंस में तुलनात्मक रूप से कम प्रीमियम पर बड़ी बीमा राशि मिल जाती है। टर्म इंश्योरेंस से आपके परिवार को रेगुलर इनकम मिलती रहती है। ये इंश्योरेंस आपकी वार्षिक इनकम के 10 से 15 गुना के समान होना चाहिए।
साथ ही, अस्पतालों के बड़े बिलों से बचने के लिए पर्याप्त हैल्थ इंश्योरेंस खरीदें, वरना ये आपके जीवनभर की जमा पूँजी को ख़त्म कर सकते हैं। नेशनल हैल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर के मुतबिक, वर्ष 2022 में मेडिकल महंगाई दर 14% रही है। अगर आप नौकरी करते हैं और आपके पास कंपनी का दिया हुआ हैल्थ इंश्योरेंस है, तो वो मेडिकल खर्चों को पूरा करने में अपर्याप्त साबित हो सकता है और आपके नौकरी बदलते ही इंश्योरेंस ख़त्म हो जाएगा। इसलिए, एक निजी हैल्थ पॉलिसी खरीदें ताकि आप और आपका परिवार किसी भी तरह की मेडिकल इमरजेंसी में खर्च की चिंता ना करें।
लोन और क्रेडिट कार्ड के लिए क्रेडिट स्कोर बनाएं
आपकी लोन या क्रेडिट कार्ड एप्लीकेशन मंज़ूर होने की संभावना बढ़ जाए, इसके लिए एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाएं। बैंक अक्सर 750 या उससे ज़्यादा स्कोर वाले लोगों को आसानी से लोन देते हैं। ऐसे व्यक्तियों को कम ब्याज दरों और बेहतर शर्तों पर भी लोन मिलने की संभावना रहती है और प्री-अप्रूव्ड लोन ऑफर भी मिल सकते हैं।
अगर आपका क्रेडिट स्कोर नहीं है या कम है, तो क्रेडिट कार्ड लेकर और उसका उपयोग कर के अपना स्कोर बना सकते हैं। याद रखें कि कार्ड का बिल हमेशा पूरा और समय पर चुकाएं। जिन लोगों को अपर्याप्त इनकम, क्रेडिट स्कोर ना होने या कम होने, आदि के चलते सामान्य क्रेडिट कार्ड नहीं मिल रहा है वो सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं।
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आर्थिक इमरजेंसी के लिए पर्याप्त इमरजेंसी फंड बनाएं
बीमारी, नौकरी चले जाने या किसी अन्य अप्रत्याशित घटनाओं के कारण आपकी रेगुलर इनकम रुक सकती है। इसलिए एक इमरजेंसी फंड बनाएं जो आपके ज़रूरी खर्चों को कम से कम छह महीनों तक पूरा करने के लिए पर्याप्त हो। इमरजेंसी फंड से आपको मुश्किल समय में अपने उन निवेश को खर्च करना नहीं पड़ेगा जिन्हें आपने अपने अन्य आर्थिक लक्ष्यों के लिए रखा है। साथ ही आर्थिक इमरजेंसी में आपको ज़्यादा ब्याज दरों पर लोन भी नहीं लेना पड़ेगा। इस फंड को ज़्यादा ब्याज देने वाले सेविंग्स अकाउंट या एफडी अकाउंट में रखें, ताकि ज़रूरत पड़ने पर तुरंत निकाल सकें।