डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ने से आप कभी भी, कहीं भी पैसे भेज सकते हैं, वो भी चंद मिनटो में। इन डिजिटल पेमेंट विकल्पों के आ जाने से अन्य पेमेंट विकल्पों जैसे पे ऑर्डर, चेक आदि का इस्तेमाल काफी कम हो गया है। लेकिन इसके बावजूद ये आज भी कई जगह इस्तेमाल किए जाते हैं। इसका इस्तेमाल एडमिशन या एग्जामिनेशन फीस, प्रॉपर्टी खरीदने या बिज़नेस संबंधित ट्रांजैक्शन के लिए किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि डिमांड ड्राफ्ट क्या होता है और इसे बनाने का तरीका क्या है:-
डिमांड ड्राफ्ट क्या है?
पेमेंट के अन्य विकल्पों की तरह डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल भी कैशलेस ट्रांजैक्शन के लिए किया जाता है। इसके ज़रिए आप किसी भी बैंक अकाउंट में पैसे भेज सकते हैं। पैसे भेजने के लिए डिमांड ड्राफ्ट फॉर्म भरना पड़ता है, फॉर्म भरने के बाद जिस व्यक्ति के नाम से इसे जारी किया जाता है, राशि उसके अकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाती है। डिमांड ड्राफ्ट का उपयोग कर आप सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल या क्रॉस बॉडर ट्रांजैक्शन भी कर सकते हैं।
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डिमांड ड्राफ्ट के ज़रिए पैसे कैसे भेजें?
डिमांड ड्राफ्ट के ज़रिए पैसे भेजने के लिए डीडी फॉर्म भरना पड़ता है, यह फॉर्म आप अपने नज़दीकी बैंक में जाकर भर सकते हैं। यह ज़रूरी नहीं कि आप जिस बैंक के ज़रिए डिमांड ड्राफ्ट भेज रहें हैं, उसमें आपका अकाउंट हो। डिमांड ड्राफ्ट के लिए फॉर्म में कुछ जानकारी भरनी पड़ती है जिसमें राशि, उस व्यक्ति का नाम जिसे पैसे भेजे जा रहे हैं, व्यक्ति के बैंक और ब्रांच का पता आदि शामिल है।
2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने डिमांड ड्राफ्ट को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किए थे जिसके तहत जो व्यक्ति डिमांड ड्राफ्ट खरीद रहा है, उसका नाम डीडी के फ्रंट में होना अनिवार्य कर दिया गया था। इससे पहले डिमांड ड्राफ्ट में सिर्फ उस व्यक्ति या संस्था का नाम ही प्रिंट होता था जिसे पैसे भेजे जा रहें हैं। आरबीआई ने यह फैसला मनी लॉन्ड्रिंग में नकेल कसने के लिए लिया था।
डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के लिए बैंक में अकाउंट होना ज़रूरी नहीं है, आप इसे किसी भी बैंक में जाकर बना सकते हैं। बैंक अकाउंट न होने पर आपको कैश के ज़रिए पेमेंट करना होगा। लेकिन अगर अकाउंट है तो पैसे आपके अकाउंट से काट लिए जाएंगे। वहीं डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के लिए बैंक को कुछ चार्ज़ेस भी देने पड़ते हैं। यह चार्ज़ेस डिमांड ड्राफ्ट जारी करने वाले बैंक और भेजी जाने वाली राशि के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।
डिमांड ड्राफ्ट खरीदने के बाद से यह अगले 3 महीने तक वैलिड रहता है, यानी कि जिस व्यक्ति को डीडी के ज़रिए पेमेंट किया जा रहा है, उसे तीन महीने के भीतर डीडी कैश करवाना पड़ता है। डिमांड ड्राफ्ट कब एक्सपायर होगा इसकी जानकारी आमतौर पर फॉर्म के ऊपर ही दी होती है।
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डिमांड ड्राफ्ट से जुड़ी ज़रूरी बातें
50,000 से कम राशि का डिमांड ड्राफ्ट लेने के लिए कैश के ज़रिए पेमेंट किया जा सकता है। लेकिन 50,000 या उससे अधिक की राशि के डिमांड ड्राफ्ट के लिए बतौर कैश पेमेंट नहीं कर सकते। इसका भुगतान चेक, बैंक अकाउंट या किसी अन्य पेमेंट विकल्प के ज़रिए किया जा सकता है।
- डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के लिए बैंक अकाउंट होना ज़रूरी नहीं है, लेकिन डीडी से पैसे निकालने के लिए बैंक अकाउंट होना ज़रूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंक फ्रॉड ट्रांजैक्शन से बचने के किए कैश देने के बजाय अकाउंट में राशि जमा कर देते हैं।
- डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन के लिए भी किया जा सकता है, आप इनके ज़रिए किसी दूसरे देश में पैसे भेज सकते हैं।
- अगर डिमांड ड्राफ्ट किसी अन्य देश से भारत में भेजा गया है, तो राशि को भारतीय करेंसी में बदलने के लिए मौजूदा एक्सचेंज रेट लागू होंगे।
डिमांड ड्राफ्ट को कैंसल कैसे करें?
कई बार लोग डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के बाद कई कारणों जैसे गलत जानकारी के प्रिंट होने की वजह से उसे कैंसल कराते हैं। अगर आप डिमांड ड्राफ्ट कैंसल करना चाहते हैं तो आपको उसी बैंक में जाना होगा, जहां से आपने इसे बनवाया था। इसके बाद बैंक आपको एक फॉर्म देगा, जिसमें डिमांड ड्राफ्ट को इश्यू करने की तारीख, डीडी नंबर, राशि और कैंसल करने का कारण जैसी जानकारी भरनी होगी।
डिमांड ड्राफ्ट बनवाते वक्त अगर आपने कैश के ज़रिए पेमेंट किया था, तो आपको डिमांड ड्राफ्ट के साथ कैश की रसीद भी बैंक में देनी होगी। जिसके बाद बैंक कैश में आपको भुगतान करेगा। अगर आपने पेमेंट चेक या किसी अन्य माध्यम से किया था तो राशि आपके अकाउंट में जमा की जाएगी। ध्यान रहे, डिमांड ड्राफ्ट कैंसल करने पर बैंक कुछ चार्ज़ेस भी लेते हैं।
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चेक और डिमांड ड्राफ्ट एक-दूसरे से कैसे अलग है?
डिमांड ड्राफ्ट का चलन कम होने की वजह से लोगों को इसकी कम जानकारी है, यही वजह कि कई बार चेक और डिमांड ड्राफ्ट को एक ही मान लिया जाता है। लेकिन ये दोनों एक-दूसरे से काफी अलग है:-
- चेक को कोई भी बैंक का कस्टमर जिसके पास चेक हो, जारी कर सकता है। लेकिन डिमांड ड्राफ्ट हमेशा कस्टमर की रिक्वेस्ट पर बैंक जारी करता है।
- अधिकांश कस्टमर्स को बैंक से चेक बुक मिलता है। चेक की मदद से आसानी से कभी भी, कहीं भी भुगतान किया जा सकता है। लेकिन डिमांड ड्राफ्ट के मामले में भुगतान की प्रक्रिया उतनी आसान नहीं है। क्योंकि DD के ज़रिए पेमेंट करने के लिए कस्टमर को एक फॉर्म भरकर ब्रांच में जमा करना पड़ता है और इसके बनने में भी समय लगता है।
- अगर अकाउंट में पैसे न हो और आप चेक काट देते हैं, तो वह बाउंस हो जाएगा। चेक बाउंस होने पर बैंक को पेनल्टी देनी पड़ती है। लेकिन डिमांड ड्राफ्ट के मामले में ऐसा नहीं होता, डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के लिए व्यक्ति को पहले पेमेंट करना पड़ता है, उसके बाद ही यह जारी किया जाता है।
- चेक के ज़रिए ट्रांजैक्शन करने के लिए आपके पास बैंक अकाउंट और चेक होना ज़रूरी है। लेकिन डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल कर पैसे भेजने के लिए बैंक अकाउंट होना ज़रूरी नहीं है।
- चेक के मुकाबले डिमांड ड्राफ्ट अधिक सेफ ऑप्शन है। क्योंकि अगर चेक (बियरर चेक के मामले में) खो जाता है और आप बैंक को समय पर इंफॉर्म नहीं करते तो इसका दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन डिमांड ड्राफ्ट को सिर्फ वहीं इंसान निकाल सकता है जिसके नाम से इसे जारी किया गया है। ऐसे में यह अधिक सुरक्षित विकल्प है।