गवर्नमेंट सिक्योरिटीज जिन्हें आमतौर पर G-Sec बॉन्ड कहा जाता है। ये एक तरह से सरकार के लिए फंड इकट्ठा करने का साधन होता है, जो लोन के रुप में होता है। सरकार इस फंड का इस्तेमाल अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए करती है। ये बॉन्ड केंद्र और राज्य सरकार में से कोई भी जारी कर सकता है।
चूंकि यह एक लोन साधन होता है, इसलिए इसमें निवेश करने पर सरकार एक निश्चित समय के बाद निवेशकों को उनकी मूलराशि लौटा देती है। साथ ही मैच्योरिटी तक इस पर (G-Sec) एक निश्चित दर से ब्याज भी दिया जाता है। ट्रेजरी बिल (T-Bills), डेट सिक्योरिटीज और ट्रेजरी बॉन्ड इसके कुछ उदाहरण हैं।
G-Sec बॉन्ड में निवेश क्यों करना चाहिए?
- जोखिम क्षमता- G-Sec बॉन्ड की सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें निवेश जोखिम कम होता है। क्योंकि इसे सरकार की तरफ से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) जारी करता है। इसलिए इसके डिफॉल्ट होने की संभावना कम होती है और समय से रिटर्न समेत मूलराशि मिलने की उम्मीद अधिक होती है
- लिक्विडिटी- ये गवर्नमेंट सिक्योरिटीज काफी फ्लेक्सिबल यानी तरल होते है। इन्हें निवेशक आसानी से किसी सेकेंडरी मार्केट में भी ट्रेड कर सकते हैं
- फ्लेक्सिबल मैच्योरिटी- इन गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की मैच्योरिटी समयावधि 91 दिन से लेकर 40 साल तक की है। निवेशक अपनी जरूरत अनुसार मैच्योरिटी पीरियड चुन सकते हैं।
- सिक्योरिटीज पर लोन- पैसों की जरूरत पड़ने पर निवेशक इन गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को बैंक में गिरवी रखकर लोन ले सकते हैं।
- आसान रख-रखाव- निवेशक इन सरकारी प्रतिभूतियों (G-Sec) को आसानी से अपने डीमैट अकाउंट में ऑनलाइन रख सकते हैं, या फिर स्टॉक सर्टिफिकेट के रुप में भी रख सकते हैं।
- G-Sec बॉन्ड यील्ड- बॉन्ड यील्ड वो रिटर्न होता है जो आपको किसी बॉन्ड में निवेश से मिलता है। इसे कैलकुलेट करने के लिए वार्षिक ब्याज दर (कूपन दर) को बॉन्ड के मौजूदा बाजार मूल्य से विभाजित किया जाता है। यील्ड और बॉन्ड की कीमत में विपरीत संबंध होता है। जब बॉन्ड की कीमत बढ़ती है यील्ड गिरता है और इसके विपरीत यील्ड गिरने पर बॉन्ड की कीमत बढ़ती है। इसके अलावा इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर बॉन्ड की कीमत कम होती है और इसके विपरीत।
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गवर्नमेंट सिक्योरिटीज मार्केट
सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती है। जिसमें यील्ड या कीमत के आधार पर बोली लगाई जाती है। यह नीलामी प्राथमिक बाज़ार में होती है जहां केंद्र और राज्य सरकारें, बैंक, वित्तीय संस्थान और बीमा कंपनियां विभिन्न प्रकार की सरकारी प्रतिभूतियां जारी करती हैं।
इन सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी आईपीओ (IPO) की तरह ही होती है। एक बार जब नीलामी पूरी हो जाती है, सरकारी प्रतिभूति लिस्टेड हो जाती है। इसके बाद निवेशक इसे आसानी से स्टॉक मार्केट पर खरीद और बेच सकते हैं।
गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में कैसे कर सकते हैं निवेश
गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में दो तरीकों से निवेश किया जा सकता है। पहला- आरबीआई डायरेक्ट गिल्ट अकाउंट के जरिए (RBI Direct Gilt accounts), जो आरबीआई डायरेक्ट रिटेल स्कीम के तहत खुलवाई जाती है। ये अकाउंट खुलवाने के लिए पैन कार्ड (PAN), सेविंग अकाउंट, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर की जरूरत होती है। इस अकाउंट के जरिए व्यक्तिगत तौर पर किसी भी सरकारी प्रतिभूति में निवेश किया जा सकता है।
इसके अलावा निवेशक डीमैट अकाउंट (Demat Account) के माध्यम से भी गवर्नमेंट सिक्योरिटी में निवेश कर सकते हैं। पहले इन G-Sec बॉन्ड में बड़ी वित्तीय कंपनियां, कॉमर्शियल बैंकों और अधिक आय वाले निवेशक ही निवेश कर पाते थे। लेकिन वर्तमान समय में G-Sec बॉन्ड में छोटे निवेशक जैसे- कोऑपरेटिव बैंक और व्यक्तिगत निवेशक भी निवेश कर सकते हैं।
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गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के प्रकार
सरकारी प्रतिभूतियां शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म दोनों तरह की हो सकती है। शॉर्ट टर्म में 1 साल से कम समय में मैच्योर होने वाले बॉन्ड को शामिल किया जाता है। जबकि लॉन्ग टर्म में 1 साल या उससे अधिक समय में मैच्योर होने वाले बॉन्ड होते हैं। केंद्र सरकार ट्रेजरी बिल और बॉन्ड या डेटेड सिक्योरिटीज जारी कर सकता है। जबकि राज्य सरकार केवल बॉन्ड या डेटेड सिक्योरिटीज ही जारी कर सकता है। जिसे स्टेट डेवलपमेंट लोन (SDLs) कहते हैं।
आमतौर पर ट्रेजरी बिल और कैश मैनेजमेंट बिल (CMBs) शॉर्ट टर्म इंवेस्टमेंट टूल हैं। ट्रेजरी बिल 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन की मैच्योरिटी समयावधि के आता है। जबकि CMBs 91 दिन से भी कम समय में मैच्योर हो जाता है। वहीं, लॉन्ग टर्म निवेश के लिए डेटेड सिक्योरिटीज (Dated G-Secs) हैं, जो 5 साल से 40 साल पर मैच्योर होता है।
G-Sec में किसे निवेश करना चाहिए?
गवर्नमेंट सिक्योरिटी में ऐसे निवेशकों को निवेश करना चाहिए, जो अपने निवेश पर एक सुरक्षित और निश्चित आय अर्जित करना चाहते हैं। चूंकि यह गवर्नमेंट सिक्योरिट है इसलिए इसमें निवेश जोखिम न के बराबर है। साथ ही ऐसे निवेशक जो अपने निवेश पोर्टफोलियो में विभिन्नता चाहते हैं, वो भी इसमें निवेश कर सकते हैं। इस तरह सुरक्षित और फिक्स्ड इनकम चाहने वालों के लिए ये एक बेहतर निवेश विकल्प है।