सेबी (SEBI) सिक्योरिटीज़ और कमोडिटी मार्केट की निगरानी और उसे रेगुलेट करने का काम करता है। यह शेयर बाज़ार में किसी धोखाधड़ी के मामले में फैसले लेता है और इन्वेस्टर्स के निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। साथ ही, सेबी ब्रोकर्स और डीलर्स को लाइसेंस प्रदान करता है, जिससे वे ट्रेडिंग कर सकें। ऐसे में अगर आप शेयर बाज़ार में निवेश कर रहें हैं या करने की सोच रहें हैं तो आपको सेबी के बारे में जानकारी होनी चाहिए। चलिए जानते हैं सेबी क्या है और इसका क्या काम है।
SEBI क्या है?
SEBI को “सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है। यह एक वैधानिक निकाय और बाजार नियामक है, जिसका काम भारत में शेयर बाजार को नियंत्रित करना है। आसान शब्दों में समझें तो, जिस तरह से RBI का काम भारत के सभी बैंकों को रेगुलेट करना है, उसी तरह सेबी का काम शेयर मार्केट को रेगुलेट करना है। सेबी को चलाने का काम बोर्ड मेंबर्स करते हैं जिसमें एक अध्यक्ष और कई अन्य पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य होते हैं। सेबी के अध्यक्ष को केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है। इसमें दो सदस्य वित्त मंत्रालय, एक सदस्य भारतीय रिजर्व बैंक और पांच सदस्यों को केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है।
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SEBI की स्थापना कब हुई?
शेयर मार्केट में बढ़ती धोखाधड़ी और स्कैम को रोकने के लिए सेबी की स्थापना की गई थी। सेबी के अस्तित्व में आने से पहले कंट्रोलर ऑफ कैपिटल इश्यू एक रेगुलेटरी अथॉरिटी के रूप में काम करता था। इसे कैपिटल इश्यूज़ (कंट्रोल) एक्ट, 1947 के तहत यह अधिकार प्राप्त हुआ था। आगे चलकर साल 1988 में, सेबी को भारत में पूंजी बाजार के नियामक के रूप में गठित किया गया था। प्रारंभ में, सेबी गैर-वैधानिक निकाय था। साल 1992 में संसद द्वारा सेबी अधिनियम पारित होने के बाद, इसे वैधानिक शक्तियाँ दी गई।
SEBI की कार्य और शक्तियां क्या हैं?
- SEBI स्टॉक एक्सचेंजों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है और इसके लिए नियम बनाता है।
- यह स्टॉक ब्रोकर, सब ब्रोकर, शेयर ट्रांसफर एजेंट, इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र और पोर्टफोलियो मैनेजर्स आदि को रजिस्टर करने और उनके काम को रेगुलेट करने का काम करता है।
- यह निवेशकों, ट्रेडर्स के अधिकारों की रक्षा करता है और उनके निवेश की सुरक्षा की गारंटी भी देता है।
- ट्रेडिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए सेबी के साथ रजिस्टर्ड होना ज़रूरी है।
- सेबी शेयर मार्केट में धोखाधड़ी और अनुचित ट्रेडिंग प्रैक्टिस पर रोक लगाता है और ऐसा करने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाता है।
- शेयर मार्केट के विकास को बढ़ावा देना और कामकाज सुचारू रूप से चल सके, ये सुनिश्चित करना भी सेबी की जिम्मेदारियों में शामिल हैं।
- सेबी निवेशकों को शेयर मार्केट से जुड़ी जानकारी प्रदान कर उन्हें शिक्षित भी करता है।
ऊपर बताए गए इन कार्यों के अलावा सेबी कई अन्य कार्य भी करता है। इनमें निवेशकों को सटीक जानकारी प्रदान करने, शेयरों के व्यापार का विश्लेषण और इसे धोखाधड़ी से बचाने आदि जैसे काम भी शामिल हैं।
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सेबी इन तरीकों से इन्वेस्टर्स की मदद करता है
सेबी निवेशकों को शेयर मार्केट के बारे में शिक्षित करने के साथ ही उनकी समस्या को सुनता है और उसका समाधान बताता है। इसके साथ ही, ये अपने “Asksebi” प्लैटफोर्म की मदद से इन्वेस्टर्स के शेयर मार्केट से जुड़े सवालों का जवाब देता है। इसके अलावा कोई शिकायत होने पर इन्वेस्टर्स सेबी के पास अपनी शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं।
सिक्योरिटीज़ अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) क्या है?
अगर कोई व्यक्ति या संस्थान सेबी द्वारा लिए गए फैसलों से सहमत नहीं है, तो वे सिक्योरिटीज़ अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में इसके खिलाफ अपील कर सकते हैं।SAT का काम SEBI, IRDAI और PFRDA के फैसलों या आदेशों के खिलाफ की गई अपील की सुनवाई करना है। इसका गठन सेबी अधिनियम, 1992 की धारा 15K के तहत एक वैधानिक निकाय सिक्योरिटीज़ अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के रूप में की गई थी। इसमें SAT में एक प्रीसाइडिंग ऑफिसर और दो अन्य सदस्य होते हैं। SAT में एक प्रीसाइडिंग ऑफिसर और दो अन्य सदस्य होते हैं। ऑफिसर की नियुक्ति मुख्य न्यायधीश द्वारा या उनके परामर्श पर केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। अगर निवेशक या कोई कंपनी सेबी के आदेशों से नाखुश है तो वे अपनी शिकायत सिक्योरिटीज़ अपीलेट ट्रिब्यूनल के पास दर्ज कर सकते हैं।