अगर आप अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए लोन लेना चाहते है। लेकिन कंफ्यूज हैं कि उच्च शिक्षा के लिए पर्सनल लोन या एजुकेशन लोन कौन-सा बेहतर होगा। इस लेख में हमने एजुकेशन लोन और पर्सनल लोन की तुलना की। जिसकी मदद से आप डिसाइड कर पाएंगे कि आपको कौन-सा लोन विकल्प चुनना चाहिए:
पर्सनल लोन और एजुकेशन लोन की तुलना
लोन राशि
एजुकेशन लोन के तहत कितनी लोन राशि मिलेगी यह शिक्षा संस्थान की रैंकिंग, कोर्स की फीस, होस्टल फीस समेत अन्य खर्चों पर निर्भर करता है। हालांकि भारत में ही पढ़ाई करने के लिए अधिकतम एजुकेशन लोन (Education Loan) 10 लाख रु. और विदेश में पढ़ाई करने के लिए अधिकतम 1.5 करोड़ तक का एजुकेशन लोन ले सकते हैं।
दूसरी तरफ पर्सनल लोन के तहत भुगतान क्षमता के आधार पर 40 लाख रु. तक का पर्सनल लोन (Personal Loan) मिल सकता है। इस लोन राशि का इस्तेमाल उधारकर्ता कोचिंग सेंटर की फीस, रिलोकेशन संबंधी खर्च आदि को पूरा करने के लिए कर सकते हैं। यानी ऐसे खर्च जो एजुकेशन लोन में कवर न हो।
ब्याज दरें
आमतौर पर एजुकेशन लोन की ब्याज दरें पर्सनल लोन की तुलना में कम होती है। पर्सनल लोन देने वाली प्राइवेट सेक्टर के टॉप बैंकों की ब्याज दरें 10.49% प्रति वर्ष से शुरू होती है और 20% से अधिक जा सकती है। हालांकि कुछ सरकारी बैंक इससे कम ब्याज दर पर भी पर्सनल लोन ऑफर करते हैं।
वहीं, एजुकेशन लोन की ब्याज दरें आमतौर पर 8.15% प्रति वर्ष से 15.20% प्रति वर्ष के बीच होती है। कुछ बैंक महिला आवेदकों को इंटरेस्ट रेट में 0.50% तक की विशेष रियायत देते हैं, जोकि पर्सनल लोन में नहीं है। इसके अलावा कुछ बैंक प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई करने वाले छात्रों को और भी कम ब्याज दर पर लोन ऑफर करते हैं।
लोन अवधि
एजुकेशन लोन में लोन रिपेमेंट की अवधि आमतौर पर 15 साल होती है। वहीं, पर्सनल लोन के मामले में लोन रिपेमेंट के लिए 5 साल तक की मोहल्लत दी जाती है।
हालांकि कुछ लोन संस्थान पर्सनल लोन रिपेमेंट के लिए 7 साल तक का भी समय देते हैं। इस तरह एजुकेशन लोन में आपको लंबा टैन्योर और कम ब्याज दर का फायदा मिलता है।
मोरेटोरियम पीरियड
एजुकेशन लोन में मोरेटोरियम पीरियड उस समय को कहते हैं जब उधारकर्ता को लोन की EMIs का भुगतान नहीं करना होता। एजुकेशन लोन में मोरेटोरियम पीरियड, कोर्स पूरा करने के 1 साल बाद या नौकरी लगने के 6 माह बाद (जो भी पहले हो) का होता है।
दूसरी तरफ पर्सनल लोन में कोई मोरेटोरियम पीरियड नहीं होता है, चाहे आप उस पैसे का इस्तेमाल हायर एजुकेशन के लिए ही क्यों न कर रहे हो। पर्सनल लोन डिस्बर्स होने के बाद से ही उधारकर्ता को समय से ईएमआई का भुगतान करना होता है।
एजुकेशन लोन में मोरेटोरियम पीरियड रखने का उद्देश्य यह है कि छात्र को नौकरी ढूंढ़ने और ईएमआई का भुगतान खुद करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए। ताकि उसके माता-पिता पर किसी तरह का वित्तीय बोझ न पड़े।
टैक्स बेनिफिट
आयकर अधिनियम की धारा 80E के तहत शिक्षा लोन लेने वाले उधारकर्ता 8 साल तक की ईएमआई भुगतान पर टैक्स में छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं। यह कर कटौती एजुकेशन लोन लेने वाले उधारकर्ताओं को कर और ब्याज लागत दोनों के बोझ से बचाता है। हालांकि पर्सनल लोन लेकर शिक्षा पर खर्च करने वालों के लिए इस तरह का कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है।
नोट- भारत सरकार के ऑफिशियल गजट में शामिल वित्तीय संस्थान से एजुकेशन लोन लेने पर ही टैक्स बेनिफिट का लाभ ले सकते हैं। इसलिए किसी भी वित्तीय संस्थान से लोन लेने से पहले यह जरूर चेक कर लें कि वह भारत सरकार के ऑफिशियल गजट में शामिल हो।
गारंटर या कोलैटरल
आमतौर पर एजुकेशन लोन देने वाले लोन संस्थान छात्र के कामकाजी माता-पिता को सह-आवेदक के रूप में रखते हैं। तो वहीं कुछ बैंक व एनबीएफसी 7.5 लाख से अधिक लोन राशि देने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति/अतिरिक्त कोलैटरल/सिक्योरिटी की मांग करते हैं। जबकि पर्सनल लोन लेने के लिए किसी गारंटर/कोलैटरल की आवश्यकता नहीं होती।
प्रीपेमेंट पेनल्टी
ब्याज में बचत करने के लिए प्री-पेमेंट एक अच्छा ऑप्शन है। हालांकि समय से पहले लोन भुगतान करने की वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बैंक व लोन संस्थान पेनल्टी चार्जेस लेते हैं। जोकि पर्सनल लोन में 2.5% या इससे अधिक भी हो सकता है। लोन और बैंक के आधार पर पेनल्टी चार्ज निर्धारित होती है। जबकि एजुकेशन लोन में प्री-पेमेंट करने पर कोई पेनल्टी चार्ज नहीं लगता।
एजुकेशन या पर्सनल: कौन-सा लोन विकल्प चुनें
एजुकेशन लोन (Education Loan) में कम ब्याज दर, लॉन्ग रिपेमेंट अवधि, मोरेटोरियम पीरियड और लोन रिपेमेंट पर टैक्स बेनिफिट जैसे लाभ मिलते हैं, जो इसे एक बेहतर विकल्प बनाते हैं।
वहीं, अगर आपको सह-उधारकर्ता, गारंटर न होने या गिरवी रखने के लिए पर्याप्त कोलैटरल/सिक्योरिटी न होने की वजह से एजुकेशन लोन नहीं मिल पा रहा है, तो पर्सनल लोन लेने पर विचार कर सकते हैं।
एजुकेशन और पर्सनल लोन से संबंधित प्रश्न
एजुकेशन लोन कितना मिल सकता है?
एजुकेशन लोन के तहत मिलने वाली राशि शिक्षा संस्थान की रैंकिंग, कोर्स की फीस, होस्टल फीस समेत अन्य खर्चों पर निर्भर करती है। हालांकि भारत में पढ़ाई करने के लिए 10 लाख तक और विदेश में हायर एजुकेशन के लिए 1.5 करोड़ तक की लोन राशि ले सकते हैं।
एजुकेशन लोन के लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट्स चाहिए?
एजुकेशन लोन लेने वाले उम्मीदवारों को बैंक व लोन संस्थान में अपनी 10वीं, 12वीं की मार्कशीट, बैंक पासबुक, पहचान प्रमाण पत्र (पासपोर्ट/ ड्राइविंग/वोटरआईडी), आय प्रमाण पत्र और जिस कोर्स के लिए एंट्रेस एग्जाम क्लीयर किया हो उसका प्रमाण, स्टुडेंट और पेरेंट्स के आधार कार्ड सहित अन्य डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है।
एजुकेशन लोन इंटरेस्ट रेट कितना है?
एजुकेशन लोन की ब्याज दरें (Education Loan Interest Rate) आमतौर पर 8.15% प्रति वर्ष से 15.20% प्रति वर्ष के बीच होती है। कुछ बैंक महिला आवेदकों को ब्याह दरों में 0.50% तक की विशेष छूट देते हैं।
प्रधानमंत्री शिक्षा लोन योजना क्या है?
प्रधानमंत्री ने गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए साल 2015 में पीएम विद्या लक्ष्मी एजुकेशन लोन योजना शुरू की। इसके तहत भारत में पढ़ाई करने के लिए 7.5% लाख और विदेश में पढ़ाई के लिए 15 लाख रु. तक का लोन मिल सकता है। योजना के तहत 22 तरह के एजुकेशन लोन दिए जाते हैं।
12वीं के बाद एजुकेशन लोन कैसे लें?
एजुकेशन लोन लेने के लिए उम्मीदवार को बैंक में अपनी 10वीं, 12वीं की मार्कशीट, पहचान प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और जिस कोर्स के लिए एंट्रेस एग्जाम क्लीयर किया हो उसका प्रमाण समेत अन्य दस्तावेजों के साथ एजुकेशन लोन आवेदन फॉर्म भरना होगा।