पर्सनल लोन

पर्सनल लोन प्री-पेमेंट के फ़ायदे और नुकसान

पर्सनल लोन प्री-पेमेंट के फ़ायदे और नुकसान
Bharti
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समय से पहले अपने पर्सनल लोन का भुगतान करने के लिए कई बार लोग लोन की प्री-पेमेंट करते हैं। जब भी आप लोन के जल्दी भुगतान के लिए ईएमआई के अलावा, अतिरिक्त पैसे देते हैं तो उसे प्री-पेमेंट कहा जाता है। हालाँकि, ज़्यादातर मामलों में प्री-पेमेंट करने से फ़ायदा होता है, फिर भी अंतिम निर्णय लेने से पहले ये कैलकुलेशन कर लेनी चाहिए कि पर्सनल लोन प्री-पेमेंट से आपको कितना लाभ होगा। ये निर्णय लेने में आपकी सहायता के लिए यहां पर्सनल लोन प्री-पेमेंट के नुकसान और लाभों के बारे में बताया गया है।

पर्सनल लोन के फायदें

ब्याज की बचत

पर्सनल लोन प्री-पेमेंट करने का मुख्य कारण ब्याज की बचत करना होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप 5 वर्षों के लिए 10 लाख रु. का पर्सनल लोन लेते हैं जिसकी ब्याज दर 12.5% प्रति वर्ष है, तो आपको इस दौरान लगभग 3,49000 रु. का ब्याज चुकाना पड़ेगा। वहीं अगर आप प्री-पेमेंट कर के 5 के बजाएं 2 वर्षों में इसका भुगतान कर देते हैं तो आपको ब्याज पर लगभग 1,37000 रु. की बचत होगी।

हालांकि, कई लोगों को ये गलफ़हमी है कि केवल लोन अवधि के शुरुआत में प्री-पेमेंट करने से ब्याज पर बचत होती है, न कि लोन अवधि के बाद के चरणों में। सच्चाई यह है कि ब्याज बचत लोन अवधि के अंतिम वर्षों में भी होती है, अगर आपको भारी प्री-पेमेंट फीस ना देनी पड़े। प्री-पेमेंट के माध्यम से होने वाली ब्याज बचत की कैलकुलेशन के लिए ऑनलाइन पर्सनल लोन प्रीपेमेंट कैलकुलेटर की मदद लें।

ये भी पढ़ें: पर्सनल लोन पर बचत के लिए बैलेंस ट्रान्सफर कैसे चुनें?

ईएमआई टू एनएमआई रेश्यो घटाएं

बैंक उन आवेदकों को लोन देना पसंद करते हैं जो अपनी इनकम का 50-60% तक ही कुल ईएमआई भुगतान (वर्तमान ईएमआई और लिये जाने वाले लोन की ईएमआई) में खर्च करते हैं, इसे ईएमआई टू एनएमआई रेश्यो भी कहते हैं। अगर आपको भी ज्यादा रेश्यो के कारण नया लोन नहीं रहा है, तो आप अपने पर्सनल लोन की प्री-पेमेंट कर सकते हैं।

जब आप प्री-पेमेंट करते हैं तो बैंक आपको विकल्प देता है कि आप भुगतान अवधि कम करना चाहते हैं या ईएमआई राशि। आप ईएमआई राशि का विकल्प चुनकर अपना ईएमआई टू एनएमआई रेश्यो घटा सकते हैं और नया लोन ले सकते हैं। पर्सनल लोन के लिए अपनी योग्यता और बढ़ाने के लिए आप उसकी भुगतान अवधि भी लम्बी चुन सकते हैं, ताकि उसकी ईएमआई और ज़्यादा कम हो जाए, लेकिन याद रहे कि भुगतान अवधि जितनी ज्यादा लम्बी होगी कुल ब्याज भी उतना ज़्यादा बढ़ेगा।

पर्सनल लोन प्री-पेमेंट के नुकसान

प्री-पेमेंट फीस

आरबीआई ने बैंकों/ लोन संस्थानों को को फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लिए गए लोन की प्री-पेमेंट पर फ़ीस लेने मना कर दिया है। हालांकि, फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर लिए गए लोन के मामले में, बैंक लोन प्री-पेमेंट पर फ़ीस लगा सकते हैं। इसलिए, बैंक/ एनबीएफसी प्री-पेमेंट पर लोन की बकाया राशि की 5% तक प्री-पेमेंट फ़ीस लेते हैं। इसके अलावा, कई बैंक/ एनबीएफसी तय महीनों तक की ईएमआई देने से पहले पार्ट-प्रीपेमेंट की अनुमति नहीं देते हैं। इसलिए प्री-पेमेंट करने से पहले कैलकुलेशन कर लें कि क्या प्री-पेमेंट फीस देकर भी आपको ब्याज बचत भारी बचत हो रही है।

प्री-पेमेंट के रूप में बड़ी राशि

प्री-पेमेंट का मतलब ये नहीं है कि आप ईएमआई के अलावा, प्री-पेमेंट के रूप में छोटी-मोटी रक़म बैंक को देते रहें। ज़्यादातर बैंक/ एनबीएफसी ये लोन के अनुसार एक बड़ी राशि तय करते हैं जिसे वो प्री-पेमेंट के रूप में स्वीकार करेंगें। इसी के चलते कई बार लोगों को प्री-पेमेंट करने के लिए अपने ज़रूरी खर्चे रोकने पड़ते हैं और उनकी फाइनेंशियल स्टेबलिटी पर भी असर पड़ता है।

कुछ लोग इमरजेंसी फण्ड या महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्यों के लिए निर्धारित निवेश का उपयोग करते हैं। हालांकि, ऐसा करने से आर्थिक इमरजेंसी से निपटने में या नौकरी छूटने, विकलांगता, बीमारी आदि से इनकम में आई कमी के दौरान आपको आर्थिक मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। ज़रूरी वित्तीय लक्ष्यों के लिए किये गए निवेश का उपयोग प्री-पेमेंट के लिए करने से बाद में आपको उनके लिए उच्च ब्याज दरों पर लोन लेना पड़ सकता है। इसलिए, पर्सनल लोन की प्री-पेमेंट तभी करें, जब अपने इमरजेंसी फंड, निवेश और मासिक ज़रूरी खर्चों के बाद भी आपके पास प्री-पेमेंट के लिए गुंजाइश हो।

लोग अगर प्री-पेमेंट इसलिए ही करते हैं क्योंकि उन्हें ब्याज पर बचत हो जाती है और लोन का बोझ भी उतर जाता है। लेकिन इसका फैसला लेने से पहले प्री-पेमेंट से जुड़ी फीस व चार्जेस को ब्याज पर होने वाली बचत से घटाएँ ताकि असल बचत का आपको पता लग सके। इसके अलावा, ये विकल्प तभी चुनें जब प्री-पेमेंट का असर आपके किसी ज़रूरी वित्तीय लक्ष्य और निवेश पर ना पड़े।

 

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