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टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी क्या हैं और कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है? जानिए

टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी क्या हैं और कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है? जानिए
Nikita
Nikita

आमतौर पर बैंक और NBFC आपको पैसे उधार या तो टर्म लोन या ओवरड्राफ्ट के रूप में देते हैं। इन दोनों विकल्पों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं और यह विभिन्न आवश्यकताओं और परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हैं। पर आपके लिए कौन सा विकल्प सही है इसका निर्णय आप इन दोनों विकल्पों के बारे में जानने के बाद ज़्यादा अच्छे से ले पाएंगे। तो आइये जानते हैं टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के बारे में:

टर्म लोन क्या है?

कोई भी लोन जिस से आपको ईएमआई या मासिक किस्तों के माध्यम एक निश्चित समय सीमा में चुकाना होता है उसे टर्म लोन कहते है। बैंक और NBFC आमतौर पर पर्सनल लोन, होम लोन, एजुकेशन लोन, ऑटो लोन, गोल्ड लोन आदि को टर्म लोन के रूप में अपने कस्टमर्स को ऑफर करते हैं। आमतौर पर, टर्म लोन की ब्याज दरें ओवरड्राफ्ट की ब्याज दरों की तुलना में कम होती हैं और किसी भी टर्म लोन के सामान आवेदक के क्रेडिट स्कोर, लोन अमाउंट, एलटीवी रेश्यो (यदि सिक्योर्ड लोन है), आदि जैसे कारकों पर निर्भर करती है। विशिष्ट जरूरतों या व्ययों को पूरा करने के लिए लोन राशि अलग-अलग हो सकती है। इन खर्चों में होम रेनोवेशन, डेट कॉन्सोलीडेशन या महत्वपूर्ण खरीदारी जैसे खर्चे शामिल हो सकते हैं।

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ओवरड्राफ्ट सुविधा क्या है?

ओवरड्राफ्ट लोन संस्थानों द्वारा दी जाने वाली एक क्रेडिट सुविधा है जिसमें आपको एक तय लिमिट तक की राशि आपके लिंक्ड सेविंग्स या करंट अकाउंट में एक बार में ही जमा कर दी जाती है। ग्राहक दी गई लिमिट तक की राशि कभी भी निकाल कर अपनी किस भी तरह की वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकते है। यह लिमिट कितनी होगी, यह बैंक या NBFCs तय करते हैं। आपको कितनी ओवरड्राफ्ट सीमा मिलेगी, ये अकांउट हिस्ट्री, भुगतान रिकॉर्ड या क्रेडिट स्कोर के आधार पर की जाती है। अलग-अलग बैंकों और NBFCs में यह लिमिट अलग-अलग हो सकती है। इसकी सबसे खास बात ये है कि बैंक और NBFCs सिर्फ उन्ही पैसों पर ब्याज लेता है जो कि ओवरड्राफ्ट के रूप में आपने निकाले है। ओवरड्राफ्ट राशि पर ब्याज की कैलकुलेशन प्रतिदिन की जाती है क्योंकि पैसे के भुगतान के लिए कोई निर्धारित समय नहीं होता है।

टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट से किस तरह अलग है? 

ब्याज:

टर्म लोन में बैंक/NBFCs पूरी लोन राशि पर ब्याज कैलकुलेट करते हैं। लेकिन ओवरड्राफ्ट में ब्याज केवल उतनी राशि पर लगाया जाता है जितनी राशि का आपने उपयोग किया है। जितने समय तक आप उस इस्तेमाल किये गए अमाउंट का भुगतान नहीं कर देते तब तक ब्याज उस राशि पर जुड़ता जाएगा। उदाहरण के लिए मान लीजिए आपको पर्सनल लोन ओवरड्राफ्ट पर 2,00,000 रूपये तक की लिमिट मिली है और आपने उसमे से केवल 50,000 रूपये का ही इस्तेमाल किया है तो ब्याज 2 लाख रूपये पर लगाने के बजाए सिर्फ 50,000 रूपये पर ही लगाया जाएगा जिसका आपने इस्तेमाल किया है।

भुगतान अवधि:

टर्म लोन की भुगतान अवधि हर विकल्प के लिए अलग होती है जैसे: बिज़नेस लोन और पर्सनल लोन के मामले में आमतौर पर 12 महीने से 60 महीने के बीच होती है। वहीं होम लोन के लिए भुगतान अवधि 30 साल या उससे अधिक हो सकती है। ओवरड्राफ्ट रीपेमेंट फ्लैक्जिबल होता है इसमें कोई निश्चित भुगतान अवधि नहीं है। आप जब चाहें तब राशि चुका सकते हैं। हालांकि, आप उस राशि पर ब्याज जमा करना जारी रखते हैं जिसका आप इस्तेमाल कर रहें है। 

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प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर चार्ज: 

आरबीआई के नियमों ने बैंकों और लोन संस्थानों को फ्लोटिंग ब्याज दरों पर फोरक्लोजर चार्ज लेने से मना किया है। वहीं फिक्स दरों पर लोन की पेशकश करने वाले बैंक और लोन संस्थान यह निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं कि फोरक्लोजर चार्ज लिया जाए या नहीं।

टर्म लोन की अवधि पूरी होने से पहले अगर आप लोन को बंद करवाते है तो उस पर आपको फोरक्लोजर चार्ज देना पड़ सकता है या उसकी लोन अवधि से पहले आप इसे क्‍लोज नहीं कर सकते। अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपको उसके लिए प्रीपेमेंट चार्ज देना पड़ता है। ओवरड्राफ्ट में आप जितनी जल्‍दी अमाउंट को चुका देंगे, उतनी जल्‍दी आपको ब्‍याज से मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा, आपको ओवरड्राफ्ट राशि का भुगतान EMI के रूप में करने की आवश्यकता नहीं है। आप उधार ली गई राशि को एक साथ भुगतान कर सकते हैं।

टैक्स:

कुछ लोन प्रकारों के लिए भुगतान किए गए ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है। जैसे कि आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत, भारत सरकार होम लोन लेने पर आपको टैक्स में भारी छूट देती है। इसके अलावा, अधिनियम की धारा 80ई के तहत शिक्षा लोन पर भी टैक्स छूट मिलती है। लेकिन ओवरड्राफ्ट रीपेमेंट पर ऐसी कोई टैक्स कटौती लागू नहीं होती है। 

आपको टर्म लोन या ओवरड्राफ्ट सुविधा में से क्या चुनना चाहिए?

टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट के बीच का चुनाव आपकी व्यक्तिगत जरूरतों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है, जिसमें राशि और अवधि दोनों ही महत्वपूर्ण कारक होते हैं।

शार्ट-टर्म आवश्यकताएं: यदि आपको कम अवधि के लिए धन की आवश्यकता है और आप राशि को जल्दी चुका सकते, तो ओवरड्राफ्ट आपको यह सुविधा प्रदान कर सकता है जिसकी आपको आवश्यकता होगी।

लॉन्ग-टर्म आवश्यकताएं: बड़ी वित्तीय आवश्यकताओं, अपनी भुगतान क्षमता के हिसाब से भुगतान अवधि का चुनाव और आवेदक की योग्यता आधार  कम ब्याज दर के कारण टर्म लोन के विकल्प अक्सर बेहतर विकल्प होता है।

क्रेडिट स्कोर: आपका क्रेडिट स्कोर यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा कि बैंक आपको ओवरड्राफ्ट सुविधा देगा या आपको टर्म लोन देगा। इसलिए, सुनिश्चित करें कि आपकी ज़रूरत दोनों में से एक विकल्प से मेल खाती है जिसका आप लक्ष्य बना रहे हैं।

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निष्कर्ष

यदि आपको छोटी अवधि के लिए धन की आवश्यकता है, तो आपके लिए ओवरड्राफ्ट का विकल्प अधिक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। इसके साथ ही यदि बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता होने पर ओवरड्राफ्ट की तुलना में टर्म लोन का विकल्प चुनना आम तौर पर एक बेहतर विकल्प होता है। अंत में, फैसला आपकी विशिष्ट परिस्थितियों और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट के बीच चयन करने से पहले आवश्यक राशि, चुकाने की आपकी क्षमताऔर ब्याज दरों का सोच-समझकर मूल्यांकन करें।

 

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