निवेश

अपने पैसे कहां करें इन्वेस्ट? जानिए निवेश के इन प्रकारों को

अपने पैसे कहां करें इन्वेस्ट? जानिए निवेश के इन प्रकारों को
Bharti
Bharti

इन्वेस्टमेंट यह शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में स्टॉक, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड जैसे निवेश विकल्प आने लगते हैं। लेकिन इनके अलावा भी इन्वेस्टमेंट के कई विकल्प उपलब्ध हैं। इन अलग-अलग निवेश विकल्पों की जानकारी होना ज़रूरी है। तभी आप इनकी विशेषताओं, रिस्क, लाभ और अपनी ज़रूरत के आधार पर यह तय कर पाएंगे कि आपको कहां निवेश करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं इन्वेस्टमेंट के विभिन्न प्रकारों के बारे में।

इन्वेस्टमेंट कितने प्रकार के होते हैं?

अपने पैसों को किसी ऐसी जगह लगाना जहां भविष्य में उसके बढ़ने की संभावना हो, निवेश या इन्वेस्टमेंट कहलाता है। इन्वेस्टमेंट को आमतौर पर दो कैटेगरी में बांटा जाता है- ग्रोथ इन्वेस्टमेंट और फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट। ग्रोथ इन्वेस्टमेंट का उद्देश्य समय के साथ पूंजी के मूल्य को बढ़ाना है, जबकि फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट में स्टेबल और गारंटीड रिटर्न मिलता है। इन दोनों इन्वेस्टमेंट कैटेगरी के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के निवेश विकल्प शामिल हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:-

  • म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट

इन्वेस्टमेंट के सभी प्रकारों की तुलना में म्यूचुअल फंड काफी लोकप्रिय है। इसमें कई निवेशकों का पैसा एक जगह इकट्ठा किया जाता है, फिर उसे बाज़ार में निवेश किया जाता है। इसमें आकर्षक रिटर्न तो मिलता है, लेकिन रिस्क भी होता है। म्यूचुअल फंड भी कई प्रकार के होते हैं, जिसमें ग्रोथ या इक्विटी फंड, लिक्विड या मनी मार्केट फंड, फिक्स्ड-इनकम या डेट फंड, हाइब्रिड या बैलेंस्ड फंड, इंडेक्स फंड और टैक्स-सेविंग फंड आदि शामिल हैं।

  • स्टॉक्स

स्टॉक ग्रोथ इन्वेस्टमेंट के विकल्पों में से एक है, इसे इक्विटी के रूप में भी जाना जाता है। फंड की ज़रूरत होने पर कंपनियां अपने स्टॉक को शेयर मार्केट में बेचती हैं। इसी स्टॉक को जब छोटे हिस्सों में बांटा जाता है तो उसे शेयर के नाम से जाना जाता है। किसी कंपनी के शेयर खरीदने के साथ ही आप उस कंपनी के पार्ट-ओनर बन जाते हैं। कंपनी जैसे-जैसे लाभ कमाएगी वैसे-वैसे आपके शेयर की कीमत में भी इज़ाफा होगा। लेकिन अगर कंपनी घाटे में चली जाती है तो आपके शेयर्स की कीमत भी घट जाएगी।

ये भी पढ़ें: नौकरीपेशा व्यक्ति इन जगहों पर अपने पैसे निवेश कर सकते हैं।

  • बॉन्ड

बॉन्ड को फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट में गिना जाता है। सरकार और कई कंपनियां बॉन्ड के माध्यम से फंड जुटाती हैं। इस फंड का इस्तेमाल वे अपने व्यवसाय को चलाने व उसके विकास में करती हैं। इनमें ट्रेजरी बिल, म्युनिसिपल बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड और गवर्मेंट सिक्योरिटी आदि शामिल होती हैं। बॉन्ड खरीदकर इन्वेस्टर सरकार या किसी कंपनी को एक तरह का लोन देता है, जिसके बदले वे फिक्स्ड इंटरेस्ट के रूप में रिटर्न प्राप्त करता है।

  • एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs)

निवेश के विभिन्न प्रकारों में एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड भी एक है। यह शेयर, बॉन्ड, मनी-मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि जैसे निवेशों का एक सेट है। एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड और म्यूचुअल फंड दोनों की विशेषताएं समान हैं। लेकिन जहां म्यूचुअल फंड सिर्फ ट्रेडिंग दिन की समाप्ति पर ही खरीदे या बेचे जाते हैं, वहीं ईटीएफ को ट्रेडिंग अवधि के दौरान किसी भी समय बेच जा सकता है।

  • फिक्स्ड डिपॉज़िट

एफडी में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है। इसके अतंर्गत कस्टमर अपने पैसे निश्चित अवधि के लिए जमा करते हैं जिसमें उन्हें फिक्स्ड ब्याज मिलता है। यानी एफडी की पूरी अवधि के दौरान उस पर मिलने वाले ब्याज में कोई बदलाव नहीं आता। इस तरह एफडी की अवधि पूरी हो जाने पर कस्टमर को गारंटीड रिटर्न मिलता है।

ये भी पढ़ें: जानिए फ्लेक्सी एफडी क्या है? और ये रेगुलर एफडी से कैसे अलग है?

  • रिटायरमेंट प्लान

लोग अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए कई जगह अपने पैसों को निवेश करते हैं जिसमें सीनियर सिटीज़न सेविंग स्कीम (SCSS), नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), एफडी आदि शामिल हैं।

  • रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट

इसके तहत इन्वेस्टर द्वारा अपने पैसों को कमर्शियल प्रोपर्टी, रेजिडेंशियल प्रोपर्टी और रियल स्टेट म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है। रियल स्टेट इन्वेस्टमेंट में समय का काफी महत्व होता है। क्योंकि इसमें समय के साथ प्रोपर्टी के दाम में इज़ाफा होता है। हालांकि, अन्य निवेश विकल्पों की तरह इसमें लिक्विडिटी की सुविधा नहीं होती। अचानक पैसों की ज़रूरत पड़ने पर प्रोपर्टी को बेचना काफी मुश्किल हो जाता है।

  • कैश इन्वेस्टमेंट

इन्वेस्टमेंट के सभी प्रकारों की तुलना में कैश इन्वेस्टमेंट में सबसे कम रिटर्न मिलता है। हालांकि, ये सबसे अधिक लिक्विडटी की सुविधा भी प्रदान करते हैं, यानी कि आप आसानी से जमा की गई रकम को निकाल सकते हैं। कैश इन्वेस्टमेंट के तहत सेविंग अकाउंट, बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉज़िट शामिल हैं। कैश इन्वेस्टमेंट में रिस्क भी कम होता है।

  • प्रोविडेंट फंड

प्रोविडेंट फंड एक सरकार समर्थित योजना है, जिसका उद्देश्य कर्मचारी के बेरोज़गार होने या रिटायर होने पर उन्हें एकमुश्त राशि प्रदान करना है। यह तीन तरह के होते हैं, PPF, EPF और GPF. लोगों के लिए प्रोविडेंट फंड, रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट के सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक है।

ये भी पढ़ें: GPF, EPF और PPF क्या है? इनके बीच क्या अंतर है?

  • इंश्योरेंस

लोग किसी भी इमरजेंसी का सामना करने के लिए विभिन्न इंश्योरेंस प्लान जैसे- हेल्थ इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस आदि में निवेश करते हैं। ये सभी इंश्योरेंस विशेष उद्देश्यों को पूरा करने का काम करते हैं। उदाहरण के लिए, हेल्थ इंश्योरेंस का काम व्यक्ति के बीमार होने पर उसे आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जबकि लाइफ इंश्योरेंस में इंश्योर्ड व्यक्ति की मृत्यु होने पर नॉमिनी को डेथ व मैच्योरिटी बेनिफिट प्रदान करना है।

 

अन्य ब्लॉग

शादी और त्योहारों के सीजन में सोने की मांग खासतौर पर...

Vandana Punj
Vandana Punj

त्योहारी सीजन के दौरान खरीदारी काफी बढ़ जाती है। इस ...

Bharti
Bharti

त्योहारों का महीना आ चुका है। ऐसे समय में जमकर खरीदा...

Bharti
Bharti