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FOIR ज़्यादा होने पर रिजेक्ट हो सकती है लोन एप्लीकेशन, जानें इसके बारे में

FOIR ज़्यादा होने पर रिजेक्ट हो सकती है लोन एप्लीकेशन, जानें इसके बारे में
Bharti
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कोई भी लोन देने से पहले बैंक आपके लोन एप्लीकेशन का मूल्यांकन ज़रूर करते हैं। वे आपका क्रेडिट स्कोर, इनकम आदि चेक करने के साथ-साथ यह भी चेक करते हैं कि आपकी भुगतान क्षमता कितनी है। आप लोन चुका सकते हैं या नहीं, यह आपकी भुगतान क्षमता से आंका जाता है। ऐसा करने के लिए बैंक फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो (FOIR) का इस्तेमाल करते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:-

फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो (FOIR) क्या होता है?

फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम (FOIR) रेश्यो को इक्विटेड मंथली इंस्टॉलमेंट/नेट मंथली इनकम (EMI/NMI) रेश्यो के नाम से भी जाना जाता है। इस रेश्यो का इस्तेमाल खासकर यह जानने के लिए किया जाता है कि आप अपनी नेट मंथली इनकम का कितना हिस्सा क्रेडिट कार्ड बिल, पहले से चल रहे लोन की EMI, जिस लोन के लिए आवेदन किया उसकी ईएमआई आदि भरने में खर्च करते हैं। इसी आधार पर FOIR को कैलकुलेट किया जाता है।

आइए FOIR को एक उदाहरण के ज़रिए समझते हैं कि बैंक इसको कैसे कैलकुलेट करते हैं?

मान लीजिए आपकी मासिक सैलरी 60,000 रु. है जिसमें से आप 30,000 रु. का उपयोग लोन की किस्तों समेत अन्य खर्चों में लगाते हैं। ध्यान रहें, इसमें आवेदन किए गए लोन की ईएमआई भी शामिल है। तो इस हिसाब से आपका FOIR (30,000/60,000 x 100) = 50% होगा।

आपको इसके बारे में क्यों पता होना चाहिए?

FOIR के कम या ज़्यादा होने पर आपके लोन की योग्यता प्रभावित होती है। आमतौर पर, लोन संस्था उन आवेदकों को लोन देने से बचते हैं जिनका FOIR 55%-60% से ज़्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आवेदक की सैलरी का आधे से ज़्यादा हिस्सा कर्ज़ चुकाने में जा रहा है तो उसके लोन पर डिफॉल्ट करने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए इसे कम करने का प्रयास करें।

FOIR को कम कैसे करें?

जैसा कि हमनें बताया FOIR ज़्यादा होने पर आपके लोन एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए अपने FOIR को कम करने के लिए आप इन तरीकों का पालन कर सकते हैं:-

  • ज्वाइंट लोन लें: FOIR को कम करने के लिए मासिक ईएमआई और खर्चों को कम करने की कोशिश करें। इसे कम करने के लिए आप ज्वाइंट लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। आप अपने परिवार के किसी कमाने वाले सदस्य को सह-आवेदक बना सकते हैं। ऐसा करने पर लोन की ईएमआई का बोझ दो लोगों में बट जाएगा जिससे लोन अप्रूव्ल की संभावना बढ़ जाएगी।
  • लोन अवधि बढ़ाएं : लोन की भुगतान अवधि बढ़ाकर भी FOIR को कम किया जा सकता है। क्योंकि अवधि बढ़ने से ईएमआई कम हो जाएगी जिससे FOIR भी कम हो जाएगा।
  • अपने मौजूदा लोन को रिफाइनेंस करें: लोन रिफाइनेंसिंग के तहत आप अपने मौजूदा लोन को किसी अन्य बैंक में कम ब्याज दर और बेहतर शर्तों के लिए ट्रांसफर कर सकते हैं। ऐसा करने से मौजूदा लोन की ब्याज दरें कम की जा सकती हैं जिससे लोन की ईएमआई भी कम हो जाएगी जिससे FOIR भी कम होगा।

 

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