घर खरीदने के लिए एक बार में बड़ी रकम जुटाना आसान नहीं है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग होम लोन का सहारा लेते हैं। लेकिन अगर भविष्य में किसी अनहोनी या दुर्घटना के चलते होम लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार के लिए लोन चुकाना मुश्किल हो सकता है। वहीं अगर परिवार में एक ही शख्स कमाने वाला हो, तो इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करने या फिर लोन न चुका पाने संपत्ति के जब्त होने जैसी मुसिबत परिवार पर आ जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए लोग होम लोन इंश्योरेंस लेते हैं। होम लोन इंश्योरेंस क्या है और इसे लेना क्यों ज़रूरी है? आइए जानते हैं:-
होम लोन इंश्योरेंस क्या है?
हेल्थ इंश्योरेंस का उदाहरण लेकर समझे तो होम लोन इंश्योरेंस इससे कुछ अलग नहीं है। हेल्थ इंश्योरेंस में जिस तरह से व्यक्ति के बिमार होने पर इंश्योरेंस कंपनी द्वारा अस्पताल का खर्चा उठाया जाता है। उसी तरह से होम लोन इंश्योरेंस में लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने पर लोन के भुगतान की जिम्मेदारी इंश्योरेंस कंपनी की हो जाती है। इससे परिवार पर लोन के भुगतान का बोझ नहीं पड़ता।
होम लोन इंश्योरेंस सिर्फ कस्टमर के लिए ही नहीं बल्कि यह बैंक या HFC के लिए भी फायदेमंद है। इससे बैंक के लिए लोन की रकम वसूलना आसान हो जाता है। क्योंकि बैंक को लोन राशि वसूलने के लिए पहले गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी को जब्त करना पड़ता है, फिर उसकी निलामी करनी पड़ती है। लेकिन होम लोन इंश्योरेंस के मामले में बैंक इंश्योरेंस कंपनी से राशि वसूलते हैं। आजकल कई बैंको के साथ बीमा कंपनियों का टाइ-अप होता है जिस वजह से वे होम लोन के साथ होम लोन इंश्योरेंस भी ऑफर करते हैं।
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क्या होम लोन इंश्योरेंस करवाना अनिवार्य है?
आजकल कई बैंक और HFC होम लोन के लिए आवेदन करते वक्त होम लोन इंश्योरेंस लेने का सुझाव देते हैं। इसे लेना या न लेना पूरी तरह से होम लोन आवेदक पर निर्भर करता है।
बीमा नियामक इरडा या रिज़र्व बैंक का कोई नियम यह नहीं कहता कि होम लोन इंश्योरेंस लेना अनिवार्य है। लेकिन भविष्य में अनहोनी होने पर इस तरह की मुसिबत से बचने के लिए होम लोन इंश्योरेंस लेना चाहिए।
यह ज़रूरी नहीं कि आप जिस बैंक से लोन ले रहें है, उसी से आपको इंश्योरेंस प्लान भी लेना है। आप किसी भी इंश्योरेंस कंपनी से अपने लिए होम लोन इंश्योरेंस प्लान चुन सकते हैं। लेकिन इसे चुनने से पहले सभी इंश्योरेंस प्लान की तुलना करें और जो सबसे उपयुक्त हो उसे चुनें।
होम लोन इंश्योरेंस लेना इन कारणों से ज़रूरी है
- प्रीमियम का भुगतान करना आसान है: होम लोन इंश्योरेंस के प्रीमियम का भुगतान आप अपनी सहूलियत के हिसाब से कर सकते हैं। आप चाहे तो वन टाइम सिंगल प्रीमियम पॉलिसी के तहत इसका एकमुश्त भुगतान कर सकते हैं या तो ईएमआई में भुगतान कर सकते हैं। इसके अलावा बैंक होम लोन की ईएमआई में प्रीमियम को जोड़ने का विकल्प भी देते हैं।
- परिवार की मदद करता है: अगर लोन लेने वाला व्यक्ति विकलांग हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो होम लोन इंश्योरेंस परिवार को लोन के भुगतान के बोझ से बचाता है।
- टैक्स बेनिफिट: आप इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत होम लोन इंश्योरेंस के प्रीमियम में टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं।
- अतिरिक्त कवरेज: आप ये जान गए होंगे कि लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु के मामले में होम लोन इंश्योरेंस का लाभ मिलता है। लेकिन अगर व्यक्ति गंभीर रूप से बिमार या विकलांग हो जाता है और लोन का भुगतान नहीं कर पाता तो क्या होगा? क्या इन्हें भी होम लोन इंश्योरेंस के तहत कवर किया जाता है? वैसे कुछ होम लोन इंश्योरेंस में इन्हें भी कवर किया जाता है, वहीं कुछ में इन्हें अतिरिक्त कवरेज के रूप में शामिल किया जाता है। यानी आप होम लोन इंश्योरेंस में अतिरिक्त प्रीमियम भर उसमें अतिरिक्त कवरेज जैसे विकलांगता, नौकरी छूटने, गंभीर रूप से बीमार होने आदि प्राप्त कर सकते हैं।
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होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले इन बातों का ध्यान रखें
- होम लोन इंश्योरेंस कई मामलों में लैप्स हो सकती है। अगर आप अपने होम लोन को किसी अन्य बैंक में ट्रांसफर करते हैं, होम लोन को रिस्ट्रक्चर करते हैं या फिर होम लोन को प्रीक्लोज़ कर देते हैं तो आपका इंश्योरेंस लैप्स हो सकता है।
- अगर आप एक ही बैंक से होम लोन और इंश्योरेंस लेते हैं तो लोन इंश्योरेंस की अवधि लोन अवधि के समान हो सकती है, जिस वजह से आपको पूरी लोन अवधि के दौरान इंश्योरेंस का प्रीमियम भरना पड़ेगा। ऐसे में अगर आपको लगता है कि आप अपने लोन का प्रीपेमेंट कर उसे जल्द चुका सकते हैं तो सिंगल प्रीमियम पॉलिसी लेने के बजाए ऐसी पॉलिसी लें जिसे सालाना रिन्यू किया जाता हो। क्योंकि साल भर इस्तेमाल करने के बाद अगर आप चाहे तो इसे बंद करवा सकते हैं।
- होम लोन की ईएमआई में इंश्योरेंस प्रीमियम को शामिल करने पर लोन राशि के साथ-साथ उसके प्रीमियम पर भी ब्याज भरना पड़ सकता है।
- ईएमआई में डिफॉल्ट की वजह से अगर लोन की बकाया राशि बढ़ जाती है तो इसे कवर नहीं किया जाएगा।
- जॉइंट होम लोन के मामले में एक सिंगल पॉलिसी के तहत लोन के सभी आवेदकों को कवर किया जा है। अगर लोन के किसी एक को-एप्लीकेंट की मृत्यु हो जाती है, तो अन्य आवेदकों को इंश्योरेंस के आधार पर लागू सरेंडर वैल्यू के मुताबिक बकाया राशि का भुगतान किया जाता है। सरेंडर वैल्यू को लेकर नियम एक इंश्योरेंस कंपनी से दूसरे में अलग होते हैं। इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी को-एप्लीकेंट के लोन में हिस्से के आधार पर भी इंश्योरेंस कर सकती है, जिसमें किसी एक को-एपीकेंट की मृत्यु के मामले में बाकी बचे आवेदकों के लिए इंश्योरेंस जारी रहेगा।
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निष्कर्ष
होम लोन लंबी अवधि के लिए लिया जाता है। ऐसे में इतनी लंबी अवधि के दौरान भविष्य में क्या होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसलिए होम लोन इंश्योरेंस लेकर आप भविष्य में ऐसी मुसिबत आने पर उसके लिए पहले से तैयार रह सकते हैं। आप जिस बैंक से होम लोन ले रहें हैं, उसी बैंक से होम लोन इंश्योरेंस भी ले सकते हैं या फिर किसी इंश्योरेंस कंपनी की मदद ले सकते हैं। लेकिन कोई भी इंश्योरेंस लेने से पहले अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसी की तुलना करें और अपने लिए बेस्ट प्लान चुनें।