फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) उन लोगों के लिए है, जो अपने निवेश पर बिना किसी जोखिम के निश्चित रिटर्न पाना चाहते हैं। ऐसे में अगर आप भी एफडी में निवेश करना चाहते हैं तो इंटरेस्ट के आधार पर आपको दो विकल्प- कम्युलेटिव और नॉन-कम्युलेटिव (Cumulative vs Non Cumulative FD) मिलेगा। इस लेख में जानेंगे कि इन दोनों में क्या अंतर है और आपके लिए कौन-सा निवेश विकल्प बेहतर होगा, तो चलिए लेख शुरू करते हैं।
कम्युलेटिव एफडी क्या है?
कम्युलेटिव एफडी में निवेशक को मिलने वाला रिटर्न एकमुश्त होता है। इसमें निवेशक एफडी की मैच्योरिटी तक अपने निवेश पर रिटर्न प्राप्त करते हैं। कम्युलेटिव एफडी (Cumulative FD) के तहत सालभर में मिलने वाले इंटरेस्ट को प्रिंसिपल अमाउंट में जोड़कर उस पर कंपाउंड इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाता है।
उदाहरण से समझें – अगर आपने 5 साल के लिए 3,00,000 रु. निवेश किया। इस पर 7.00% प्रति वर्ष की दर से ब्याज मिल रहा है तो सालभर (1 साल) में ये अमाउंट 3,21,558 रु. होगा। इसके अगले साल इस राशि 3,21,558 रु. पर इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाएगा। इस तरह आपके ब्याज पर भी ब्याज मिलता है और एफडी के मैच्योरिटी पर अच्छी राशि मिलती है।
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कम्युलेटिव एफडी में किसे निवेश करना चाहिए?
यह उन लोगों के लिए बेहतर ऑप्शन है जो लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं। उनका कोई एक लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्य है जैसे घर खरीदना, बच्चों की शादी के लिए पैसे इकट्ठा करना, आदि। अगर आपको नियमित आय की ज़रूरत नहीं है और भविष्य के लिए निश्चित राशि बचाना चाहते हैं तो कम्युलेटिव एफडी में निवेश कर सकते हैं।
नॉन-कम्युलेटिव एफडी क्या है?
इस एफडी में निवेशक ब्याज प्राप्ति की समायावधि चुन सकते हैं। यानी नॉन-कम्युलेटिव FD में निवेशक मासिक, क्वाटर्ली (तीन महीने में), अर्ध वार्षिक (6 महीने में) या वार्षिक आधार पर ब्याज प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इसकी ब्याज दरें कम्युलेटिव एफडी की तुलना में कम होती है क्योंकि इसमें इंटरेस्ट कम्युलेटिव एफडी की तरह कंपाउंड नहीं होता है। साथ ही इसमें रिइंवेस्टमेंट का ऑप्शन भी नहीं मिलता है।
नॉन-कम्युलेटिव में किसे निवेश करना चाहिए?
नॉन-कम्युलेटिव (गैर-संचयी) एफडी उन लोगों के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है जिन्हें नियमित आय की ज़रूरत होती है। जैसे EMI भरने वाले, रूम रेंट देने, रिटायर्ड व्यक्ति, फ्रीलांसर और हाउस वाइफ आदि। यानी एफडी की अवधि के दौरान रेगुलर इनकम प्राप्त करने का यह एक अच्छा ज़रिया है।
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संचयी और गैर-संचयी फिक्स्ड डिपाजिट में अंतर
कम्युलेटिव और नॉन-कम्युलेटिव (संचयी और गैर-संचयी) एफडी दोनों के बारे में जानने के बाद किसमें निवेश करना चाहिए यह आपकी स्थिति और प्राथमिकता पर निर्भर करता है। अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं और उस पर कंपाउंड इंटरेस्ट पाना चाहते हैं तो बिना किसी संकोच के कम्युलेटिव (Cumulative FD) चुन सकते हैं।
लेकिन अगर आप अपनी मौजूदा आय को बढ़ाना चाहते हैं या फिर रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाना चाहते हैं तो नॉन-कम्युलेटिव एफडी आपके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है। इसमें आप अपनी आवश्यकता अनुसार मासिक, क्वाटर्ली, अर्द्धवार्षिक या वार्षिक ब्याज भुगतान का समय चुन सकते हैं।
एफडी पर अधिकतम रिटर्न कैसे प्राप्त करें?
कम्युलेटिव एफडी के जरिए आप अपने निवेश पर अधिकतम रिटर्न पा सकते हैं। क्योंकि इस पर कंपाउंड इंटरेस्ट दिया जाता है। यानी FD के मैच्योरिटी तक मूल राशि के साथ उस पर मिलने वाले ब्याज पर भी ब्याज मिलता है। इस तरह कम्युलेटिव FD नॉन-कम्युलेटिव एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न ऑफर करता है।
कम्युलेटिव और नॉन-कम्युलेटिव एफडी से संबंधित सवाल
एफडी कितने प्रकार की होती है?
एफडी पर मिलने वाले रिटर्न के आधार पर यह दो प्रकार- कम्युलेटिव और नॉन- कम्युलेटिव एफडी (Cumulative and Non Cumulative FD) होता है।
कम्युलेटिव और नॉन-कॉम्युलेटिव एफडी में से कौन-सा बेहतर है?
कम्युलेटिव एफडी में कंपाउंट इंटरेस्ट का फायदा मिलता है और ब्याज का भुगतान1 एफडी की मैच्योरिटी पर किया जाता है। जबकि नॉन- कम्युलेटिव में निवेशक अपनी आवश्यकता अनुसार ब्याज भुगतान की अवधि- मासिक, तिमाही, अर्द्धवार्षिक या वार्षित आधार पर चुन सकते हैं। इस तरह कम्युलेटिव और नॉन-कॉम्युलिटिव एफडी में से कौन-सा बेहतर है, यह निवेशक की परिस्थिति पर निर्भर करता है।
कम्युलेटिव फिक्स्ड डिपॉज़िट के क्या फायदे हैं?
कम्युलेटिव एफडी पर मिलने वाला कंपाउंड इंटरेस्ट इसकी सबसे बड़ी खासियत है। जो लोग लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं और एकमुश्त एफडी की राशि प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए कम्युलेटिव एफडी बेहतर ऑप्शन है।
एफडी पर अधिकतम रिटर्न कैसे प्राप्त करें?
कम्युलेटिव एफडी के जरिए आप अपने निवेश पर अधिकतम रिटर्न पा सकते हैं। क्योंकि इस पर कंपाउंड इंटरेस्ट दिया जाता है। यानी FD के मैच्योरिटी तक मूल राशि के साथ उस पर मिलने वाले ब्याज पर भी ब्याज मिलता है। इस तरह ये पारंपरिक एफडी नॉन-कम्युलेटिव की तुलना में अधिक रिटर्न ऑफर करता है।
नॉन-कम्युलेटिव एफडी के क्या फायदे हैं?
नॉन-कम्युलेटिव पर मिलने वाला इंटरेस्ट इसकी सबसे बड़ी खासियत है। जो लोग एफडी इंटरेस्ट एकमुश्त न लेकर मासिक, तिमाही, अर्द्धवार्षिक या वार्षिक आधार पर लेना चाहते हैं, उनके लिए यह बेहतर ऑप्शन है।