प्रत्येक बिज़नेस को चलाने के लिए और उसका विकास करने के लिए फंड की ज़रूरत होती है। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए बिज़नेस लोन लिए जाते हैं। बिज़नेस लोन कई तरह के होते हैं, जो बिज़नेस संबंधित अलग-अलग ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किए जाते हैं। वर्किंग कैपिटल लोन और टर्म लोन भी बिज़नेस की अलग-अलग ज़रूरतों के लिए हैं। इस लेख में दोनों के बीच के अंतरों के बारे में बताया गया है।
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वर्किंग कैपिटल लोन क्या है?
बिज़नेस के दिन-प्रतिदिन के खर्चों को पूरा करने के लिए वर्किंग कैपिटल लोन लिया जाता है। यह एक शोर्ट-टर्म लोन होता है जिसका इस्तेमाल बिज़नेस की तात्कालिक ज़रूरत को पूरा करने के लिए किया जाता है जैसे, कच्चा माल खरीदना, कर्मचारियों को सैलरी देना , आदि। यह लोन स्टार्टअप, MSME कंपनियों जैसी छोटी कंपनियों लिए डिज़ाइन किया गया है। वर्किंग कैपिटल लोन का इस्तेमाल निवेश करने, बिज़नेस का विस्तार करने या प्रोपर्टी खरीदने के लिए नहीं किया जा सकता।
टर्म लोन क्या है?
टर्म लोन का इस्तेमाल बिज़नेस संबंधित बड़े खर्चों जैसे बिज़नेस का विस्तार करने, मशीनरी और उपकरण खरीदने, ऑफिस का रेनोवेशन करने जैसे खर्चों को पूरा करने के लिए लिया जाता है। इसके अलावा आमतौर पर टर्म लोन 1 साल से 10 साल की अवधि के लिए दिए जाते हैं। चूंकि लोन का इस्तेमाल बड़े खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाता है इसलिए लोन राशि भी अधिक होती है।
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वर्किंग कैपिटल लोन और टर्म लोन के बीच अंतर
- लोन का इस्तेमाल: एक तरफ जहां वर्किंग कैपिटल लोन का इस्तेमाल बिज़नेस से संबंधित दिन-प्रतिदिन की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है। वहीं टर्म लोन का इस्तेमाल बिज़नेस का विस्तार करने जैसे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
- ब्याज दरें: टर्म लोन की भुगतान अवधि लंबी होने की वजह से इसकी ब्याज दरें वर्किंग कैपिटल लोन की तुलना में कम होती हैं।
- लोन राशि: बिज़नेस संबंधित छोटे-मोटे खर्चों को पूरा करने के लिए वर्किंग कैपिटल लोन लिया जाता है इसलिए लोन राशि भी कम होती है। वहीं टर्म लोन का इस्तेमाल बड़े खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाता है, इसलिए इसकी लोन राशि अधिक होती है।
- भुगतान अवधि: कम लोन राशि होने की वजह से वर्किंग कैपिटल लोन की भुगतान अवधि कम होती है, जबकि टर्म लोन की भुगतान अवधि लंबी होती है।
- लोन की प्रोसेसिंग: टर्म लोन के अंतर्गत अधिक राशि का लोन दिया जाता है, इसलिए लोन देने से पहले आवेदक की भुगतान क्षमता, उसका क्रेडिट स्कोर और बिज़नेस संबंधित जानकारी को चेक किया जाता है जिसमें लंबा समय लग जाता है। इसके विपरीत वर्किंग कैपिटल लोन शोर्ट-टर्म होते हैं और लोन राशि कम, इसलिए प्रोसेसिंग आसान होती है।